उज्जैन दक्षिण से चुनावी समीकरण

जहा एक तरफ उज्जैन उत्तर में चुनावी शोर साफ सुनाई दे रहा है वही उज्जैन दक्षिण भी इससे अछूता नही है।

वर्तमान विधायक मोहन यादव के अलावा यहा भी दोनों ही पार्टियों से उम्मीदवारो की सूची बड़ी लंबी है।

ओर हो भी क्यों न आखिर नगर के आधे से ज्यादा नेताओ ने अपना निवास स्थान पुराने शहर से बदल कर नए शहर में जो कर लिया है। वेसे तो पूर्व चुनाव देखे तो दक्षिण भी भाजपा की परंपरागत सीट मानी जा सकती है। परंतु भाजपा में चल रहा आपसी मनमुटाव व खीचतान भाजपा के गले की हड्डी भी बन सकता है। वैसे भी अपने एक बयान के कारण वर्तमान विधायक विवादों में घिरे है, वही पूर्व जिला अध्यक्ष इकबाल सिंह गांधी की दावेदारी भी कही न कही उनके लिए चिंता का विषय बनी हुई है। भाजपा से दक्षिण के लिए दावेदारी करने वाले नेता तो बहुत है पर मोहन यादव के अलावा इकबाल सिंह गांधी,प्रदीप पांडे एवं चंद्रविजय सिंह चौहान (छोटू बना) आदि मुख्य दावेदारों की सूची में जगह बनाते नज़र आ रहे है। अब देखना ये होगा कि क्या मोहन यादव सब पर भारी पड़ते है या फिर एक बयान से उपजा विवाद उनकी नया डुबो देता है।

वही कांग्रेस के खेमे पर नज़र डालें तो आमजन का मानना है कि दक्षिण में कांग्रेस ने हमेशा ही अपना उम्मीदवार चुनने में गलती की है। पूर्व के सभी चुनावो से तो यह स्पष्ट दिखाई भी देता है। ओर इसी का कारण है दक्षिण में कांग्रेस में अंदरूनी कलह साफ दिखाई दी है,ओर जिन्हें टिकट नही मिला उन्होंने निर्दलीय भी अपनी किस्मत आजमाई है। यह बात स्पष्ट है कि पूर्व में हुए एक चुनाव में राजेंद्र वशिष्ट ने निर्दलीय चुनाव लड़ा था और जीत ओर हर के अंतर में थोड़े ही मतो से पिछड़ गए इसका एक कारण ये भी था कि एक तरफ कांग्रेस का उम्मीदवार उनके कुछ मत ले गया तो दूसरी ओर निर्दलीय खड़े जयसिंह दरबार ने उनके मत कम कर दिए वरना दक्षिण से वशिष्ठ भाजपा का किला ध्वस्त करने में कामयाब हो सकते थे। एक बार पुनः राजेन्द्र वशिष्ठ टिकट की दावेदारी में लगे है ओर वे इस सीट के लिए प्रबल दावेदार भी माने जा रहे है क्योंकि वशिष्ठ का पूर्व चुनाव में दक्षिण में आमजन से अच्छा जुड़ाव देखा गया है ओर मना जा रहा है कि अगर उन्हें टिकट मिलता है तो कांग्रेस भाजपा के गढ़ में सेंध लगाने में कामयाब हो सकती है परंतु यह तभी संभव है जब आपसी फूट हावी ना हो। टिकट की दौड़ में वशिष्ठ का सबसे बड़ा मुकाबला है चेतन यादव से , चेतन ने अपनी सक्रियता कुछ समय से दक्षिण में बहुत ज्यादा बढ़ाई है सांस्कृतिक,धार्मिक कार्यक्रम हो या फिर जनमत का मंच चेतन हर संभव प्रयास कर रहे है दक्षिण की जनता के बीच गहरी पैठ बनाने की। पूर्व प्रदेश अध्यक्ष अरुण यादव के खेमे से आने वाले चेतन यादव ने भी बड़ी मजबूती से अपनी दावेदारी जताई है, परंतु अरुण यादव का प्रदेश में घटता कद कही न कही चेतन की टिकट में बाधा बन सकता है। वही सिंधिया खेमा भी अपनी अंदरूनी रूपरेखा तैयार कर रहा है। एक तरफ जहां सिंधिया गुट से वीनू कुशवाह सिंधिया जी के भरोसे अपने किस्मत आजमाना चाहते है, तो वही दूसरी तरफ अगर राहुल गांधी का युवा प्रत्याशी को मैदान में उतारने का फार्मूला दक्षिण में लागू होता है तो प्रबल उम्मीदवार के रूप में अमित शर्मा का नाम सामने आ सकता है।

अब देखना यह होगा कि दक्षिण में दोनो ही पार्टिया किस उम्मीदवार के भरोसे मैदान में उतरती

 

Source : WhatsApp AvantikaNews

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