आठ मार्च को टीडीपी नेता और केन्द्रीय मंत्री पी. अशोक गजपति राजू (उड्डयन मंत्री) और वाई. एस. चौधरी (विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी मंत्री) ने अपने-अपने इस्तीफे प्रधानमंत्री को सौंप दिए थे। हालांकि तब इन दोनों मंत्रियों ने कहा था कि पार्टी अभी भी सत्तारूढ़ राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (राजग) का हिस्सा बनी रहेगी।
भाजपा को तगड़ा झटका देते हुए तेलुगू देशम पार्टी ने केन्द्र की नरेंद्र मोदी सरकार से अपना समर्थन वापस ले लिया है। एएनआई की रिपोर्ट के मुताबिक आंध्र प्रदेश के मुख्यमंत्री चंद्रबाबू नायडू ने TDP के नेताओं से टेलिकॉन्फ्रेंसिंग के बाद NDA से समर्थन वापसी का फैसला किया है। शिवसेना के बाद TDP बीजेपी की अगुवाई वाली केन्द्र की मोदी सरकार से समर्थन वापस लेने वाली दूसरी पार्टी है। केन्द्र सरकार से समर्थन वापसी के बाद तेलुगू देशम पार्टी ने नरेंद्र मोदी सरकार के खिलाफ आज (16 मार्च) अविश्वास प्रस्ताव लाने का फैसला किया है। टीडीपी आंध्र प्रदेश राज्य को विशेष राज्य का दर्जा देने की मांग कर रहा है। इससे पहले टीडीपी के दो मंत्रियों ने मोदी कैबिनेट से इस्तीफा दे दिया था। 8 मार्च को टीडीपी नेता और केन्द्रीय मंत्री पी. अशोक गजपति राजू (उड्डयन मंत्री) और वाई. एस. चौधरी (विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी मंत्री) ने अपने-अपने इस्तीफे प्रधानमंत्री को सौंप दिए थे। हालांकि तब इन दोनों मंत्रियों ने कहा था कि पार्टी अभी भी सत्तारूढ़ राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (राजग) का हिस्सा बनी रहेगी। लेकिन उत्तर प्रदेश उपचुनाव में बीजेपी की हार के बाद टीडीपी ने यह कदम उठाया है।
आंध्र प्रदेश के मुख्यमंत्री कार्यालय से जारी बयान में कहा गया है कि NDA ने आंध्र प्रदेश के साथ नाइंसाफी की। चंद्रबाबू नायडू ने ये फैसला टीडीपी के पोलित ब्यूरो की एक आपात बैठक में लिया, इस बैठक में वह वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिये पार्टी सांसदों और नेताओं से रूबरु हुए। बैठक में एकमत से मोदी सरकार के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव लाने का फैसला लिया गया। टीडीपी समेत आंध्र प्रदेश के सांसद राज्य को विशेष राज्य की दर्जे की मांग को लेकर लोकसभा में लगातार प्रदर्शन कर रहे हैं। इससे कई दिनों से सदन की कार्यवाही बाधित है।
बता दें कि आज ही YSR कांग्रेस पार्टी में इसी मुद्दे पर नरेंद्र मोदी सरकार के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव ला रही है। YSR कांग्रेस के सांसदों ने गुरुवार को इस बावत कांग्रेस नेता मल्लिकार्जुन खड़गे और माकपा नेता सीताराम येचुरी से मुलाकात की थी और उन्हें पार्टी अध्यक्ष जगनमोहन रेड्डी का एक पत्र सौंपा था। इस पत्र के जरिये जगनमोहन ने विपक्षी दलों से नरेंद्र मोदी के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव को समर्थन देने की अपील की है।
क्या है अविश्वास प्रस्ताव और प्रक्रिया
अविश्वास प्रस्ताव को लोकसभा में स्वीकृति दिलाने के लिए कम से कम 50 सांसदों का समर्थन ज़रूरी है। ख़ास बात ये है कि अगर ऐसा हुआ तो यह मोदी सरकार के खिलाफ पहला अविश्वास होगा।
बता दें कि कांग्रेस के कुल 48 सांसद हैं। चंद्रबाबू नायडू की पार्टी TDP के 16 और YSR कांग्रेस के 9 सांसद हैं। ऐसे में अविश्वास प्रस्ताव लाने के लिए जरूरी 50 का आंकड़ा विरोधी खेमे के पास मौजूद है।
भारतीय जनता पार्टी की बात करने तो इस प्रस्ताव से उसे पार्टी को विशेष नुक्सान नहीं होगा। लोकसभा में पार्टी के पास अकेले ही 274 सांसद हैं और बहुमत साबित करने के लिए 272 सांसदों का आंकड़ा होना चाहिए।
लोकसभा में क्या है समीकरण
543 सदस्यीय लोकसभा में फिलहाल 536 सांसद हैं। इसमें बीजेपी के 273 सदस्य हैं, जबकि सहयोगी दलों के 56 सदस्य हैं। फिलहाल की स्ट्रेंथ के हिसाब से बहुमत के लिए 536 सदस्यों के आधे से एक अधिक यानी 269 सांसदों के आंकड़े की जरूरत है।
ऐसे में बीजेपी अपने दम पर ही सरकार में बनी रह सकती है। यानी अगर अविश्वास प्रस्ताव स्वीकार कर भी लिया जाता है तो निश्चित तौर पर यह गिर जाएगा।