हार पर गौतम गंभीर की सफ़ाई सभी को घरेलू क्रिकेट खेलना चाहिए, सुनील गावसकर क्यों भड़के

ऑस्ट्रेलिया ने दस साल बाद बॉर्डर-गावसकर ट्रॉफ़ी जीती और इस जीत के चलते भारत लगातार पांचवीं बार ट्रॉफ़ी जीतने से चूक गया.

इस पूरी सिरीज़ के दौरान भारतीय टीम की बल्लेबाज़ी सवालों के घेरे में रही. ख़ासतौर पर रोहित शर्मा और विराट कोहली जैसे सीनियर बल्लेबाज़, जिन्होंने उम्मीद के मुताबिक़ प्रदर्शन नहीं किया.

सिरीज़ के ख़त्म होने के बाद मुख्य कोच गौतम गंभीर प्रेस कॉन्फ्रे़स की और इस दौरान उन्होंने टीम और खिलाड़ियों के प्रदर्शन से जुड़े जवाब दिए.

Gautam Gambhir's clarification on defeat, why Sunil Gavaskar got angry

मैच ख़त्म होने के बाद पूर्व भारतीय कप्तान सुनील गावसकर नाराज़ दिखे और बिना नाम लिए कोचिंग स्टाफ़ और सीनियर खिलाड़ियों की जमकर आलोचना की.

‘सभी को घरेलू क्रिकेट खेलना चाहिए’

रोहित और विराट कोहली ने इस सिरीज़ में निराश किया और क्रिकेट फ़ैन्स के साथ पूर्व क्रिकेटरों की तरफ़ से उनके घरेलू क्रिकेट में खेलने की बात उठी.

इस सिरीज़ के पांच मैच में विराट ने नौ पारियों में कुल 190 रन बनाए हैं. इसमें पहले टेस्ट की एक नाबाद शतकीय (100) पारी भी शामिल है.

प्रेस कॉन्फ्रे़स के दौरान गंभीर से भी घरेलू क्रिकेट और सीनियर खिलाड़ियों से जुड़ा सवाल पूछा गया. इस पर गंभीर ने कहा कि सभी खिलाड़ियों को घरेलू क्रिकेट खेलना चाहिए.

गौतम गंभीर ने कहा, “मैं हमेशा चाहता हूं कि सभी खिलाड़ी घरेलू क्रिकेट खेलें. अगर आप लाल गेंद से क्रिकेट खेलने के प्रति प्रतिबद्ध हैं तो घरेलू क्रिकेट खेलें. अगर आप घरेलू क्रिकेट को महत्व नहीं देते हैं तो आपको कभी भी मनचाहे परिणाम नहीं मिलेंगे जो आप टेस्ट क्रिकेट में चाहते हैं.”

रोहित ने इस सिरीज़ में तीन मैच खेले और बल्लेबाज़ी में वो अपना कोई ख़ास प्रभाव नहीं छोड़ पाए. सिरीज़ की पांच पारियों में उन्होंने सिर्फ़ 31 रन बनाए और इस दौरान उनका सर्वश्रेष्ठ 10 रन रहा.

घरेलू क्रिकेट खेलने पर सुनील गावसकर ने भी प्रतिक्रिया दी है.

उन्होंने कहा कि ’23 जनवरी से रणजी ट्रॉफ़ी का अगला मैच है, मैं देखना चाहता हूं कि कितने खिलाड़ी उसमें खेलते हैं.’

‘कोचिंग ने क्या चार चांद लगाए?’

मैच के बाद सुनील गावसकर अपने साथी कमेंटेटरों से चर्चा कर रहे थे और इस दौरान उनकी नाराज़गी साफ़ देखी जा सकती थी.

गावसकर ने कहा, “क्रिकेट में एक कहावत है कि गेंदबाज़ मैच जिताते हैं लेकिन मेरा मानना है कि पूरी टीम मैच जिताती है. पूरी सिरीज़ में बल्लेबाज़ों ने निराशाजनक प्रदर्शन किया और यही वजह है कि भारत को हार का सामना करना पड़ा.”

गावसकर ने रोहित और विराट का नाम लिए बगैर कहा कि बड़े नाम वाले बल्लेबाज़ों ने कुछ नहीं किया.

गावसकर ने तंज़ कसते हुए कहा कि कोचिंग स्टाफ़ से सवाल पूछने चाहिए कि आपने क्या चार चांद लगाए हैं?

सुनील गावसकर ने कहा, “ऑस्ट्रेलिया के बल्लेबाज़ जब बैटिंग कर रहे थे तो हमारे गेंदबाज़ क्या कर रहे थे. यहां पर कोचिंग स्टाफ़ का रोल अहम होता है. खिलाड़ी गर्मी में मैदान में खेल रहे होते हैं ऐसे में आपको भी तय करना होता है कि क्या करना है. सिर्फ़ थ्रो डाउन करने से काम नहीं चलेगा.”

गंभीर से प्रेस कॉन्फ़्रेंस में पूछा गया कि एक कोच के रूप आपका माइंडसेट कैसा होता है?

इस पर गंभीर ने कहा, “हर खिलाड़ी को पता होता है कि उसका गेम कहां पर है क्योंकि अंत में न ये मेरी टीम है और न ही किसी खिलाड़ी की टीम है. ये देश की टीम है. हमारे ड्रेसिंग रूम में कई अच्छे खिलाड़ी हैं जो जानते हैं कि उनमें कितनी भूख है और क्या उनके योगदान से टीम आगे जा सकती है.”

“जहां तक मेरा सवाल है मेरी सबसे बड़ी ज़िम्मेदारी सबके प्रति ईमानदार रहना है. न कि एक या दो खिलाड़ियों के लिए. अगर मैं एक या दो खिलाड़ियों के प्रति ईमानदार रहता हूं तो मैं अपनी ज़िम्मेदारी से न्याय नहीं कर रहा हूं.”

‘हमारे पास मौक़े थे’

गौतम गंभीर का कहना है कि उनके पास सिरीज़ जीतने के मौक़े थे और वो ग़लती स्वीकार करने के लिए तैयार हैं.

गौतम गंभीर ने कहा, “ऐसे नहीं था कि सिरीज़ में हमारे पास मौक़े नहीं थे. जिस तरह से हमने जीत के साथ सिरीज़ की शुरुआत की और फिर पिंक बॉल टेस्ट मैच ड्रॉ किया. अगर हम यहां पर 1-1 की बराबरी लाते तो शायद दबाव ऑस्ट्रेलिया पर और ज़्यादा हो सकता था.”

सिडनी टेस्ट के बारे में गंभीर ने कहा, “हमने 185 पर ऑलआउट होने के बाद लीड ली और अगर हमने दूसरी पारी में अच्छी बैटिंग की होती, अगर 250-275 रन का टारगेट दिया होता तो शायद चीज़ें मुश्किल हो जातीं.”

गंभीर का कहना है कि बॉलिंग या बैटिंग किसी एक डिपार्टमेंट को दोष देना सही नहीं है, अगर आगे जाकर सही करना है तो सभी डिपार्टमेंट में बेहतर करना होगा.

बतौर कोच गौतम गंभीर का रिकॉर्ड

गौतम गंभीर को जुलाई 2024 में भारतीय टीम का मुख्य कोच बनाया गया था. इसके बाद उनकी कोचिंग में टीम इंडिया का प्रदर्शन मिला-जुला रहा.

गंभीर के कोच बनने के बाद अगस्त में टीम इंडिया ने श्रीलंका का दौरा किया. यहां वनडे सिरीज़ में श्रीलंका ने इतिहास रचते हुए भारत को 27 साल बाद हराया और 2-0 से सिरीज़ जीती थी. गंभीर की कोचिंग में टीम की यह पहली हार थी.

अक्तूबर में भारत ने न्यूज़ीलैंड के ख़िलाफ़ घरेलू टेस्ट सिरीज़ खेली और इसमें भारत को 2-0 से क्लीन स्वीप का सामना करना पड़ा. 12 साल बाद भारत को बतौर मेजबान टेस्ट सिरीज़ में हार मिली और न्‍यूज़ीलैंड की यह भारतीय सरज़मीं पर पहली टेस्‍ट सीरीज़ जीत थी.

सितंबर से अक्तूबर के बीच बांग्लादेश की टीम ने भारत का दौरा किया. इस दौरान बांग्लादेश ने दो टेस्ट और तीन टी-20 मैचों की सिरीज़ खेली. दोनों सिरीज़ में भारत ने बांग्लादेश को व्हाइट वॉश किया था.

ऑस्ट्रेलिया के ख़िलाफ़ हालिया बॉर्डर-गावसकर ट्रॉफ़ी में भारत की 3-1 से हार हुई और भारत वर्ल्ड टेस्ट चैंपियनशिप के फ़ाइनल में जगह नहीं बना पाया.

यह पहली बार है जब भारत वर्ल्ड टेस्ट चैंपियनशिप के फ़ाइनल में नहीं दिखेगा. अब तक दो बार डब्ल्यूटीसी का फ़ाइनल मुक़ाबला खेला गया है और दोनों बार भारत को हार मिली है.

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