
सार्वजनिक परिवहन और सरकारी वाहनों को इलेक्ट्रिक वाहनों में तब्दील करने के मामले की आज सुनवाई हुई. इस मामले में सुप्रीम कोर्ट से केंद्र सरकार ने जवाब दाखिल करने के समय मांगा. सुनवाई के दौरान चीफ जस्टिस एसए बोवडे ने कहा कि हम चाहते है कि केंद्रीय परिवहन मंत्री नितिन गडकरी कोर्ट में आकर यह बताएं कि समस्या कहां आ रही है.
इस पर एडिशनल सॉलिसिटर जनरल ने कहा कि अगर केंद्रीय मंत्री को सुप्रीम कोर्ट बुलाया जाएगा तो इसका राजनीतिक असर पड़ेगा. इस पर चीफ जस्टिस एसए बोवडे ने कहा कि कोर्ट ने फिलहाल ऐसा कोई आदेश पारित नहीं किया है. यह सुझाव है.
CJI बोले- इस निमंत्रण समझें
सीजेआई ने पूछा, ‘क्या परिवहन मंत्री आकर हमें जानकारी दे सकते हैं? इसे समन नहीं निमंत्रण समझें क्योंकि इलेक्ट्रिक वाहनों के बारे में योजना की साफ तस्वीर अधिकारियों से ज्यादा स्पष्ट उन्हें होगी.’
केंद्र सरकार को चार हफ्ते की मोहलत
सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार को 4 हफ्ते में मीटिंग कर इलेक्ट्रिक वाहनों से संबधित मामले में विचार करने के लिए कहा. सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि प्रदूषण को लेकर समझौता नहीं किया जा सकता है. कोर्ट ने कहा कि यह मामला न केवल दिल्ली-एनसीआर के लिए महत्वपूर्ण है, बल्कि पूरे देश के लिए महत्वपूर्ण है.
अपनी नीति का पालन नहीं कर रही सरकार
दरअसल, याचिका में आरोप लगाया गया था कि सरकार ने सार्वजनिक परिवहन और सरकारी वाहनों को इलेक्ट्रिक वाहनों में तब्दील करने की अपनी खुद की नीति का पालन करने के लिए पर्याप्त प्रयास नहीं किए. वरीष्ठ वकील प्रशांत भूषण ने कहा कि यह योजना वायु प्रदूषण पर रोक लगाने और कार्बन उत्सर्जन को सीमित करने के लिए तैयार की गई थी.
अब तक क्या-क्या कदम उठाए गए?
प्रशांत भूषण ने कहा कि इलेक्ट्रिक वाहनों की बैटरियों को ठीक से चार्ज करने के लिये बुनियादी सुविधायें विकसित करने की आवश्यकता है. पिछले साल मार्च में सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र को यह बताने के लिए कहा था कि इस योजना के क्रियान्वयन के लिए उसने अब तक क्या-क्या कदम उठाए हैं?