CAA पर भारत के साथ आया इजराइल, कहा- यह भारत का आंतरिक मामला

भारत में नागरिकता संशोधन कानून लागू हो गया है. जबकि देश के कई हिस्सों में नागरिकता कानून के खिलाफ विरोध भी हो रहे हैं. विपक्ष भी इस कानून को लेकर सरकार पर लगातार हमला बोल रहा है. उधर, भारत के नागरिकता संशोधन कानून के खिलाफ यूरोपीय संसद के कुछ सदस्यों द्वारा पेश किए गए प्रस्ताव पर बहस और मतदान होना है. ऐसे में सीएए कानून पर इजरायल ने भारत का साथ दिया है.

यूरोपीय संसद में नागरिकता संशोधन कानून के खिलाफ प्रस्ताव पेश किया गया है. अब इस पर बहस और मतदान होना है. इस बीच समाचार एजेंसी पीटीआई के मुताबिक इजराइल ने सीएए पर भारत का समर्थन किया है. इजराइल के साउथ एशिया की कॉन्सुल जनरल दाना कुर्श ने मंगलवार को कहा कि सीएए भारत का आंतरिक मामला है. ऐसे में भारत को पूरी आजादी है कि वह अपने नागरिकों को लेकर कोई भी फैसला कर सकता है.

यूरोपियन यूनियन की संसद में सीएए के प्रस्ताव पर पूछे गए सवाल के जवाब में दाना कुर्श ने कहा, ”हर देश को अपने आंतरिक मामलों पर फैसला लेने का अधिकार है और ऐसे में भारत अपने नागरिकों को लेकर कोई भी फैसला लेने का हकदार है. इसमें किसी दूसरे देश को दखल नहीं देना चाहिए.”

उन्होंने कहा कि भारत ने इजराइल को इस तरह के संकट में हमेशा साथ दिया है. इसलिए हम भी उसके साथ हैं. दाना कुश ने तमिलनाडु के एक कॉलेज में भारत-इजराइल ज्वाइंट कॉन्फ्रेंस में बोलते हुए ये बात कही.

प्रस्ताव के खिलाफ भारत ने जताया एतराज

नागरिकता संशोधन कानून (CAA) के खिलाफ प्रस्ताव लाने की रिपोर्टों पर भारत ने कड़ी प्रतिक्रिया जाहिर की थी. भारत ने यूरोपीय संघ (EU) से कहा कि यह हमारा आंतरिक मामला है. इस कानून को संसद में सार्वजनिक बहस के बाद उचित प्रक्रिया और लोकतांत्रिक माध्यमों द्वारा अपनाया गया है. हम उम्मीद करते हैं कि सीएए को लेकर आगे बढ़ने से पहले सही मूल्यांकन करेंगे और हमारे संपर्क में रहेंगे.

यूरोपीय संसद की पहल के खिलाफ भारत की आपत्ति

भारत ने यूरोपीय संसद की ओर से नागरिकता संशोधन अधिनियम (सीएए) के खिलाफ तैयार किए गए प्रस्ताव पर आपत्ति जताई है. यूरोपीय संसद के कुछ सदस्यों ने नागरिकता कानून के खिलाफ प्रस्ताव तैयार किया है, जिस पर यूरोपीय संसद में बहस और मतदान होगा.

यूरोपिय यूनियन संसद के 751 सांसदों में से 626 सांसद कुल 6 प्रस्ताव नागरिकता कानून और जम्मू-कश्मीर के संबंध में लेकर आए हैं. भारत के नागरिकता कानून पर यूरोपीय यूनियन के सांसदों ने चिंता जताई है. उनका कहना है कि इस कानून के जरिए सबसे बड़े स्तर पर लोगों की नागरिकता छीनी जा सकती है, जिसकी वजह से कई लोग राज्यविहीन हो जाएंगे.





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