वन नेशन वन इलेक्शन बिल लोकसभा में पेश, विपक्ष के विरोध पर सरकार ने क्या कहा?

देश में लोकसभा और विधानसभा चुनाव एक साथ कराए जाने से जुड़ा बिल मंगलवार को संसद के निचले सदन यानी लोकसभा में पेश कर दिया गया.

केंद्रीय क़ानून मंत्री अर्जुन मेघवाल ने संविधान (129वां संशोधन) विधेयक, 2024 और उससे जुड़े ‘संघ राज्य क्षेत्र विधि (संशोधन) विधेयक, 2024’ को सदन में पेश होने के लिए रखा.

बाद में केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने लोकसभा में कहा कि इस बिल को व्यापक विचार-विमर्श के लिए संयुक्त संसदीय समिति (जेपीसी) के पास भेजा जाएगा.

लेकिन विपक्षी पार्टियों ने इस विधेयक को पेश किए जाने का पुरज़ोर विरोध किया. लोकसभा में कांग्रेस के उपनेता गौरव गोगोई ने तर्क दिया कि इन दोनों विधेयकों से चुनाव आयोग को संविधान से इतर शक्तियां मिल जाएंगी.

लोकसभा में क्या हुआ

क़रीब 90 मिनट की चर्चा के बाद ये विधेयक क़ानून मंत्री अर्जुन राम मेघवाल ने पेश किया. इसे पेश किए जाने के लिए हुई ई-वोटिंग में पक्ष में 269 वोट पड़े और विरोध में 198 वोट डाले गए.

हालांकि, बिल को पेश करते हुए उन्होंने कहा कि ये विधेयक संविधान के मूलभूत ढांचे पर हमला नहीं है, जैसा कि विपक्ष दावा कर रहा है. उन्होंने कहा कि विधेयक का विरोध राजनीतिक वजहों से हो रहा है.

12 दिसंबर को प्रधानमंत्री मोदी की अध्यक्षता में केंद्रीय मंत्रिमंडल ने इस विधेयक को मंज़ूरी दी थी.

इसके बाद लोकसभा और विधानसभा चुनाव एक साथ कराने की ‘वन नेशन, वन इलेक्शन’ की सोच को आगे बढ़ाने के लिए ये क़दम उठाया गया है.

इस विधेयक पर चर्चा करते हुए केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने कहा, “जब इस संविधान संशोधन विधेयक पर कैबिनेट में चर्चा हुई, तब प्रधानमंत्री जी ने स्वयं मंशा व्यक्त की थी कि इसको जेपीसी को देना चाहिए. इस पर विस्तृत चर्चा, सभी स्तर पर होनी चाहिए.”

“मुझे लगता है कि इस पर सदन का ज़्यादा समय ज़ाया किए बग़ैर, अगर मंत्री जी (अर्जुन राम मेघवाल) कहते हैं कि इसको जेपीसी को सौंपने के लिए वह तैयार हैं, तो जेपीसी में चर्चा होगी. और जेपीसी की रिपोर्ट के आधार पर कैबिनेट इसको पारित करेगी, तब भी इस पर फिर चर्चा होनी है. मैं मानता हूं कि अगर जेपीसी में ये विधेयक रखने की इच्छा रखते हैं, तो यहीं पर ये चीज़ समाप्त होनी चाहिए.”

वहीं बिल पेश करने के बाद क़ानून मंत्री मेघवाल ने कहा, “ये संशोधन राज्यों को संविधान प्रदत्त शक्तियों को न तो कम करता है और न ही छीनता है. ये संशोधन एकदम संविधान सम्मत हम लेकर आए हैं.”

विपक्ष की ओर से संविधान के मूलभूत ढांचे पर हमले के आरोपों के बारे में क़ानून मंत्री ने कहा, “सर्वोच्च न्यायालय ने केशवानंद भारती केस में 1973 में इस संघीय ढांचे के बारे में बात की है. उसमें पाँच-सात बिंदु तय किए गए और बाद में और मामलों में भी इसमें और बिंदु जोड़े हैं.”

उन्होंने कहा कि इनमें से किसी भी बिंदु पर ये बिल आघात नहीं करता है.

क़ानून मंत्री ने कहा, “बेसिक स्ट्रक्चर में कहीं भी कोई छेड़छाड़ नहीं हो रही है.”

उनका कहना है कि इस विधेयक से न संघवाद पर कोई चोट हो रही है और न ही राज्यों की स्वायत्तता पर कोई असर पड़ रहा है.

सदन के बाहर केंद्रीय मंत्री प्रह्लाद जोशी ने कहा, “एक राष्ट्र, एक चुनाव देश की प्रगति के लिए है. पाँच साल में एक बार चुनाव होगा. पहले भी ऐसा ही था. 1952 से बहुत दशकों तक चुनाव ऐसे ही होते थे. कांग्रेस ने अनुच्छेद 350 का दुरुपयोग करके जो भी अपनी पार्टी की सरकारें नहीं थीं, उन्हें बर्ख़ास्त किया. इस पर (संशोधन विधेयक) जो कुछ भी आपका सुझाव है, विचार है तो आप बताइए लेकिन विरोध के लिए विरोध करना ठीक नहीं है.”

वन नेशन वन इलेक्शन पर बनी कमिटी के सुझाव

  • दो चरणों में लागू करना: चुनाव कराने की योजना दो चरणों में लागू हो.
  • पहला चरण: लोकसभा और सभी राज्य विधानसभाओं के चुनाव एक साथ कराए जाएं.
  • दूसरा चरण: आम चुनाव के 100 दिनों के भीतर स्थानीय चुनाव कराए जाएं.
  • समान मतदाता सूची: सभी चुनावों के लिए एक ही मतदाता सूची का इस्तेमाल हो.
  • विस्तृत चर्चा: इस मुद्दे पर देशभर में खुलकर चर्चा हो.
  • समूह का गठन: चुनाव प्रणाली में बदलाव को लागू करने के लिए एक ख़ास टीम बनाई जाए.

विपक्ष का क्या तर्क है ?

केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने जब इस विधेयक पर चर्चा ख़त्म करने को कहा तब लोकसभा में कांग्रेस के उपनेता और असम के जोरहाट से पार्टी के सांसद गौरव गोगोई ने इस पर प्रतिक्रिया दी.

उन्होंने कहा, “ये जो दो क़ानून हैं, संविधान और नागरिकों के वोट देने के संवैधानिक अधिकार पर आक्रमण है और इसका हम पुरज़ोर विरोध करते हैं. विरोध का आधार ये है कि इसमें चुनाव आयोग को ये ताक़त दी गई है कि वह राष्ट्रपति को अपना निर्णय दे सकते हैं कि कब निर्वाचन हो सकता है. कभी भी इससे पहले चुनाव आयोग को ऐसी ताक़त भारत के संविधान निर्माताओं ने नहीं दी.”

उन्होंने ये भी कहा कि चुनाव आयोग की सीमाएं अनुच्छेद 324 में हैं, जहाँ पर चुनाव की निगरानी, कंट्रोल, चुनाव नियम कैसे बनाएं जाने चाहिए वहीं तक ही चुनाव आयोग की क्षमताओं को सीमित रखा गया है.

गौरव गोगोई ने कहा कि इस संविधान संशोधन ने चुनाव आयोग को ग़ैर-क़ानूनी ताकत दी है. उन्होंने कहा कि राष्ट्रपति सिर्फ़ मंत्रि परिषद से परामर्श लेते हैं, वह कभी भी चुनाव आयोग से परामर्श नहीं लेते हैं, ये एक गैर-संवैधानिक ढांचा बनाया गया है.

ऑल इंडिया मजलिस-ए-इत्तेहादुल मुस्लिमीन के अध्यक्ष और हैदराबाद से सांसद असदुद्दीन ओवैसी ने कहा कि ‘ये बिल जम्हूरियत के लिए ख़तरा है. ये बिल संविधान के बुनियादी ढांचे के ख़िलाफ़ है और क्षेत्रीय दलों को ख़त्म करने का काम करेगा.’

वहीं, समाजवादी पार्टी के सांसद धर्मेंद्र यादव ने लोकसभा में कहा, “मैं संविधान के 129वें संशोधन अधिनियम का विरोध करने के लिए खड़ा हूं. मुझे समझ में नहीं आ रहा है कि अभी दो दिन पहले संविधान को बचाने की, संविधान की गौरवशाली परंपराओं की कसमें खाने में कोई कमी नहीं रखी. दो दिन के भीतर संविधान की मूल भावना और मूल ढांचे को ख़त्म करने के लिए संविधान संशोधन विधेयक लाए हैं.

आज़मगढ़ से समाजवादी पार्टी के सांसद धर्मेंद्र यादव ने कहा, “मैं अपनी पार्टी और अपने नेता अखिलेश यादव जी की ओर से कहना चाहता हूं कि ये बिल पूरे देश के अलग-अलग वेश, भाषाएं, संस्कृति की जो मान्यताएं हैं, जो हमारे संविधान निर्माताओं ने बहुत सोच-विचार और मंथन कर के ये संघीय ढांचा तैयार किया था. राज्यों का गठन किया था संस्कृति, क्षेत्र, भाषा, परिस्थितियों और समय के हिसाब से.. मुझे कहने में कोई संकोच नहीं है, उस समय के हमारे संविधान निर्माताओं से विद्वान, बाबा साहेब आंबेडकर से ज़्यादा विद्वान इस समय सदन में कोई नहीं है.”

वन नेशन वन इलेक्शन पर सांसद और आज़ाद समाज पार्टी के अध्यक्ष चंद्रशेखर आज़ाद ने कहा, “ये संघीय ढांचे पर हमला है. यह राज्य सरकारों के कार्यकाल और उनकी शक्तियों को कम करता है. जब भी संविधान के विरोध में कुछ होता है तो हम लोग उसके ख़िलाफ़ ही खड़े होते हैं. हम संविधान को मानने वाले लोग हैं. संविधान में जो स्ट्रक्चर बनाया गया है, उससे छेड़छाड़ करने की कोशिश सरकार लगातार कर रही है. जो सरकार अपने-अपने राज्यों और देश में भी ‘वन डे वन शिफ़्ट’ में एग्ज़ाम नहीं करवा पा रही है, वो वन नेशन वन इलेक्शन की हवाई बातें कर रही हैं.”

वायनाड से कांग्रेस सांसद प्रियंका गांधी ने कहा, “ये संविधान विरोधी बिल है क्योंकि ये हमारे देश के संघीय ढांचे के ख़िलाफ़ है. हम इस बिल का विरोध कर रहे हैं.”

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