जर्मनी ने भारत के मैसूर-बेंगलुरु-चेन्नई के लिए हाई स्पीड ट्रेन कॉरिडोर के लिए रेलवे बोर्ड चेयरमैन अश्वनी लोहानी को राजधानी दिल्ली में फाइनल फीजिबिलिटी रिपोर्ट सौंपी. जर्मनी के राजदूत ने इस मौके पर कहा कि चलाना ना केवल फीजिबल है बल्कि इकोनॉमिकली फायदेमंद भी है|
मैसूर-बेंगलुरु-चेन्नई हाई स्पीड रेल कॉरिडोर के लिए जर्मनी ने फाइनल फिजीबिलिटी रिपोर्ट भारतीय रेलवे को सौंप दी है. भारत में जर्मनी के राजदूत मार्टिन ने रेलवे बोर्ड चेयरमैन अश्वनी लोहानी को राजधानी दिल्ली में फाइनल फिजीबिलिटी रिपोर्ट सौंपी. इस मौके पर उन्होंने कहा कि मैसूर-बेंगलुरु-चेन्नई के लिए हाई स्पीड ट्रेन चलाना ना केवल फिजीबल है बल्कि इकोनॉमिकली फायदेमंद भी है.
इस हाई स्पीड कॉरिडोर में तिरुपति को भी शामिल किए जाने की वकालत फिजीबिलिटी रिपोर्ट में की गई है. उन्होंने बताया किस हाई स्पीड कॉरिडोर की स्टडी के लिए जर्मनी सरकार ने फंडिंग की और इस रिपोर्ट को 18 महीने के समय में पूरा कर लिया गया|
भारतीय रेलवे के अधिकारियों के मुताबिक चेन्नई बेंगलुरु मैसूर हाई स्पीड कॉरिडोर को बनाने में तकरीबन 16 बिलियन डालर यानी 1,00,000 करोड़ के आसपास की लागत आएगी. 435 किलोमीटर लंबे इस कॉरिडोर में 84 फीसदी हिस्सा एलिवेटेड रहेगा, वहीं 11 फीसदी हिस्सा सुरंगों के भीतर से होकर जाएगा. इस हाई स्पीड कॉरिडोर में 435 किलोमीटर की दूरी चेन्नई और मैसूर के बीच में अधिकतम 320 किलोमीटर प्रति घंटे की रफ्तार पर 100 मिनट के आसपास पूरी की जाएगी|
इस मौके पर रेलवे बोर्ड के चेयरमैन अश्विनी लोहानी ने कहा जर्मनी ने फिजीबिलिटी रिपोर्ट सौंप दी है. अब इसका अध्ययन भारतीय रेलवे के अधिकारी करेंगे और इसके आधार पर उचित फैसला किया जाएगा. चेन्नई-बेंगलुरु-मैसूर हाई स्पीड कॉरिडोर को आर्थिक तौर पर मुनाफे का सौदा बनाने के लिए जर्मनी ने सुझाव दिया है कि मौजूदा ट्रैक पर ही हाई स्पीड कॉरिडोर का ज्यादातर हिस्सा बनाया जाए|इससे जहां एक तरफ भूमि अधिग्रहण कम से कम करना पड़ेगा, वहीं मौजूदा संसाधनों का उचित इस्तेमाल हो पाएगा. इसके अलावा दूसरा महत्वपूर्ण सुझाव यह है कि हाई स्पीड कॉरिडोर में ब्रॉड गेज रेल लाइन बिछाई जाए. इससे रेलवे के मौजूदा ट्रैक और हाई स्पीड कॉरिडोर के बीच में ट्रेनों की आवाजाही हो सकेगी|इसी के साथ जर्मनी ने एक सुझाव और दिया है कि तिरुपति को भी हाई स्पीड कॉरिडोर से एडिशनल लाइन के द्वारा जोड़ा जाए जिससे ज्यादा से ज्यादा यात्री हाई स्पीड कॉरिडोर का इस्तेमाल कर सकेंगे और इससे इस प्रोजेक्ट की आर्थिक मजबूती बेहतर हो सकेगी|