बिहार: एक साल में तीन मुख्यमंत्री बने, लेकिन 100 दिन से ज्यादा नहीं कर सके राज

बिहार विधानसभा चुनाव में एनडीए ने एक बार फिर नीतीश कुमार के चेहरे के सहारे उतरने का फैसला किया है तो महागठबंधन की ओर से तेजस्वी यादव नेतृत्व कर रहे हैं. आजादी के बाद से करीब डेढ़ दशक तक बिहार में कांग्रेस का स्वर्णिम काल काल रहा, लेकिन इसी के बाद से राजनीतिक ग्राफ डाउन होना हुआ और 1967 में गैर-कांग्रेसी पार्टी की सरकार बन गई थी. ये बिहार की  सियासत में अस्थिरता का दौर रहा, जब एक साल में चार मुख्यमंत्री बने थे. इनमें से तीन सीएम तो महज 5 महीने के अंदर बने, लेकिन कोई भी 100 दिन से ज्यादा राज नहीं कर सका और आखिर में राष्ट्रपति शासन लागू करना पड़ा. 

बता दें कि 1967 के बिहार (संयुक्त) विधानसभा चुनाव में कांग्रेस को 318 में से 128 सीटें मिली थी जबकि संयुक्त सोशलिस्ट पार्टी को 68 सीटें मिली थी. इसके अलावा जनसंघ को 26, सीपीआई को 24, प्रजा सोशलिस्ट को 18, निर्दलीय 33 और 13 सीटें अन्य को मिली थीं. जन क्रांति दल के नेता महामाया प्रसाद सिन्हा मुख्यमंत्री बने, जिन्हें तमाम सोशलिस्ट और वामपंथी दलों के साथ-साथ जनसंघ ने भी समर्थन दिया था. महामाया प्रसाद एक साल का भी सफर पूरा नहीं कर सके और सरकार 28 जनवरी 1968 को गिर गई. 

इसके बाद बिहार में ऐसा अस्थिरता का दौर रहा कि कोई सीएम पांच दिन तो कोई 31 दिन ही मुख्यमंत्री रहा. महामाया प्रसाद सिन्हा के इस्तीफा देने के बाद संयुक्त सोशलिस्ट पार्टी की ओर से कांग्रेस के सहयोग से सतीश प्रसाद सिंह कुशवाहा ने सत्ता की कमान संभाली. 28 जनवरी 1968 को सतीश प्रसाद ने सीएम पद की शपथ ली और 1 फरवरी 1968 को इस्तीफा दे दिया. इसके बाद संयुक्त सोशलिस्ट पार्टी के बीपी मंडल सत्ता पर विराजमान हुए. बीपी मंडल ने एक फरवरी 1968 को मुख्यमंत्री पद की शपथ ली और 2 मार्च 1968 को उनकी सरकार गिर गई और उन्हें इस्तीफा देना पड़ा. इस तरह वो महज 31 दिन ही मुख्यमंत्री पद पर रह सके. 

बिहार में सोशलिस्ट पार्टी की सरकार गिरने के बाद कांग्रेस ने दलित नेता भोला पासवान शास्त्री के नेतृत्व में सरकार बनाई. 22 मार्च 1968 को भोला पासवान ने मुख्यमंत्री पद की शपथ ली, लेकिन 29 जून 1968 को उनकी सरकार गिर गई. इस तरह भोला पासवान के रूप में देश को पहला दलित मुख्यमंत्री मिला, लेकिन 100 दिन वो रह सके. इसके बाद बिहार में राष्ट्रपति शासन लग गया. 

बिहार में करीब पांच महीने के बाद कांग्रेस ने फिर सरकार बनाई और 1970 में मुख्यमंत्री हरिहर सिंह बने. हालांकि, इस बार भी सरकार नहीं चल सकी और गिर गई, जिसके बाद भोला पासवान फिर सीएम बने और महज 13 दिन के बाद इस्तीफा देना पड़ा और राष्ट्रपति शासन लगाना पड़ा.

हालांकि पांच महीने के बाद एक बार फिर 1970 में कांग्रेस ने वामपंथी दलों के जरिए सरकार बनाने की कवायद की और इस बार दरोगा प्रसाद यादव मुख्यमंत्री बने, लेकिन यह कार्यकाल भी सफल नहीं रहा और उन्हें एक साल का कार्यकाल पूरा करने से पहले ही इस्तीफा देना पड़ गया. इसके बाद सोशलिस्ट पार्टी के कर्पुरी ठाकुर सीएम बने लेकिन उन्हें भी करीब पांच महीने के बाद इस्तीफा देना पड़ा. इस तरह तीसरी बार भोला पासवान बिहार के सीएम बने और इस बार 222 दिन तक सत्ता पर बने रहे. 

Leave a Reply