मोदी से बगावत कर छोड़ी थी BJP, शिवसेना में भी रह चुके हैं MVA स्पीकर प्रत्याशी पटोले

महाराष्ट्र विकास अघाड़ी (MVA) को आज बहुमत साबित करना है. रविवार को विधानसभा अध्यक्ष का चुनाव होगा. शिवसेना-कांग्रेस-एनसीपी गठबंधन में स्पीकर का पद कांग्रेस के खाते में गया है और कांग्रेस ने नाना पटोले को उम्मीदवार बनाया  है. उन्होंने शनिवार को नामांकन दाखिल कर दिया. वहीं,  बीजेपी ने किसन कथोरे को अपना प्रत्याशी बनाया है. बता दें कि मोदी सरकार के खिलाफ बयान देने के बाद नानाभाऊ पटोले की छवि एक बागी के तौर पर ही उभरी थी.

नितिन गडकरी के खिलाफ लड़ा था चुनाव

2014 का लोकसभा चुनाव नाना पटोले ने बीजेपी के टिकट पर लड़ा था और एनसीपी के प्रफुल्ल पटेल को हराया था. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के खिलाफ बयानबाजी करने के बाद पटोले ने बीजेपी से इस्तीफा दे दिया और कांग्रेस जॉइन कर लिया. 2018 में नाना पटोले को किसान खेत मजदूर कांग्रेस का अध्यक्ष बनाया गया था. 2019 में नाना पटोले ने नितिन गडकरी के खिलाफ नागपुर लोकसभा सीट से चुनाव लड़ा था, लेकिन हार गए थे. फिलहाल, वह सकोली से विधायक हैं.

शिवसेना छोड़कर कांग्रेस में आए…

पहले शिवसेना से किनारा करने वाले पटोले ने कांग्रेस का दामन थामा, लेकिन 1992 में भंडारा जिल्हा परिषद के चुनाव में पार्टी उम्मीदवार मधुकर लीचड़े के खिलाफ निर्दलीय चुनाव लड़कर जीत हासिल की. हालांकि जल्द ही वे फिर से कांग्रेस में लौट आए और इसके बाद 1995 विधानसभा चुनाव में कांग्रेस छोड़ दी. लाखांदूर निर्वाचन क्षेत्र से नानाभाऊ पटोले पार्टी प्रत्याशी प्रमिला के खिलाफ खड़े जरूर हुए, लेकिन जीत बीजेपी के दयाराम की हुई.

कांग्रेस में वापसी के साथ पटोले ने 1999 और 2004 के विधानसभा चुनाव में लाखांदूर जीत हासिल की. साल 2009 में किसानों और विदर्भ के विकास के मुद्दे पर पटोले ने कांग्रेस से इस्तीफा दे दिया. उन्होंने निर्दलीय उम्मीदवार के तौर पर लोकसभा का चुनाव लड़ा और दूसरा स्थान हासिल किया. इस चुनाव में एनसीपी के प्रफुल्ल पटेल की जीत हुई, जबकि बीजेपी शिशुपाल पटले तीसरे नंबर रहे.

प्रफुल्ल पटेल को हराया

इसके बाद पटोले ने बीजेपी जॉइन कर ली और 2009 के विधानसभा चुनाव में सकोली सीट से जीत हासिल की. पटोले को विधानसभा में बीजेपी की उपनेता चुन लिया गया. 2014 के लोकसभा चुनाव में पटोले ने एनसीपी उम्मीदवार प्रफुल्ल पटेल को हराया था.

क्या था  पटोले-पीएम मोदी का मसला

मोदी के पहले कार्यकाल के तीन साल बाद नानाभाऊ पटोले प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर निशाना साधने लगे थे. पटोले ने नागपुर में हुए एक कार्यक्रम में आरोप लगाया था कि पीएम मोदी किसी की भी बात नहीं सुनते और पार्टी बैठक में पीएम ने उन्हें उस वक्त अपनी बात नहीं रखने दी थी, जब वो किसानों का मुद्दा उठा रहे थे.



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