
आज हर किसी की नज़र दिल्ली के चुनावी नतीजों पर टिकी हुई है. लेकिन संसद के बजट सत्र ने भी हलचल तेज कर दी है. सोमवार देर शाम को भारतीय जनता पार्टी ने लोकसभा और राज्यसभा के अपने सांसदों को व्हिप जारी किया है. इस व्हिप के बाद ही सोशल मीडिया पर कयासों का बाजार गर्म होने लगा और कई तरह की अटकलबाजी भी लगने लगी. ट्विटर पर लोग यूनिफॉर्म सिविल कोड से लेकर दिल्ली को लेकर कुछ बड़े फैसले पर चर्चा करने लगे.
सांसदों को भाजपा का व्हिप
बजट सत्र के पहले हिस्से का आज आखिरी दिन है और आज ही के दिन दोनों सत्रों में वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण बजट पर हुई चर्चा का जवाब देंगी. ऐसे में भारतीय जनता पार्टी की ओर से दोनों सदनों के सदस्यों को व्हिप जारी किया गया, जिसमें सभी सदस्यों को सदन में उपस्थित रखने को कहा गया और सरकार का समर्थन करने को कहा गया.
बता दें कि इस बार बजट खत्म होने से पहले सरकार संसद में मनी बिल पेश करेगी. टैक्स से जुड़ा हुआ विवाद से संवाद बिल संसद में पास करवाया जाएगा, इसको लेकर भी व्हिप जारी किया जा सकता है.
सोशल मीडिया पर शुरू हुई अटकलबाजी
देर रात को जैसे ही भाजपा का व्हिप सामने आया तो ट्विटर पर लोग एक्टिव हो गए और तरह-तरह के कयास लगाने लगे. दरअसल, इससे पहले जब भी भाजपा ने हाल ही के दिनों में अपने सांसदों के लिए व्हिप जारी किया है तब कुछ बड़ा ही हुआ है.
फिर चाहे वो जम्मू-कश्मीर से अनुच्छेद 370 का हटना हो या फिर राम मंदिर के लिए ट्रस्ट के नाम का ऐलान हो. इसके अलावा नागरिकता संशोधन एक्ट के दौरान भी कुछ ऐसा ही हुआ था.
#UniformCivilCode would be reality v soon 👍👍👍 pic.twitter.com/hY3P2S79LO
— pravin shirke 108 🇮🇳 (@pravinshirke) February 10, 2020
ट्विटर पर क्या कह रहे हैं लोग?
बीजेपी के व्हिप जारी किए जाने के बाद सोशल मीडिया पर जो चर्चा चल रही है उसमें सबसे पहला नाम ‘यूनिफॉर्म सिविल कोड’ का है, जो कि भाजपा के कोर एजेंडे में रहा है. सोशल मीडिया पर एक कागज वायरल हो रहा है, जिसे संसद की कार्यवाही का हिस्सा बताया जा रहा है और उसमें यूनिफॉर्म सिविल कोड बिल 2020 का जिक्र किया गया है.
https://twitter.com/PatriotNiraj/status/1226931944794947584
One nation, one legislation….! #UniformCivilCode
— Amber Zaidi 🇮🇳 (@Amberological) February 10, 2020
इस बिल के अलावा जो चर्चा सोशल मीडिया पर सबसे तेज है कि दिल्ली के बॉर्डर में कुछ बदलाव किया जा सकता है. जिसमें बॉर्डर के इलाके का उत्तर प्रदेश में विलय, दिल्ली को लद्दाख की तरह केंद्रशासित बनाना जहां कोई विधानसभा ना हो.
हालांकि, इस तरह की सिर्फ अटकलें ही हैं. सरकार या पार्टी की ओर से किसी तरह की पुष्टि नहीं की गई है. ऐसे में जबतक किसी तरह की पुष्टि ना हो तो अटकलबाजी पर ध्यान देना सही नहीं होगा.