मध्यप्रदेश में चुनावी वर्ष है और बाबा महाकाल की नगरी अवंतिका (उज्जैन) में भी चुनावी सरगर्मियां तेज़ है।
भाजपा और कांग्रेस दोनो ही पार्टियां जनता की नब्ज जानने में लगी हुई है। ओर जनता है की दोनो ही पार्टियों में चल रही टिकट की रस्साकसी का आनंद ले रही है।
वैसे जहा भाजपा से विधायक और ऊर्जा मंत्री पारस जैन यहा से दोबारा चुनाव लड़ने का मन बना चुके है वही उन्ही के कुनबे में खुल कर उनका विरोध भी होना शुरू हो गया है जहाँ एक तरफ भाजपा के ही कुछ अन्य नेता जो टिकट की दौड़ में है वो खुलकर जैन का विरोध कर रहे है वही जनता में भी जैन के प्रति रोष का भाव देखने को मिल रहा है। पारस जैन विगत 5 बार से यहां से चुनाव जीतते आरहे है और मध्यप्रदेश सरकार में अलग अलग विभाग में मंत्री पद सम्भाल चुके है वर्तमान में ऊर्जा मंत्रालय का दायित्व जैन के पास है जैन अगर चुनाव लड़ते है और जीतते है तो उनका कद भाजपा में ओर बढ़ जाएगा और मंत्री पद उनका तय माना जा रहा है। भाजपा से जैन के अलावा अनिल जैन कलुहेड़ा,सोनू गहलोत आदि टिकट की दौड़ में है परंतु पारस जैन के कद के आगे यह अपने को बोना महसूस कर रहे है इसलिए कोशिश कर रहे है कि किसी तरह पारस का टिकट काट किसी नए चेहरे को मौका मिले।
वही चुनावी वर्ष में उज्जैन उत्तर का रुझान कोंग्रेस के प्रति सकारात्मक नज़र आ रहा है। माना जा रहा है कि अगर कांग्रेस ने उज्जैन उत्तर में प्रत्याशी चुनने में कोई गलती न कि तो भाजपा को अपनी परंपरागत सीट से हाथ धोना पड़ सकता है। कांग्रेस से टिकट की दौड़ में इस बार मुख्यरूप से कुछ ऐसे चहरे सामने आ रहे है जिनका राजनेतिक इतिहास बहुत सुंदर रहा है , इनमे सबसे पहला नाम आज़ाद यादव का है, यादव 40 वर्षो से राजनीति में है। छात्रराजनीति से अपना सफर शुरू करने वाले यादव की छवि अपराजित योद्धा की मानी जाती है, क्योंकि अपने राजनैतिक जीवन मे यादव कभी भी कोई भी चुनाव नही हारे है। चाहे वह विक्रम यूनिवर्सिटी का अध्यक्ष पद हो या फिर पार्षद का चुनाव। यादव के नाम प्रदेश में लगातार सर्वाधिक बार चुनाव जीतने का कीर्तिमान भी स्थापित है । आज़ाद यादव के प्रति युवाओ में भी अनूठा उत्साह दिखाई पड़ता है, यादव का युवाओ में प्रभाव इसी बात से देखा का सकता है कि आज 40 वर्ष पश्चात भी माधव कॉलेज का चुनाव यादव समर्थक ही जीतते आ रहे है। आज़ाद यादव को शहर में अपनी बाईक पर भ्रमण करते कभी भी देखा जा सकता है जिसके कारण आमजन से उनका जीवंत जुड़ाव है और आमजन में भी यादव के प्रति विश्वास साफ दिखाई पड़ता है। उज्जैन उत्तर की जनता का मानना है कि यहाँ से कांग्रेस के लिए अजातशत्रु ओर अपराजित व्यक्तित्व वाले आज़ाद यादव उपयुक्त प्रत्याशी हो सकते है । यादव के अलावा टिकट की दौड़ में 3 बार से पार्षद माया राजेश त्रिवेदी का नाम भी आगे आया है ब्राह्मण समाज से आने वाली माया जातिगत आधार पर अपनी टिकट के लिए पुरजोर प्रयास कर रही है ओर माया को भी सशक्त उम्मीदवार के रूप में देखा जा रहा था परंतु पिछले कुछ दिनों में माया के प्रति समीकरण बदलते नज़र रहे है जहाँ एक तरफ ब्राह्मण महाकुम्भ के पहले ब्राह्मणों में उनके प्रति कुछ हद तक रोष दिखाई पड़ा है वही वार्ड 12 जहा से वह पार्षद है वहाँ की आमजनता भी माया से खासी नाराज़ नज़र आरही है कारण स्पष्ट है विधायक पद की दावेदारी के चक्कर मे माया ने अपने वार्ड से ही मुँह फेर लिया अब जब वार्ड 12 की जनता ने आवाज उठाई तो वार्ड 22 की जनता भी माया के विरोध में नज़र आने लगी जहा से माया पूर्व में पार्षद रह चुकी है वार्ड की जनता का कहना है कि जितने के बाद वार्ड की समस्याओं से मुँह मोड़ लेने वाली माया को इसका परिमाण भुगतना पड़ेगा और अगर माया को टिकट मिलती है तो वार्ड की जनता उनको बताएगी की जनता के मताधिकार का क्या महत्व होता है। वही सिंधिया के प्रदेश में बढ़ते कद के कारण कयास लगाए जा रहे है कि सिंधिया समर्थक राजेन्द्र भारती भी कांग्रेस का चुनावी चहरा हो सकते है परंतु पिछले कई वर्षों से भारती को नगर की राजनीति में खासी दिलचस्पी लेते नही देखा गया है।
ऐसे में देखना यह होगा कि आखिर दोनो ही पार्टी किसे अपना प्रत्याशी चुनती है, और फिर जनता पार्टियों के चुने प्रत्याशियों को कितना पसंद करती है।
Source: WhatsApp अवंतिका न्यूज़