पूर्व वित्त मंत्री और मोदी सरकार के पहले कार्यकाल में कार्यभार संभालने वाले अरुण जेटली का 66 साल की उम्र में निधन हो गया ह। उनको बीते 9 अगस्त को दिल्ली के एम्स में भर्ती करवाया गया था। बीते कई दिनों से उनको सांस लेने में तकलीफ हो रही थी लेकिन अस्पताल में भर्ती होने के बाद उनकी हालत लगातार बिगड़ती चली गई। उन्होंने शनिवार दोपहर दिल्ली एम्स में 12 बजकर सात मिनट पर आखिरी सांस ली। कई दिनों से अस्पताल में भर्ती जेटली का किडनी ट्रांसप्लांट भी हुआ था। बीते 18 महीनों से उन्हें स्वास्थ्य समस्याएं थीं। रिपोर्ट्स के मुताबिक अरुण जटेली का निधन टिश्यू कैंसर की वजह से हुआ है। जानें क्या है टिश्यू कैंसर….

सॉफ्ट टिशू कैंसर क्या होता है…..
आपको बता दें कि अरुण जेटली के बायें पैर में सॉफ्ट टिशू कैंसर हो गया है जिसकी सर्जरी के लिए जेटली जनवरी महीने में अमेरिका भी गए थे। बीते कई महीनों में वह कीमो के दौर से बाहर आने की कोशिश कर रहे थे। टिश्यू कैंसर ( सार्कोमा ) एक प्रकार का कैंसर है, जो हड्डियों या मांसपेशियों जैसे (टिश्यू) ऊतकों से शुरू होता है। हड्डी और कोमल ऊतक सार्कोमा के मुख्य प्रकार हैं। नरम ऊतक सार्कोमा वसा, मांसपेशियों, नसों, रेशेदार ऊतकों, रक्त वाहिकाओं, या गहरी त्वचा के ऊतकों जैसे सॉफ्टटिस में विकसित हो सकता है। वे शरीर के किसी भी हिस्से में पाए जा सकते हैं।

क्या होते है टिशू कैंसर के लक्षण
- शरीर में कोई भी सूजन या गांठ
- हड्डियों में दर्द
- लम्बे समय से कोई गांठ
- मांसपेशियों पर दबाव बनाए तो दर्द होना
क्या होते है कारण
यह कैंसर लोगों में तभी होता है जब कोशिकाएं डीएनए के भीतर विकसित होने लगती हैं। लगातार इनका आकार बढ़ता जाता है। डॉक्टर्स बताते है कि ये कोशिकाएं एक समय बाद नियंत्रण से बाहर हो जाती हैं। संचित असामान्य कोशिकाएं एक ट्यूमर बनाती हैं जो आस-पास की संरचनाओं पर बढ़ सकता है और असामान्य कोशिकाएं शरीर के अन्य भागों में फैल जाती हैं।
क्या है इसका इलाज
सॉफ्ट टिश्यू सर्कोमा के कई प्रकार होते हैं इसलिए इसके प्रकार, साइज और जगह के अनुसार इलाज कराना बहुत जरूरी है। इसके इलाज के लिए इमेजिंग टेस्ट, बायोप्सी, रेडिएशन, कीमोथेरेपी और ड्रग्स के जरिये इलाज किया जाता है। डॉक्टर्स कहते है कि सुबह की धूप से विटामिन डी मिलता है। कई रिसर्च इस बात को मानती हैं कि इससे कैंसर से बचने में मदद मिलती है। युवी किरणें विटामिन डी से भरपूर होती हैं और जब यह त्वचा पर पड़ती हैं, तो कैंसर से छुटकारा पाना आसान हो जाता है।