NDA के पांच वर्षो में 1. 2 लाख हेक्टेयर जंगल तबाह

महाराष्ट्र ने जुलाई 2016 में दो करोड़ पौधारोपण/वृक्षारोपण का लक्ष्य रखा था। सरकार ने अभियान को सफल बताया। महाराष्ट्र सरकार की साइट पर दावा है कि उस साल 2.82 करोड़ सैंपलिंग लगाए गए। जुलाई 2017 के पहले हफ्ते में चार करोड़ वृक्षारोपण का अभियान चला। सफल बताया गया। फिर 2019 तक 50 करोड़ सैंपलिंग लगाने के लक्ष्य की बात है। वेबसाइट पर 2018 के अभियान के लिए 13 करोड़ सैंपलिंग का टार्गेट रखा गया था। वन विभाग की साइट पर लिखा है कि इस अभियान मे 38 लाख से अधिक लोगों ने हिस्सा लिया और 15 करोड़ से अधिक सैंपलिंग लगा दिए।

अगर बीस करोड़ से अधिक पेड़ लगे तो इसकी ऑडिटिंग कैसे हो सकती है ? किसी को पता नहीं। मीडिया के पास दक्ष रिपोर्टर नहीं हैं और न दिलचस्पी है कि इस दावे का पता लगाए। अगर यह सफल अभियान है तब भी देश को बताया जाना चाहिए कि महाराष्ट्र में बीस करोड़ पेड़ लगे हैं। इस साल के लक्ष्य के हिसाब से पचास करोड़ सैंपलिंग हो जाएँगे।

क्या हम जानते हैं कि महाराष्ट्र के जंगलों में कितने पेड़ बचे हैं? पचास करोड़ पौधे तो नहीं बचे होंगे। जितने भी बचे हैं क्या उसकी सेल्फी लेकर लोग भेज सकते हैं? क्या सरकार उन 38 लाख लोगों से अपील कर सकती है कि पिछले साल जो लगा चुके हैं वो बचे हैं या नहीं, सेल्फी भेजें। बीस करोड़ सैंपलिंग के लगाने से वन क्षेत्र में क्या बदलाव आ रहा है, किसी को कुछ पता नहीं है।

एक रिपोर्ट के अनुसार 2014-2019 के बीच सवा लाख हेक्टेयर से अधिक के वन क्षेत्र ग़ायब हो गए। रफ्तार इतनी तेज़ थी की 2009-13 के बीच ग़ायब हुए वन क्षेत्रों से 36 प्रतिशत अधिक वनक्षेत्र लापता हो गए। सेल्फी विद सैंपलिंग टाइप के चर्चित कार्यक्रमों में हा हा ही ही करने से पहले मूल जानकारी पर भी ध्यान दीजिए।

Leave a Reply