राहुल, केजरीवाल का एक मंच से मोदी पर हमला : किसान मुक्ति मार्च

हज़ारों की संख्या में किसान दिल्ली के संसद मार्ग की तरफ़ बढ़ रहे हैं. गुरुवार को देश भर से किसान अखिल भारतीय किसान संघर्ष मोर्चा समन्वय समिति (एआईकेएससीसी) के बैनर तले राजधानी दिल्ली के रामलीला मैदान में पहुंचे थे.

रामलीला मैदान से ये किसान संसद की तरफ़ कूच कर रहे हैं. इनकी मांग है कि देश को कृषि संकट से निकालने के लिए ठोस नीति बने. किसानों की कई मांगों में क़र्ज़ माफ़ी भी शामिल है. किसानों को अपना समर्थन देने कांग्रेस प्रमुख राहुल गांधी भी पहुंचे.

राहुल ने किसानों को संबोधित करते हुए कहा, ”आज भारत में किसान और नौजवानों के मुद्दे सबसे अहम हैं. मोदी सरकार ने 15 लोगों के साढ़े तीन लाख करोड़ क़र्ज़ माफ़ किए तो किसानों का क़र्ज़ क्यों नहीं माफ़ किया जा सकता. इस देश को कोई एक व्यक्ति, एक पार्टी नहीं बल्कि देश के किसान और मज़दूर चलाते हैं.”

राहुल ने कहा, ”हिंदुस्तान का किसान गिफ़्ट नहीं, अपना ह़क़ मांग रहा है. प्रधानमंत्री ने कहा था, सही दाम दिलाएंगे, बोनस मिलेगा, एमएसपी बढ़ाई जाएगी. आज हालत यह है कि आप बीमा भरते हो तो वो पैसा अनिल अंबानी के जेब में जाता है.”

किसानों की मांग है कि संसद का विशेष सत्र बुलाया जाए और वहां किसानों के कर्ज़ और उपज की लागत को लेकर पेश किए गए दो प्राइवेट मेंबर्स बिल पास करवाए जाएं.

एआईकेएससीसी का दावा है कि हाल के दिनों का यह सबसे विशाल प्रदर्शन है. रामलीला मैदान से संसद मार्ग तक 3000 से ज़्यादा सुरक्षाकर्मियों की तैनाती की गई है.

किसानों के विरोध-प्रदर्शन को दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने भी संबोधित किया. केजरीवाल ने कहा कि किसान भीख नहीं अपना हक़ मांग रहे हैं. केजरीवाल ने कहा कि स्वामीनाथन आयोग की सिफ़ारिशों को तत्काल लागू किया जाए.

दिल्ली के मुख्यमंत्री ने कहा कि अगर मोदी सरकार मांगें नहीं मानती है तो 2019 के आम चुनाव में ये किसान जवाब देंगे.

केजरीवाल ने कहा, ”शास्त्री जी ने जय जवान जय किसान का नारा दिया था, लेकिन बॉर्डर पर जवान और घर में किसान दुखी हैं. भाजपा ने वादा किया था कि स्वामीनाथन की रिपोर्ट लागू करेगी. किसानों को 100 रुपए में 50 रुपए मुनाफ़ा देगी. लेकिन दुख की बात यह है कि सुप्रीम कोर्ट में भाजपा की सरकार ने हलफ़नामा दायर किया है कि स्वामीनाथन आयोग की रिपोर्ट को लागू नहीं कर सकती.”

किसानों के प्रदर्शन को देश भर के कई राजनीतिक दलों का समर्थन मिला है. सीपीएम महासचिव सीताराम येचुरी, नेशनल कॉन्फ़्रेंस नेता फ़ारूक़ अब्दुल्ला, समाजवादी नेता शरद यादव और एनसीपी नेता शरद पवार भी किसानों के प्रदर्शन में पहुंचे.

राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी के प्रमुख शरद पवार ने किसानों को संबोधित करते हुए कहा, ”मैं वादा करता हूं कि हम अधिक संख्या में संसद में नहीं हैं लेकिन राज्यसभा और लोकसभा में इस बिल को पारित करवाने के लिए हमारे सभी साथी पूरा प्रयास करेंगे. जब तक यह क़ानून बनता नहीं तब तक मिलकर ऐसे ही कार्यक्रम होते रहेंगे. सभी कार्यक्रमों में हम आपका साथ देंगे.”

सीताराम येचुरी जब मंच पर पहुंचे तो लाल सलाम के नारों के साथ उनका स्वागत किया गया. येचुरी ने कहा, “दोनों बिल को मार्कवादी कम्युनिस्ट पार्टी की तरफ़ से पूरा समर्थन है. सरकार पर हमारा दबाव रहेगा कि इसे क़ानून बनवाना है. आज हमारे पास वोट की ताक़त है. इस सरकार को हटाएंगे और नई वैकल्पिक सरकार लाएंगे. बिना नीतियों के वैकल्पिक सरकार नहीं बनेगी, इसलिए वैकल्पिक सरकार को जनहित में, किसान हित में नीतियां बनानी होगी. चुनाव की बात आती है तो भाजपा और संघ के पास रामनाम के जाप का ब्रह्मास्त्र है. उन्होंने इसकी शुरुआत कर दी है.”

उन्होंने कहा, “मेहनतकश किसान अब एकजुट है. हम इन ताक़तों से देश को बचाएंगे. ये वोट बटोरने के लिए राम नाम का ग़लत इस्तेमाल करते हैं. महाभारत की कहानी भूल जाते हैं. महाभारत में कौरव कहते थे कि हम 100 भाई हैं. पांच पांडव कैसे हराएंगे. कौरवों के केवल दो भाइयों के नाम लोगों को याद हैं. दुर्योधन और दुःशासन. भाजपा इतनी बड़ी पार्टी है, ताक़त है लेकिन दो ही भाई याद हैं- नरेंद्र मोदी और अमित शाह. जैसे महाभारत में हराया गया था वैसे ही हम उन्हें हराएंगे. इन दोनों बिलों को क़ानूनों में तब्दील करेंगे.”

किसान के विरोध-प्रदर्शन का नेतृत्व कर रहे स्वराज इंडिया के प्रमुख योगेंद्र यादव ने कहा कि किसानों के साथ आने का मतलब है कि उनके दर्द का साझेदार बनना. योगेंद्र यादव ने कहा कि यह दर्द का रिश्ता ही है कि सारे झंडे एक साथ आ गए हैं.

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *