आखिर भारत में पहले कौन बना पाएगा कोरोना वैक्सीन, कौन होगा ट्रायल में सफल?

यूरोप समेत पूरी दुनिया में कोरोना वैक्सीन का इंसानों पर पहला ट्रायल ब्रिटेन के ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी में शुरू हुआ था. ऑक्सफोर्ड की इसी वैक्सीन का भारत में उत्पादन शुरू हो चुका है. देश में सीरम इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया इस वैक्सीन के उत्पादन का काम कर रहा है. नवंबर तक ऑक्सफोर्ड की वैक्सीन के आखिरी नतीजे आने की उम्मीद है.

ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी में बन रही वैक्सीन का भारत में उत्पादन के साथ ह्यूमन ट्रायल भी होगा. भारत में करीब 1500 लोगों को यह वैक्सीन दी जाएगी. इस टेस्ट के नतीजे भी नबंबर तक आ सकते हैं. वैक्सीन को आने में अभी और कितना समय लगेगा इसका अंदाज़ा ही लगाया जा सकता है लेकिन भारत सरकार ने इनके सफल होते ही लोगों तक पहुंचाने की प्राथमिक तैयारी शुरू कर दी है.

सीरम इंस्टीट्यूट ने लगाए 20 करोड़


सीरम इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया के प्रमुख आदर पूनावाला ने एक अंग्रेजी न्यूज़ चैनल से बात करते हुए बताया कि इसके लिए उन्होंने 20 करोड़ डॉलर का निवेश किया है. इस फैसले को लेने में सिर्फ आधे घंटे का वक्त लगा. दरअसल ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी की वैक्सीन दूसरे चरण में भले ही पास हो गई हो लेकिन इसका फाइनल रिजल्ट सफल होगा या नहीं यह स्पष्ट तौर पर नहीं कहा जा सकता. ऐसे में अभी से वैक्सीन के करोड़ों डोज बनाकर रखना एक रिस्क भरा फैसला है.

ऑक्सफोर्ड और सीरम इंस्टीट्यूट का समझौता


नीति आयोग के सदस्य डॉ वी के पॉल ने मंगलवार को बताया था कि सरकार की ये कोशिश होगी कि वैक्सीन का परीक्षण सफल होते ही इसके उत्पादन और टीकाकरण का काम बड़े पैमाने पर शुरू कर दिया जाए. डॉ पॉल के मुताबिक़ भारत की आबादी के हिसाब से ये बहुत व्यापक काम होगा क्योंकि ये टीका देश के एक-एक व्यक्ति को देना होगा. साधारणतया कोई भी वैक्सीन बच्चों को एक खास उम्र तक ही दिया जाता है.

डॉ पॉल ने कोरोना वैक्सीन लोगों तक पहुंचाने के काम की तुलना देश में होने वाले चुनावों से की. उन्होंने कहा कि चुनाव में सरकार एक-एक व्यक्ति तक पहुंचती है उसी तरह टीकाकरण में भी पहुंचेगी. पिछले महीने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने वैक्सीन के तैयार होने के बाद उसे सभी लोगों तक पहुंचाने की तैयारी के सिलसिले में एक बैठक भी की थी.

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