पकड़ा गया पाकिस्तान का झूठ, खुल गया आतंक के शीशमहल का राज

भारतीय वायु सेना ने हज़ार किलो बम कहां गिराया था? पाकिस्तान अभी तक लगातार ये दावे करता रहा कि बम जंगल में गिराए गए जिससे कोई नुकसानव नहीं हुआ. पाकिस्तानी मीडिया ने भी टीवी चैनलों पर जंगल, पहाड़ और टूटे दरख्त दिखा कर पाकिस्तानी सरकार की हां में हां मिलाया. लेकिन आज हम आपको दिखाते हैं कि आखिर जिस जगह बम गिरा था वहां था क्या? जी हां. जिसे पाकिस्तान पाकिस्तान जंगल बता रहा है, वो दरअसल आतंक का शीश महल था. शीश महल. यही नाम दिया था जैश के सरगना मसूद अज़हर ने अपने उस ट्रेनिंग कैंप का जिसपर बम गिरे. आतंक का ये महल कितना बड़ा और आलीशान था और बमबारी के बाद अब क्या हो गया. हम आपको बताते हैं.

वो कहते हैं 26 फरवरी को इंडिया ने जंगल में एयरस्ट्राइक की. तो फिर बालाकोट में ये आतंक का शीशमहल और मस्कीन महल किसका था. वो कहते हैं भारत के हमले में पेड़ और परिंदे मरे. तो फिर आतंक के महल में एक्टिव वो 280 मोबाइल फोन किसके थे. वो कहते हैं कि हमले की जगह पर आकर देख लो. कुछ नहीं हुआ. तो फिर ये मलबा ये टूटा सामान किसका था.

इंडियन एयरफोर्स पर उठने वाले हर सवाल का जवाब हैं वो तस्वीरें. जिनमें शीश महल, मस्कीन महल. वो इजाज़तनामा. वो रोड. वो हाई-वे. वो बड़ी-बड़ी बिल्डिंगें. मदरसा आयशा सादिक और अल रहमत ट्रस्ट किसके थे.

पाकिस्तान के खैबर पख्तून के बालाकोट में ये वही थ्री स्टार टेरर कैंप था, जिसे हिंदुस्तान ने नेस्तो नाबूत कर दिया. और जिसे पाकिस्तान जंगल बताकर इंडियन एयरफोर्स की स्ट्राइक से अपना पल्ला झाड़ने की कोशिश कर रहा था. आज इस जगह की तस्वीरें खुद चीख चीख कर कह रही है. हां ये ही वो आतंक का सबूत हूं जिसे दुनिया तलाश रही है.

जैश-ए-मोहम्मद का इसी टेरर ट्रेनिंग कैंप पर 26 फरवरी की रात भारतीय वायुसेना ने यलगार बोला. पाकिस्तान की राजधानी इस्लामाबाद से करीब 200 किमी की दूर और नेशनल हाईवे 15 के ज़रिए बालाकोट में आतंक के इस शीश महल तक पहुंचा जा सकता था. तस्वीरें उसी नेशनल हाईवे-15 की हैं.

अब 6 एकड़ में फैली फ़िदायीन फैक्ट्री को समझिए. जिसे आतंक का शीश महल कहा जाता था. दो मंज़िला इस इमारत में करीब 5 गुंबद और एक बेसमेंट थी. सामने से ये कुछ इस तरह दिखता था. सामने एक शाही गेट दिखाई पड़ता था. जिसमें छोटे बड़े करीब दर्जन भर मेहराब थे. जिसे आम ज़बान छोटा दरवाज़ा कह सकते हैं. और पीछे से आतंक का ये शीशमहल कुछ इस तरह दिखता था.

6 एकड़ के इस पूरे एरिये में शीश महल के अलावा दूसरी अहम जगह थी मस्कीन महल. इसके अलावा यहां आयशा सादिक नाम से एक मदरसा. फिज़िकल ट्रेनिंग के लिए एक बड़ा मैदान. आतंकियों के रुकने के लिए एक शानदार इजाज़तनामा. यानी कुल मिलाकर यहां 5 से 6 बिल्डिंगें थी. 600 से ज्यादा आतंकियों के साथ साथ जैश के कमांडर भी यहीं रहा करते थे. इसके अलावा यहां ये एम्युनिशन डंप भी था. जिसमें आतंक की ट्रेनिंग और धमाकों में इस्तेमाल होने वाले हथियार और बारूद जमा किया जाते थे.

भारतीय वायुसेना के हमले के बाद अब आतंक की ये पूरी सल्तनत मलबे का एक ढेर है जिसे पाकिस्तान पूरी दुनिया से छुपाने की कोशिश कर रहा है. उसके खुद के पत्रकार टीवी पर शीशमहल वाली जगह को छोड़कर जंगल दिखा रहे हैं. जबकि इटली की एक पत्रकार फ्रेंसिस्का मरिनो ने द वीक में लिखा है कि बालाकोट में तबाही के सबूत मौजूद हैं.

अब पाकिस्तान भले कहता रहे कि मौका-ए-वारदात पर जंगल था या झाड़ी उससे कोई खास फर्क पड़ने वाला नहीं है. क्योंकि भारतीय वायुसेना ने आतंकी कैंपों को तबाह कर के अपना टारगेट पूरा कर लिया है. और अब बारी है मसूद अजहर जिसका बचना भी बेहद मुश्किल है. क्योंकि मिशन अभी बाकी है.

अब इसे भारत की कूटनीति का कमाल कहें या फिर कुछ और अब पाकिस्तान को भी पुलवामा हमले के गुनहगार आतंकियों पर शिकंजा कसना ही पड़ रहा है. नई खबर ये है कि पाकिस्तान ने जैश-ए-मोहम्मद से जुड़े 44 आतंकवादियों को गिरफ्तार कर लिया है. और इनमें मसूद अजहर के भाई मुफ्ती अब्दुल रऊफ और हम्माद अजहर समेत कई खूंखार चेहरे शामिल हैं.

सच्चाई ये भी है कि इन आतंकियों के नाम भारत की ओर से पुलवामा हमले को लेकर पाकिस्तान को सौंपे गए डोज़ियर में भी शामिल हैं, लेकिन पाकिस्तान के आंतरिक मामलों के मंत्री शहरयार अफरीदी का दावा है कि ऐसा किसी दबाव के चलते नहीं हुआ है. बहरहाल, कार्रवाई दबाव में हो या फिर पाकिस्तान ने अपने आप की हो, इतना तो कहा ही जा सकता है कि पाकिस्तान हर रोज़ अपनी हरकतों से खुद ही बेनक़ाब हो रहा है.

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