प्री-प्लान, विदेशी हाथ: जानें जामिया हिंसा पर गृह मंत्रालय की रिपोर्ट में क्या

नागरिकता संशोधन एक्ट के खिलाफ दिल्ली के जामिया नगर इलाके में जो हिंसा हुई उसको लेकर पुलिस ने अपनी शुरुआती रिपोर्ट दे दी है. गृह मंत्रालय को दी गई इस शुरुआती रिपोर्ट में कई खुलासे हुए हैं, जिसमें हिंसा फैलाना प्री-प्लान दिख रहा था. इसके साथ ही जांच एजेंसियां इस हिंसा में विदेशी हाथ होने की भी जांच कर रही हैं.

गृह मंत्रालय को मिली शुरुआती रिपोर्ट में क्या..

गृह मंत्रालय के सूत्रों की मानें तो, दिल्ली पुलिस के द्वारा जो शुरुआती रिपोर्ट सामने आई है उसमें एंटी सोशल एलिमेंट के रोल की जांच की जा रही है. रिपोर्ट के मुताबिक, जो लोग यूनिवर्सिटी के किसी कोर्स का हिस्सा नहीं थे, वो भी इस प्रदर्शन में मुखर रूप से शामिल रहे.

अभी तक जो जांच हुई है, उसमें ऐसे करीब 40-50 लोगों की पहचान हो गई है. दिल्ली पुलिस और अन्य एजेंसियां इन 40-50 लोगों का प्रदर्शन में क्या रोल रहा है, उसकी जांच कर रही है.

राज्यों से भी सामने आई रिपोर्ट

सिर्फ दिल्ली पुलिस ही नहीं गृह मंत्रालय के पास देश के अलग-अलग राज्यों से भी प्राथमिक रिपोर्ट आनी शुरू हो गई है. जिन राज्यों में जो हिंसा हुई हुई उस आधार पर जो रिपोर्ट आई है, उसमें कुछ संगठित समूह का हाथ सामने आ रहा है जिन्होंने हिंसा को बढ़ाने का काम किया. साथ ही कानूनी एजेंसियां इस बात की भी जांच कर रही है कहीं इस हिंसा में विदेशी शक्तियों का हाथ तो नहीं था.

क्या बोली दिल्ली पुलिस?

शुरुआती जांच रिपोर्ट को लेकर दिल्ली पुलिस के डीसीपी कुमार ज्ञानेश ने कहा कि हिंसा का नेचर जो था वह बताता है कि ये प्री-प्लान था, क्योंकि जिस तरह से गीले कंबल का इस्तेमाल हुआ, पेट्रोल बम का इस्तेमाल हुआ वो ऑन स्पॉट नहीं हो सकता है.

उन्होंने कहा कि हिंसा को लेकर अफवाह फैलाई गई, सोशल मीडिया का इस्तेमाल किस तरह से हुआ है उसकी भी जांच होगी. हालांकि, अब दिल्ली के सभी इलाकों में माहौल शांत हैं.

अभी तक 10 हुए हैं गिरफ्तार

बता दें कि दिल्ली के जामिया इलाके में हिंसा को लेकर अभी तक दिल्ली पुलिस ने 10 लोगों को गिरफ्तार किया है. इसके अलावा जो वायरल वीडियो फैलाए जा रहे हैं, उनकी जांच की जा रही है.

नागरिकता संशोधन एक्ट के खिलाफ जामिया के छात्रों ने प्रदर्शन किया था, लेकिन इसके बाद इस प्रदर्शन ने हिंसक रूप ले लिया था. प्रदर्शन जब जामिया कैंपस से बाहर पहुंचा तो कई पब्लिक प्रॉपर्टी को नुकसान पहुंचाया गया. जामिया हिंसा का मामला सुप्रीम कोर्ट भी पहुंचा है, हालांकि सर्वोच्च अदालत ने सभी याचिकाकर्ताओं को हाईकोर्ट जाने की सलाह दी है.




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