भारत-चीन में रिश्ते कैसे होंगे सामान्य, चीनी विशेषज्ञ विक्टर गाओ ने कही ये बात

लद्दाख में LAC पर भारत-चीन की सेना के बीच हुई हिंसक झड़प के बाद से दोनों देशों में तनाव बना हुआ है. बीजिंग में सोशो यूनिवर्सिटी में चेयर प्रोफसर और चीन के दिवंगत नेता डेंग जियाओपिंग पर काम करने वाले विक्टर गाओ का मानना है कि राजनीतिक नेतृत्व के हस्तक्षेप से दोनों देशों के बीच कायम तनाव कम किया जा सकता है. उन्होंने उम्मीद जाहिर की कि राष्ट्रपति शी जिनपिंग और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के बीच जल्द ही टेलीफोन पर बातचीत हो सकती है.

विक्टर गाओ ने इंडिया टुडे से बातचीत में कहा, ‘प्रधानमंत्री मोदी और राष्ट्रपति शी जिनपिंग जल्द ही फोन पर बातचीत करेंगे क्योंकि अगर हम केवल सैन्य लोगों को ही एक-दूसरे से मोर्चे पर निपटने देंगे तो हमें शायद अधिक समस्या होगी. जब आपके पास दोनों देशों के दो नेता हैं जो वास्तव में अपने लोगों के हितों की परवाह करते हैं, जो शांति और विकास की परवाह करते हैं तो आपके पास एक बेहतर तरीका है, स्थिति को बेहतर ढंग से संभालना है.’

भारत और चीन पर डेंग जियाओपिंग की नीति को याद करते हुए विक्टर गाओ कहते हैं, ‘डेंग जियाओपिंग की विरासत शांति और विकास की विरासत है. यह वही है जो वास्तव में आज चीन और भारत के लिए जरूरी है. न तो भारत और न ही चीन वास्तविक नियंत्रण रेखा (LAC) पर अधिक जोखिम उठा सकते हैं.’ डेंग जियाओपिंग को आधुनिक चीन का निर्माता भी कहा जाता है.

इस सवाल पर कि चीन ने 15 जून की घटना से हताहतों की संख्या का खुलासा नहीं किया है, जहां भारत ने अपने 20 सैनिकों को खो दिया, उन्होंने कहा कि “पारदर्शिता” के “अलग रूप” हैं. विक्टर गाओ कहते हैं, “चीन में, जब पीएलए अधिकारियों ने इस घटना (हताहतों की संख्या) का खुलासा नहीं करने का फैसला किया है, तो इसका मतलब यह नहीं है कि अंततः इसका खुलासा नहीं होगा.”

चीनी सरकार और कंपनियों से अनुबंधों की समाप्ति और चीनी उत्पादों के बहिष्कार के आह्वान को विक्टर गाओ ने “दुर्भाग्यपूर्ण” और “खतरनाक” करार दिया. उन्होंने कहा कि, “अगर भारतीय लोग चीनी उत्पादों के बहिष्कार का फैसला करते हैं, तो उन्हें अंततः चीनी कंपनियों की तुलना में अधिक महंगे और कम गुणवत्ता वाले उत्पादों का उपभोग करना पड़ेगा. यह भारतीय उपभोक्ताओं और भारतीय लोगों के मौलिक हित के खिलाफ होगा. इसी तरह, चीन भारत से बहुत आयात करता है. मुझे उम्मीद है कि आयात भारत में और अधिक नौकरियां पैदा करने में मदद करेगा.”

हालांकि विक्टर गाओ यह भी कहते हैं, “मैं भारत सरकार से आग्रह करूंगा कि वह बुनियादी ढांचे और क्षमता के निर्माण पर ध्यान दे जो भारत के हित में होगा. यदि भारत चीनी टेक्नोलॉजी या उपकरणों का इस्तेमाल नहीं करता है और फिर भी उसी कीमत पर अपने लक्ष्य को हासिल कर सकता है, तो मेरे गेस्ट बनें,”

विक्टर गाओ ने डेंग जियाओपिंग की विरासत को लेकर अपनी बात समाप्त की. उन्होंने कहा, “अगर वह जीवित होते और भारत के साथ बातचीत करते तो वे कहते कि विकास मुख्य चीज है. अपने बुनियादी ढांचे का निर्माण करना होगा यह सुनिश्चित करने के लिए कि हर किसी को भोजन मिले, मुझे अच्छा लगा कि प्रधानमंत्री मोदी ने डेंग ज़ियाओपिंग को याद किया था और उनसे सीखने की इच्छा जाहिर की थी. मुझे उम्मीद है कि डेंग ज़ियाओपिंग न केवल चीन की भावी पीढ़ियों के लिए, बल्कि भारतीय लोगों के लिए भी एक प्रेरणा साबित हो सकते हैं. ”

विक्टर गाओ ने इन दो एशियाई देशों के बीच तनाव भड़काने के लिए अमेरिका की ओर इशारा करते हुए कहा, “चीन और भारत की प्रमुख चुनौती शांति और विकास है. अगर भारत और चीन दुश्मन बन जाएंगे तो दुनिया इसे खो देगी और यह आज की तुलना में बहुत अधिक खतरनाक दुनिया होगी. इसलिए, चीन और भारत दोनों के लिए शांति और विकास जुड़ा हुआ है.”

Leave a Reply