By Vivek Ranjan Pandey: तुलनात्मक गरीबी एक बड़ी असुविधा है और पूर्ण गरीबी एक अभिशाप है । इसलिए मै क्या कोई भी गरीब होना पसंद नहीं करता सभी राष्ट्रीय धन का पीछा करते हैं , फिर भी कुछ लोग और कुछ राष्ट्र तुलनात्मक या पूर्ण गरीबी में क्यों जी रहे ? धर्म आपको खुश रहने का तरीका बता सकता है, पर वह ये बताने में असमर्थ है की गरीबी से उपजी नाखुशी को कैसे दूर किया जाये ?
राष्ट्र सिर्फ एक व्यवस्था है। राष्ट्र या उस के नागरिक अपनी बिगड़ी हुए परिस्थियों में नवाचार के रास्तों को आगे बढ़ाये और धन का सर्जन करें देश की गलत अर्थवयवस्था नीति की पटरी पर नवाचार के रस्ते रुक जाते हैं। देश के कानून परिस्थिति व जरुरत को बिना समझे ,किया गया श्रम संम्पत्ति को नहीं बढ़ाता जब की इनोवेशन बाजार की जररत की पूर्ति न कर सके । 10 सालों तक चीन के २% राष्ट्रीय growth में उस के धन को कलेक्टिव रूप से 14 गुना बढ़ाया इसलिए और चीन के गाओं गाओं के लोगों ने कठिन श्रम या इनोवेशन किया। यह आईडिया मूलतः Roberd D. Cooter and Hans Bernd Shafer की किताब में “Solomons Knot :How law can end the poverty of nation” ” इनोवेशन ,कानून व गरीबी” का hindi में अनुवाद जो मेरे द्वारा किया गया है , उससे लिया गया है। जो बताता है की व्यक्ति व राष्ट्र मे इनोवेशन या कानून व गरीबी की सहज समझ पैदा करते है तो वह इनोवेशन के द्वारा खुद की व देश की संपत्ति का सर्जन कर सकते है, क्योंकी कोई भी गरीब नहीं होना चाहता। गरीबी का कोई धर्म नहीं है जबकि धर्म से गरीबी का इलाज कठिन है । अतः बुद्धिमानी इसमे है की धन की गरीबी से निजाद पाया जाये।
अपनी सम्पति की सुरक्षा करना और उसे तेजी से बढ़ाना एक उत्तम लक्ष्य हो सकता है। जिसके विषय मे गर्व किया जा सकता है। समाज मे धन का सृजन को जब सम्मान व सुरक्षा मिलती है तब उसके नागरिक तेजी से इनोवेशन करते हैं और सभी के लिए आमिरि का रास्ता खुलते है । जैसा की चीन के राष्ट्रपति का नारा था की सभी को अमीर होने के लिए कुछ को तो पहले अमीर होना होगा । अतः कोरा समाजवाद व समानता समाज को भुखमरी मे भी झोक सकती है । इस लिए जब आप का मित्र अमीर हो रहा हो तो प्रेरणा लेकर सोचिये की आप का नंबर भी करीब है यदि आप की तैयारी पूरी है। क्योकि कोई भी गरीब नहीं होना चाहता ।