राष्ट्रीय नागरिकता रजिस्टर (NRC) को लेकर अभी पूर्वोत्तर में बवाल थमा भी नहीं था कि केंद्र सरकार अब नागरिकता संशोधन बिल (CAB) लाने की तैयारी में है. मोदी कैबिनेट बुधवार को इस बिल को मंजूरी दे सकती है, जिसके बाद इसके संसद में पेश करने का रास्ता साफ हो जाएगा. बिल में बदलाव के साथ ही भारत में बसने वाले शरणार्थियों को मिलने वाली नागरिकता के कई नियम बदल जाएंगे, जिसका विपक्ष विरोध कर रहा है. इस बिल में क्या खास है, किस पर विपक्ष विरोध कर रहा है और क्या बदलाव होने जा रहे हैं, यहां समझें…
1. नागरिकता संशोधन बिल क्या है?
मोदी सरकार को संशोधन बिल ला रही है, वह नागरिकता अधिनियम 1955 में बदलाव करेगा. इसके तहत बांग्लादेश, पाकिस्तान, अफगानिस्तान समेत आस पास के देशों से भारत में आने वाले हिंदू, सिख, बौद्ध, जैन, पारसी धर्म वाले लोगों को नागरिकता दी जाएगी.
2. कैसे भारत की नागरिकता मिलना होगा आसान?
इस बिल के कानून में तब्दील होने के बाद अफगानिस्तान, श्रीलंका, बांग्लादेश, पाकिस्तान जैसे देशों से जो गैर-मुस्लिम शरणार्थी भारत आएंगे , उन्हें यहां की नागरिकता मिलना आसान हो जाएगा. इसके लिए उन्हें भारत में कम से कम 6 साल बिताने होंगे. पहले नागरिकता देने का पैमाना 11 साल से अधिक था.
3. बिल पर किस बात का विरोध हो रहा है?
इस बिल को लेकर विपक्ष केंद्र सरकार को घेर रहा है, जिसमें मुख्य विरोध धर्म को लेकर है. नए संशोधन बिल में मुस्लिमों को छोड़कर अन्य धर्मों के लोगों को आसानी से नागरिकता देने पर फैसला किया जा रहा है. विपक्ष इसी बात को उठा रहा है और मोदी सरकार के इस फैसले को धर्म के आधार पर बांटने वाला बता रहा है.
4. एनडीए में ही हो रहा है बिल का विरोध?
मोदी सरकार के लिए सबसे बड़ी मुश्किल ये है कि इस बिल का विरोध उसके घटक दल एनडीए में ही हो रहा है. पूर्वोत्तर में भारतीय जनता पार्टी की साथी असम गण परिषद ने इस बिल का खुले तौर पर विरोध किया है और कहा है कि इस बिल को लाने से पहले सहयोगियों से बात नहीं हुई है, जबकि बात करने का वादा किया गया था. असम गण परिषद असम सरकार में बीजेपी के साथ है.
5. पूर्वोत्तर में क्यों हमलावर हैं लोग?
अभी कुछ समय पहले ही नेशनल रजिस्टर ऑफ सिटीजन को लेकर असम समेत पूर्वोत्तर के अन्य राज्यों में भारी विरोध हुआ था. NRC के तुरंत बाद अब नागरिकता संशोधन बिल (CAB) लाया जा रहा है, जिसका विरोध हो रहा है. नॉर्थ ईस्ट स्टूडेंट्स ऑर्गेनाइजेशन की अगुवाई में पूर्वोत्तर के कई छात्र संगठनों ने इस बिल का विरोध किया था.
6. क्या बीजेपी को होगा राजनीतिक लाभ?
असम, बंगाल जैसे राज्यों में शरणार्थियों का मुद्दा काफी हावी रहा है. असम में विधानसभा चुनाव या देश में लोकसभा चुनाव से पहले बीजेपी ने NRC के मसले को जोर-शोर से उठाया था, जिसका उन्हें फायदा भी मिला था. अब जब पश्चिम बंगाल में चुनाव आने वाले हैं तो उससे पहले एक बार फिर CAB बिल पर भाजपा आक्रामक हो गई है. ऐसे में इस बिल को लेकर राजनीतिक मायने भी निकाले जा रहे हैं.
7. लोकसभा में हुआ था पास लेकिन…
इस बिल को सबसे पहले 2016 में लोकसभा में पेश किया गया था, जिसके बाद इसे संसदीय कमेटी के हवाले कर दिया गया. इस साल की शुरुआत में ये बिल लोकसभा में पास हो गया था लेकिन राज्यसभा में अटक गया था. हालांकि, लोकसभा का कार्यकाल खत्म होने के साथ ही बिल भी खत्म हो गया. यानी अब लोकसभा और राज्यसभा दोनों जगह बिल को दोबारा पेश किया जाएगा.