मेरी तकलीफ़ ये है कि क्यों बीजेपी के दो महात्मा गाँधी हैं

ये लेख जो लिख रहा हूँ “मैं” दुनिया को इस बात से फर्क नही पड़ना चाहिए कि “मैं कौन हूँ” मेरा भेजा पका हुआ हुआ है और मैं टोटली कन्फ्यूज हूँ इस बात को समझने में कि कौन से महात्मा भारतीय जनता पार्टी के परमपूज्य हैं, और कौन से वे हैं जिन्हें बीजेपी एन्ड पार्टी से अनवरत नफ़रत ज़िल्लत और घृणा झेलनी पड़ती है।

आप मे से ज्यादातर लोगों का सोचना होगा कि प्रधानमंत्री जिन्हें मीडिया का एक खास वर्ग विश्व का सर्वश्रेष्ठ राजनेता सिध्द कर चुका है उनके द्वारा मन से माफ नही की गई भोपाल की सांसद प्रज्ञा ठाकुर का बयान ही एक मिसाल है जो भारतीय जनता पार्टी के किसी समर्थक के भीतर राष्ट्रपिता महात्मा गाँधी के लिए इतना कड़वाहट प्रदर्शित करती है तब तो आप बड़ी भूल में है यह तो एक तुच्छ सा उदाहरण मात्र है इस पूरी लंबी घृणित श्रृंखला का।

सौ उदाहरणों पर न जाकर केवल एक ही घटना याद करें जब हिंदू महासभा की पूजा शकुन पाण्डे ने गाँधी जी के पुतले को गोली मारी और फिर गाँधी के पुतले से नकली खून को बहता देखकर परमसुकून कि प्राप्ति की थी। पूजा शकुन पाण्डे ने ये सब उस दिन किया जिस दिन वे गोडसे की तथाकथित पुण्यतिथि मना रही थी जिसे वे और उनके साथी शौर्य दिवस के तौर पर मनाते आ रहे हैं।

हिन्दू महासभा का आज भी राम मंदिर से लेकर जेएनयू में उठते विवादों के साथ-साथ देश के हर मुद्दे पर सक्रिय रूप घृणित टिप्पणी करना परमसिद्द अधिकार है। यदि आप नही जानते हैं तो आपको जानना चाहिए ये प्रकांड विदूषी पूजा शकुन पाण्डे कई बार उत्तरप्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के करीब देखी गई हैं। जो स्वयं भी योगी के करीबी होने का दावा कर चुकी हैं। तब क्या कोई भी देशवासी यह जानता है कि उनके इस कृत्य का क्या उपहार या सजा उन्हें प्राप्त हुई।

सोशल मिडिया ने नागरिकों को अभिव्यक्ति के लिए अच्छा खासा मंच दिया है, फेसबुक ट्वीटर पर जाकर आप भलीभांति देख और समझ सकते हैं कि आज भारत मे गाँधी विरोधी सोच के ये एक दो लोग अकेले नही हैं। यकीन करना ही होगा कि नफ़रत में भी बहुत ताकत होती है। और नफ़रत करने और नफ़रत फैलाने वाले भी लगातार हमारे देश मे शक्तिशाली होते जाते हैं।

बहरहाल विविधताओं से लबालब भरे हुए भारत देश में न तो प्रेमियों की कोई किल्लत है न ही नफरतियों की कोई कमी लेकिन मैं बात कर रहा हूँ कि मुझे यह नही समझ में आता है कि एक ही राजनैतिक दल के दो-दो गाँधी आखिर क्यूँ हैं ! जनता को बताई जाने वाली आखिर क्या बात गलत है! और, क्या सही है! कैसे मोदी सरकार के स्वच्छता अभियान के ब्राण्ड एम्बेसडर गाँधी हैं और उनका चश्मा स्वच्छ भारत का ‘लोगो’ (Logo) बन जाता है और क्यों बेचारे देश भर के भाजपा नेताओं को पूरे 150 किलोमीटर पदयात्रा का फरमान मोदी सरकार महात्मा गाँधी की 150वीं जन्मजयंती के उपलक्ष्य में जारी कर देती हैं। क्यों नमो एप से लेकर मोदी सरकार द्वारा चलाये जाने वाले MyGov के सोशल मीडिया पेज महात्मा गाँधी के चित्रों और संदेशों से महीनों तक सराबोर दिखाई देते हैं। ये कौन से गाँधी हैं?

जरूर भारतीय जनता पार्टी के लिए ये वो वाले गाँधी हैं जिन्होंने काम खत्म हो जाने के बाद कांग्रेस को समाप्त कर देने की बात कही थी।

प्रश्न यह उठता है कि देश भर में जिस दौर के चलते मामूली पार्षद-नगरसेवक से लेकर विधायक, सांसद, मंत्री और मुख्यमंत्री सभी अपनी जीत का श्रेय देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के असाधारण व्यक्तित्व को देते हैं तब क्या किसी की मजाल हो सकती है कि मोदी द्वारा “मन से माफ” न करने के बाद भी हत्यारे गोडसे की प्रशंसा लगातार किये जाना और उसी पद पर बहाल रहना? नहीं.. क्योंकि जिस गाँधी से ये नफ़रत दिखा रहें यह भारतीय जनता पार्टी के लिए कोई दूसरे ही गाँधी हैं, हाँ वह गाँधी शायद सरदार पटेल के साथ नही हैं जो करीब हैं पंडित जवाहरलाल नेहरू के।

लगातार बदलती हुई राजनीति और हर दिन जन्म लेने वाली महत्वकांक्षाओं के इस तेज़ दौर गुज़र जाने के पश्चात यह सवाल इतिहास जरूर ही पूछेगा की आखिर क्यों भाजपा के दो-दो महात्मा गांधी थे।