जिन SP अजय पाल शर्मा को हीरो बताया जा रहा, उन्होंने “रेपिस्ट” पर गोली चलाई ही नहीं

तारीख 22 जून. शनिवार रात. रामपुर में आए नए-नवेले एसपी अजय पाल शर्मा ने ऐसा काम किया कि एक दिन में सोशल मीडिया पर छा गए. कहा जाने लगा कि एसपी शर्मा ने छः साल की बच्ची के बलात्कार और हत्या के आरोपी को गोली मार दी. और सोशल मीडिया पर, फिर से, बात चल निकली कि बलात्कारियों के साथ यही होना चाहिए.

लेकिन कहानी थोड़ी-सी अलग है. थोड़ी बड़ी है. जानिये कि मामला क्या है? और गोली चली तो क्यों चली और किसने चलाई?

मामला यूपी के रामपुर जिले का है. रामपुर के सिविल लाइंस थाने में 7 मई 2019 को एक छः साल की लड़की ज़ाहिरा (बदला हुआ नाम) की गुमशुदगी की रिपोर्ट दर्ज कराई गयी. लड़की के पिता द्वारा दर्ज कराई गयी इस रिपोर्ट के बाद लड़की की खोजबीन शुरू हुई. लड़की रामपुर की कांशीराम आवास योजना में रहने वाली थी.

डेढ़ महीने तक लड़की का कोई पता न चल सका. लेकिन 22 जून को पतंग लूटने गए कुछ लड़कों ने कांशीराम आवास योजना के बगल के खंडहर में एक बच्ची का सड़ता हुआ शव देखा. बिना कपड़ों का शव पूरी तरह से काला पड़ चुका था. शिनाख्त हुई तो पता चला कि शव ज़ाहिरा का ही था.

अब आगे की कहानी पुलिस और स्थानीय मीडियाकर्मी बताते हैं. पुलिस को कांशीराम आवास योजना में ही रहने वाले नाज़िल पर शक था. नाज़िल ज़ाहिरा के घर के ठीक सामने रहता था. दबिश दी गयी. लेकिन नाज़िल नहीं मिला.

एफआईआर के अनुसार, गश्त के दौरान पुलिस को अपने मुखबिरों से सूचना मिली कि आरोपी नाज़िल को गांधी समाधि के पास के इलाके में देखा गया. जानकारी मिलते ही पुलिस मौके पर पहुंची. आरोपी नाज़िल ने पुलिस को देखते ही भागना शुरू कर दिया. पुलिस द्वारा दर्ज कराई गयी घटना की एफआईआर के अनुसार नाज़िल ने पुलिस पर फायरिंग की. नाज़िल ने पुलिस पर दो राउंड फायर किये, बदले में पुलिस ने भी नाज़िल पर गोली चलाई. कार्रवाई में नाज़िल के पैरों में गोली लगी. घायल नाज़िल गिरफ्तार हुआ. अब उसका इलाज मेरठ में हो रहा है.

मीडिया से बातचीत में लड़की के पिता ने बताया,

“मेरी 6 साल की बेटी के साथ आरोपी ने पहले हैवानियत का गंदा खेल खेला. बाद में पहचान छिपाने के डर से गला रेतकर उसकी हत्या कर दी.”

बातचीत में पुलिस ने बताया है कि हत्या के बाद आरोपी नाज़िल ने तेजाब से ज़ाहिरा के शव को जला दिया, जिससे पहचान न हो सके.

सिविल लाइंस थाने के अध्यक्ष राधे श्याम ने जानकारी दी,

“नाज़िल के पास से एक देसी तमंचा, दो ज़िंदा कारतूस और चले हुए कारतूस के दो खोखे बरामद हुए हैं. मौके पर नाज़िल अकेला था.”

पूछने पर कि कौन-कौन से पुलिसकर्मी थे, और पुलिस की ओर से किन-किन अधिकारीयों ने गोली चलाई और कितने राउंड गोली चलाई? और क्या एसपी अजयपाल शर्मा ने खुद गोली चलाई? राधे श्याम ने जवाब दिया,

“थाने के चार पुलिसकर्मियों के अलावा क्राइम ब्रांच की स्वॉट टीम के छह अधिकारी मौके पर मौजूद थे. पहले नाज़िल की ओर से देसी तमंचे से दो राउंड फायर किये गए. पुलिस की ओर से आत्मरक्षा में छह राउंड फायरिंग की गयी. इसके बाद घायल नाज़िल की गिरफ्तारी हुई.”

राधे श्याम ने आगे कहा,

“गोलीबारी की जानकारी मिलने पर एसपी अजय पाल शर्मा मौके पर पहुंच गए थे.”

इस घटना के बाद सोशल मीडिया के साथ-साथ खबरों में भी चल निकला है कि अजय पाल शर्मा ने खुद बलात्कारी को गोली मार दी. लेकिन सच कुछ और है. पुलिस की ही थ्योरी बताती है कि पुलिस ने बलात्कार के आरोपी को गोली तो मारी, लेकिन बलात्कार के अपराध के लिए नहीं, बल्कि गोली चलाने की जवाबी कार्रवाई में गोली मारी.

इसके अलावा मामले का सच ये है कि अजय पाल शर्मा ने खुद गोली नहीं चलाई.

घटना के तुरंत बाद मीडिया से बातचीत में एसपी अजयपाल शर्मा ने एक बार भी यह नहीं कहा कि उन्होंने खुद नाज़िल के पैरों में गोली मारी. जिस थाने में मामला दर्ज है, उसके थानाध्यक्ष राधेश्याम ने भी यह कहा है कि अजयपाल शर्मा ने गोली नहीं चलाई है. हमसे बातचीत में अजयपाल शर्मा ने भी इस बात को स्वीकार किया है.

पूरी घटना के दौरान एसपी रामपुर मौके पर मौजूद नहीं थे. बल्कि सूचना मिलने के बाद मौके पर पहुंचे थे. ऐसे में यह कहना कि एसपी अजय पाल शर्मा ने अपराधी पर गोली चलाई, गलत है. जब खुद एसपी साहब और रामपुर पुलिस इस बात को नकार रहे हैं.

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