उमा भारती के भतीजे राहुल लोधी की विधायकी गई

कांग्रेस की पराजित प्रत्याशी चंदा सिंह गौर की याचिका पर मध्य प्रदेश हाईकोर्ट ने बड़ा फैसला सुनाया है. बीजेपी विधायक राहुल सिंह लोधी का निर्वाचन शून्य घोषित मिल रहे लाभ को रोकने का निर्देश दिया.

मध्य प्रदेश की पूर्व मुख्यमंत्री उमा भारती (Uma Bharti) के भतीजे राहुल सिंह लोधी (Rahul Singh Lodhi) को बड़ा  झटका लगा है. मध्य प्रदेश हाईकोर्ट (MP High Court) ने टीकमगढ़ अंतर्गत खरगापुर विधानसभा सीट से बीजेपी विधायक (Kharagpur BJP MLA) के निर्वाचन को शून्य घोषित कर दिया है. राहुल सिंह लोधी तलवार से केक काट कर सुर्खियों में आ चुके हैं. हाईकोर्ट की जस्टिस नंदिता दुबे की सिंगल बेंच ने कांग्रेस की पराजित उम्मीदवार चंदा सुरेंद्र सिंह गौर की चुनाव याचिका पर आज फैसला सुनाया.

याचिकाकर्ता का कहना था कि राहुल सिंह लोधी ने चुनावी हलफनामे में गलत जानकारी दी है. हाईकोर्ट को बताया गया कि विधायक लोधी सरकार से लाभ अर्जित करने वाली फर्म में पार्टनर हैं. लोधी की फर्म एमपीआरडीसी में ठेकेदारी का काम करती है. नाम निर्देशन पत्र के हलफनामे में इस तथ्य को छिपाया गया था. याचिका में निर्वाचन शून्य घोषित कर नए सिरे से चुनाव कराने की मांग की गई थी. 

हाईकोर्ट ने कहा है कि आदेश की प्रति मध्य प्रदेश राज्य निवार्चन आयोग और भारत निर्वाचन आयोग को भेजा जाए और लोधी को मिल रहे विधायक संबंधी सभी लाभ रोके जाएं. खरगापुर विधानसभा क्षेत्र से कांग्रेस की पराजित प्रत्याशी चंदा सिंह गौर ने बीजेपी विधायक का नामांकन पत्र निर्वाचन अधिकारी की तरफ से नियम विरुद्ध स्वीकार करने का आरोप याचिका में लगाया गया था. हाईकोर्ट की जस्टिस नंदिता दुबे ने सभी तर्क सुनने के बाद आदेश में निर्वाचन अधिकारी वंदना राजपूत पर नियम विरुद्ध नामांकन मंजूर करने को लेकर तल्ख टिप्पणी की. उन्होंने उनके रवैये को लोक प्रतिनिधित्व अधिनियम की धारा-134 का उल्लंघन करार किया. याचिका में लोधी पर हाईकोर्ट की तरफ से लगाए गए 20 हजार जुर्माना की राशि भी चंदा सिंह गौर को भुगतान नहीं किए जाने का आरोप था.

याचिकाकर्ता चंदा सिंह गौर की ओर से अधिवक्ता शेषमणि मिश्रा ने हाईकोर्ट में पक्ष रखा. उन्होंने बताया कि पूर्व में चंदा सिंह गौर के विधायक निर्वाचित होने पर लोधी ने चुनाव याचिका दायर की थी. याचिका को 20 हजार रुपये जुर्माने सहित निरस्त किया गया था. हाईकोर्ट के निर्देश में लोधी को 20 हजार की राशि गौर को देनी थी, लेकिन उन्होंने ऐसा नहीं किया. उनका रवैया लोक प्रतिनिधित्व अधिनियम की धारा-100 के उल्लंघन की परिधि में आता है. इसलिए लोधी का निर्वाचन निरस्त कर दिया जाना चाहिए. इसके अलावा नामांकन पत्र भी दो जमा किए गए थे, जिनमें परस्पर विरोधाभासी जानकारी दी गई थी. ठेका कंपनी से पार्टनरशिप की जानकारी पूरी तरह छिपा ली गई थी.

Leave a Reply