कलकत्ता यूनिवर्सिटी पहुंचे राज्यपाल धनखड़ का विरोध, लगे गो-बैक के नारे

पश्चिम बंगाल के राज्यपाल जगदीप धनखड़ का कोलकाता में एक बार फिर विरोध शुरू हो गया. राज्यपाल जगदीप धनखड़ आज मंगलवार को कलकत्ता यूनिवर्सिटी में होने वाले दीक्षांत समारोह में हिस्सा लेने पहुंचे थे जहां उनके खिलाफ नारेबाजी की गई, इससे पहले पिछले महीने भी जाधवपुर यूनिवर्सिटी में गो बैक के नारे लगे और उनको अंदर घुसने नहीं दिया गया.

नागरिकता संशोधन कानून (सीएए) और राष्ट्रीय नागरिकता रजिस्टर (एनआरसी) का विरोध कर रहे छात्रों ने कलकत्ता यूनिवर्सिटी में राज्यपाल जगदीप धनखड़ की कार को घेर लिया और गो बैक की नारेबाजी शुरू कर दी, जिससे दीक्षांत समारोह बाधित हो गया.

जाधवपुर में भी लगे थे गो बैक के नारे

इससे पहले पिछले साल 24 दिसंबर में कोलकाता स्थित जाधवपुर यूनिवर्सिटी (जेयू) के नॉन टीचिंग स्टाफ ने राज्यपाल जगदीप धनखड़ को यूनिवर्सिटी के दीक्षांत समारोह में शामिल होने से रोकते हुए उन्हें वापस लौटने के झंडे दिखाए और उनकी कार आगे बढ़ने नहीं दी.

प्रदर्शनकारी पश्चिम बंगाल में सत्तारूढ़ तृणमूल कांग्रेस से संबद्ध थे. यूनिवर्सिटी के गेट संख्या पांच पर लगभग आधा घंटा इंतजार करने के बाद यूनिवर्सिटी के पदेन कुलाधिपति धनखड़ लौट गए.

धनखड़ की कार के यूनिवर्सिटी गेट पर पहुंचने पर भारी सुरक्षा व्यवस्था होने के बावजूद ‘गो बैक (बापस जाओ)’ के नारे लगते रहे. इस दौरान धनखड़ सारा बंगले शिक्षाबंधु समिति के सदस्यों के विरोध प्रदर्शन के कारण वहीं फंस गए. ये लोग ‘नो एनआरसी (राष्ट्रीय नागरिक रजिस्टर), नो सीएए (नागरिकता संशोधन कानून)’ लिखी तख्तियां भी लिए हुए थेधनखड़

राज्यपाल ने जताई थी नाराजगी

राज्यपाल धनखड़ ने इस घटना को राजनीति से प्रेरित बताया और कहा कि यहां कानून का बुरी तरह उल्लंघन हुआ है.’ उन्होंने ट्विटर पर कहा कि यूनिवर्सिटी के छात्रों को उनकी मेहनत का फल मिल सके, इसके लिए वहां गया था, जहां राजनीति से प्रेरित होकर मेरे प्रवेश पर रोक लगाई गई. इसके बाद इसमें कोई संदेह नहीं रह गया है कि यहां कानून का बुरी तरह उल्लंघन हुआ है.

अपने एक अन्य पोस्ट में धनखड़ ने आरोप लगाया कि उनका काफिला रोकने वालों की संख्या सिर्फ 50 थी. मुख्यमंत्री ममता बनर्जी को टैग करते हुए उन्होंने ट्वीट किया कि अवरोध करने वालों की संख्या सिर्फ 50 थी. सरकारी तंत्र को बंधक बना लिया गया और जिम्मेदार लोग अपनी जिम्मेदारियों से बेखबर हैं. कहीं भी कानून का राज नहीं है.

Leave a Reply