PM Modi को लेकर Australia के PM से पूछे गए ये तीखे सवाल

ऑस्ट्रेलिया के ओलंपिक पार्क में मंगलवार को ‘मोदी-मोदी’ के नारे लग रहे थे. इसी मौक़े पर एंथनी अल्बनीज़ ने पीएम मोदी की ख़ूब तारीफ़ की और उन्हें ‘बॉस’ कहा था.

दोनों नेताओं के बीच काफ़ी गर्मजोशी देखने को मिली.

लेकिन अब, जब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ऑस्ट्रेलिया के तीन दिवसीय दौरे से लौट आए हैं तो वहां के पीएम एंथनी अल्बनीज़ को इसी ‘गर्मजोशी’ पर कुछ तीखें सवालों का जवाब देना पड़ा है.

दरअसल, लेबर पार्टी के नेता एंथनी अल्बनीज़ ने मोदी के दौरे के बाद दो बड़े ऑस्ट्रेलियाई मीडिया हाउस को इंटरव्यू दिया, जिनमें उनसे पीएम मोदी को लेकर मानवाधिकार रिकॉर्ड और अल्पसंख्यकों से जुड़े सवाल पूछे गए.

अल्बनीज़ ने ये इंटरव्यू सनराइज़ और एबीसी को दिए थे, जिसे अब ऑस्ट्रेलियाई सरकार की वेबसाइट पर डाला गया है.

भारत में मोदी लोकप्रिय नेता हैं. लेकिन कई अंतरराष्ट्रीय मानवाधिकार संगठनों का यह भी कहना है कि भारतीय जनता पार्टी देश में अल्पसंख्यकों को निशाने पर रख रही है.

ऑस्ट्रेलिया के सरकारी प्रसारक एसबीएस की एक रिपोर्ट के अनुसार मोदी के दौरे से पहले ह्यूमन राइट्स वॉच और ‘द ग्रीन्स’ ने प्रधानमंत्री अल्बनीज़ से मोदी के सामने कांग्रेस नेता राहुल गांधी की सांसदी जाने सहित मानवाधिकारों से जुड़े अन्य मुद्दों को भी उठाने के लिए कहा था.

स्वतंत्र प्रेस को लेकर भी मोदी सरकार की नीति पर सवाल उठते रहे हैं. प्रेस की आज़ादी की रैंकिंग में भारत पीछे गया है.

अल्बनीज़ इसी साल मार्च में भारत दौरे पर आए थे. उस समय भी उनसे ऑस्ट्रेलियाई मीडिया ने भारत के मानवाधिकार रिकॉर्ड को लेकर सवाल किए थे, लेकिन अल्बनीज़ ने इन सवालों को नज़रअंदाज़ करते हुए, भारत के साथ गहरे आर्थिक रिश्तों पर ज़ोर दिया था.

‘संडे मॉर्निंग हेराल्ड’ ने एक रिपोर्ट में ये भी बताया है कि ऑस्ट्रेलिया में मौजूद भारतीय-मुस्लिम प्रवासी समूहों ने अल्बनीज़ से अपील की थी कि वो मोदी से प्रेस की आज़ादी के मामले में भारत के रिकॉर्ड और अल्पसंख्यकों के प्रति रुख़ सुधारने के लिए कहें.

लेकिन अल्बनीज़ ने चैनल 7 समूह के ‘सनराइज़’ टीवी के साथ इंटरव्यू में इस मांग को ये कहते हुए ख़ारिज कर दिया है कि “भारत की आंतरिक राजनीति पर टिप्पणी करना उनका काम नहीं है. एक लोकतंत्र के तौर पर भारत में अलग-अलग विचार वाले लोग रहते हैं.”

होस्ट डेविड कोच ने अल्बनीज़ से पूछा, “किसी को नीचा दिखाने के लिए नहीं. लेकिन बहुत से ऑस्ट्रेलियाइ नागरिकों की तरह मुझे भी हैरानी है कि ये अपने देश के 80 फ़ीसदी लोगों की पसंद कैसे हैं? ये असाधारण है. मैं जो देख रहा हूं वो चिंताजनक है. उन पर प्रेस को दबाने, अल्पसंख्यकों के ख़िलाफ़ भेदभाव और लोकतंत्र को कमज़ोर करने के आरोप हैं.”

थोड़े-बहुत बदलाव के साथ एबीसी के होस्ट माइकल रोलैंड ने भी अल्बनीज़ से कुछ और कड़े अंदाज़ में यही सवाल किया.

इस पर अल्बनीज़ ने कहा, “भारत बेशक दुनिया का सबसे बड़ा लोकतंत्र है. ये अब दुनिया की सबसे बड़ी आबादी वाला देश भी है और एक चीज़ जो बीते दशक में हुई है, वो है असाधारण स्तर पर लोगों को ग़रीबी से बाहर निकालना और अवसर पैदा करना.”

मानवाधिकार के मुद्दे पर क्या बोले अल्बनीज़

ऑस्ट्रेलियाई पीएम ने सिडनी के ओलंपिक पार्क में भारतीय मूल के क़रीब 20 हज़ार लोगों के बीच मोदी की तारीफ़ो के पुल बांधते हुए कहा था, “आख़िरी बार मैंने किसी को इस स्टेज पर देखा था तो वे ब्रूस स्प्रिंगस्टीन (अमेरिकी रॉकस्टार) थे और उन्हें भी वैसा स्वागत नहीं मिला था, जैसा प्रधानमंत्री मोदी को मिला है. प्रधानमंत्री मोदी बॉस हैं.”

जिस वक़्त यह समारोह चल रहा था, उसी समय किरबिली हाउस और एक-दो जगह मोदी के विरोध में प्रदर्शन हुए. किरिबिली हाउस ऑस्ट्रेलियाई पीएम का सरकारी आवास है.

एबीसी न्यूज़ के माइकल रोलैंड ने इन विरोध प्रदर्शनों का हवाला देते हुए अल्बनीज़ से पूछा, “ये स्पष्ट है कि सारा भारतीय-ऑस्ट्रेलियाई समुदाय मोदी के यहां आने से ख़ुश नहीं है. उन पर मीडिया, लोकतंत्र, अल्पसंख्यकों को दबाने के आरोप लगते हैं और क्या इससे आपको दिक्क़त महसूस नहीं होती?”

जवाब में अल्बनीज़ ने कहा, “यहां ऑस्ट्रेलिया में लोगों के पास शांतिपूर्ण तरीक़े से अपने विचार रखने की आज़ादी है और राजनेताओं के बारे में सबकी अलग-अलग राय होती है. ऑस्ट्रेलिया मानवाधिकारों के लिए हमेशा आवाज़ उठाता है, फिर वो दुनिया में कहीं का मामला हो.”

लेकिन क्या अल्बनीज़ इस मुद्दे को मोदी के सामने कभी उठाएंगे, इस पर उन्होंने थोड़ा अस्पष्ट सा जवाब दिया.

उन्होंने कहा, “एक काम जो मैं करता हूं, वो ये कि लोगों से निजी तौर पर संपर्क में रहता हूं. मैं ये अक्सर करता हूं. जो मैं नहीं करता, वो ये कि दुनिया के अन्य नेताओं के साथ संदेशों को लीक करना. मेरे पीएम मोदी और अन्य नेताओं के साथ बड़े सम्मानजनक रिश्ते हैं.”

रूस-यूक्रेन पर भारत का रुख़

बीते साल यूक्रेन पर रूस के हमले की निंदा करने वाले देशों में ऑस्ट्रेलिया आगे रहा है.

हालांकि, भारत ने कभी खुलकर रूस की निंदा नहीं की है.

जब एंथनी अल्बनीज़ से इसी को लेकर पूछा गया कि क्या इससे उन्हें कोई दिक्क़त नहीं तो उन्होंने कहा कि भारत अपने अंतरराष्ट्रीय संबंधों के लिए ज़िम्मेदार है और वो इसका सम्मान करते हैं.

लेकिन इस पर एबीसी न्यूज़ के एंकर ने उनसे और तीखा सवाल किया और पूछा कि अगर कभी चीन ताइवान पर हमला कर दे तो क्या उन्हें इस बात की चिंता होगी कि भारत उस वक़्त किस तरफ़ खड़ा होगा?

अल्बनीज़ ने हालांकि से इस पर टका सा जवाब देते हुए कहा, “सच्चाई ये है कि भारत ख़ुद चीन के साथ सीमा पर हो रही झड़पों को लेकर परेशान है. भारत एक ऐसा देश है जो राष्ट्रीय संप्रभुता और सभी देशों की सीमाओं का सम्मान करता है.”

इस तारीफ़ पर अल्बनीज़ से होस्ट ने पूछा कि भारत ने फिर रूस के यूक्रेन पर हमले की निंदा से मना क्यों किया?

ऑस्ट्रेलियाई पीएम ने इस पर कहा, “आप बीते साल जारी किए गए जी-20 के बयान को देखिए. उसमें भारत भी शामिल था. अब भारत जी-20 का अध्यक्ष है और वो इसमें बहुत अहम भूमिका निभाएगा.”

ऑस्ट्रेलिया चीन के मानवाधिकारों रिकॉर्ड के प्रति आलोचनात्मक रुख़ रखता आया है लेकिन भारत के सवाल पर उसका रुख़ डिफ़ेंसिव दिखता है.

इसीलिए देश के डिप्टी पीएम रिचर्ड मार्ल्स से एक कार्यक्रम के दौरान ये सवाल भी किया गया कि क्या ऑस्ट्रेलिया मानवाधिकारों के मुद्दे पर भारत के प्रति भी वही रवैया रखेगा, जो चीन के लिए रहता है.

हालांकि, इस पर मार्ल्स ने ये स्पष्ट किया कि ये दोनों देश बिलकुल अलग हैं.

उन्होंने कहा, “हम दो बिल्कुल अलग स्थितियों के बारे में बात कर रहे हैं. हमारे और भारत के मूल्य एक से हैं और भारत एक लोकतंत्र है.”

भारत और ऑस्ट्रेलिया के बीच बीते कुछ सालों में संबंध तेज़ी से प्रगाढ़ हुए हैं.

दोनों देशों के बीच व्यापार

भारत और ऑस्ट्रेलिया दोनों ही हिंद प्रशांत क्षेत्र में सहयोग बढ़ाने के लिए बने चार देशों के समूह ‘क्वॉड’ का हिस्सा हैं. इसके अलावा अमेरिका और जापान भी इसके सदस्य देश हैं.

भारत और ऑस्ट्रेलिया के तहत बीते साल मुक्त व्यापार समझौता हुआ था, जिसके तहत 23 अरब डॉलर का व्यापार ड्यूटी फ्री हो गया. साल 2021-22 में ऑस्ट्रेलिया में भारत का निर्यात 8.3 अरब डॉलर था और देश से आयात 16.75 बिलियन अमरीकी डॉलर था.

शिक्षा के क्षेत्र में भारत ऑस्ट्रेलिया का सबसे बड़ा सेवा निर्यातक है और साल 2021 में ऑस्ट्रेलिया को 4.2 अरब डॉलर की कमाई हुई है. साल 2022 अक्टूबर तक 57 हज़ार भारतीय वीज़ा लेकर ऑस्ट्रेलिया में पढ़ाई कर रहे हैं.

ऑस्ट्रेलिया और भारत महत्वपूर्ण खनिजों, स्वास्थ्य, प्रौद्योगिकी, विज्ञान और कृषि सहित कई क्षेत्रों में भी सहयोग बढ़ा रहे हैं.

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