इंटरनेट सेवाएं ठप करने के मामले में भारत दुनिया में अव्वल

केंद्र सरकार के 2019 में लिए गए कुछ फैसलों से देश में कई जगह विरोध प्रदर्शन हुए. कुछ जगह प्रदर्शनों ने हिंसक रूप भी धारण किया. इस साल पहले जम्मू और कश्मीर से  अनुछेद 370 के प्रावधान हटाने और हाल में नागरिकता संशोधन एक्ट (CAA) के अस्तित्व में आने पर देखा गया कि अफवाहों को रोकने के मकसद से प्रशासन ने कई जगह इंटरनेट सेवाओं को ठप किया.

 इंडिया टुडे की डेटा इंटेलिजेंस यूनिट (DIU) ने देश में इंटरनेट ठप होने वाले दिनों और इलाकों के आंकड़ों का विश्लेषण किया. इससे सामने आया कि आतंकी गतिविधियां और सांप्रदायिक हिंसा देश में इंटरनेट ठप  करने की दो सबसे बड़ी वजहें थीं. slfc.in और internetshutdowns.com के अनुसार देश में 2014 से अब तक 357 बार इंटरनेट सेवाएं ठप की जा चुकी हैं.

कब कब ठप हुई सेवाएं

भारत में 2014 में 6 बार इंटरनेट सेवाएं ठप की गईं. ये आंकड़ा 2015 में 14 हो गया. साल 2016 में इंटरनेट सेवाएं ठप करने का आंकड़ा बढ़कर 31 तक पहुंच गया. ये कदम सबसे ज्यादा 134 बार 2018 में उठाया गया. 2019 की बात की जाए तो इस साल 15 दिसंबर तक देश में 93 बार इंटरनेट सेवाएं ठप की जा चुकी हैं.

इंटरनेट सक्रियता पर आधारित वेबसाइट accessnow.com के Shutdown Tracker Optimization Project के आंकड़ों के अनुसार 2018 में भारत में 134 बार इंटरनेट सेवाएं ठप की गई जो कि दुनिया में सबसे ज़्यादा थी.  दुनिया में कुल इंटरनेट ठप करने की घोषणाओं में से 67 प्रतिशत भारत में ही हुई.

इस साल के आंकड़े भी भारत को इंटरनेट ठप करने वाला नंबर 1 देश बनाते हैं. 2019 में जनवरी से लेकर जुलाई तक पूरी दुनिया में 120 बार  ठप किया गया. इनमें 80 (67 प्रतिशत) बार तो भारत में ही ये कदम उठाया गया.  

कश्मीर में सबसे ज्यादा बार बंद की गई  इंटरनेट सेवा

DIU ने आंकड़ों को राज्य/क्षेत्र वार खंगाला तो पाया कि देश के कुल 167 इलाके इंटरनेट ठप होने से प्रभावित हुए थे. एक इलाका तभी प्रभावित हुआ जब वहां इंटरनेट ठप किया गया. उदाहरण के लिए यदि पुलवामा में 15 बार इंटरनेट ठप किया गया तो पुलवामा 15 बार प्रभावित इलाका साबित हुआ.





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