भाजपा के अंदर ही उठने लगे है विरोध और बगावत के सुर

प्रधानमंत्री मोदी की छवि में लगातार गिरावट जारी है जनता के बीच भी और पार्टी के भीतर भी.

भाजपा के ओवर कॉन्फिडेंस के भेंट चढ़ गई पीएम नरेंद्र मोदी की छवि, सांसद की दबी जुबान में राय- सबसे बड़ी लूज़र साबित हुई पार्टी.कुछ बीजेपी लीडर्स का मानना है कि शायद बीजेपी इस मामले में ओवर कॉन्फिडेंस में थी. पिछले गुरुवार तक, जब उद्धव ठाकरे एनसीपी और कांग्रेस के साथ अपनी बातचीत को आगे बढ़ा रहे थे, उस वक्त तक भी बीजेपी लीडरशिप को भरोसा था कि शिवसेना वैचारिक तौर पर समान बीजेपी से रिश्ते नहीं तोड़ेगी.

अजीत पवार से मिले झटके और शरद पवार के राजनीतिक कौशल से पस्त देवेंद्र फडणवीस ने मंगलवार को जब ऐलान किया कि वह अपना इस्तीफा देने के लिए गवर्नर के पास जा रहे हैं तो बीजेपी आलाकमान इस पूरे घटनाक्रम को टीवी पर दिल्ली में लाइव देख रहा था.इससे कुछ घंटे पहले, पीएम नरेंद्र मोदी, केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह और बीजेपी के कार्यकारी अध्यक्ष जेपी नड्डा ने संसद भवन स्थित पीएम के ऑफिस में बैठक की थी.

सूत्रों का कहना है कि फ्लोर टेस्ट से जुड़े सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद हुई इस बैठक के बाद हालात कुछ ऐसे थे कि नेताओं को फडणवीस के इस्तीफे पर विचार करना था. बीजेपी नेताओं का मानना है कि उन्हें इस तरह के राजनीतिक घटनाक्रम की कोई उम्मीद नहीं थी लेकिन वे जानते थे कि ‘कुछ भी मुमकिन है.

बीजेपी आलाकमान के लिए यह एक बड़े राज्य और देश की आर्थिक राजधानी में सत्ता का हाथ से फिसलना भर नहीं है. यह बीते 18 महीने में पार्टी की छवि पर लगा दूसरा बड़ा आघात है. दरअसल, कर्नाटक में तो सीएम बीएस येदियुरप्पा को शपथ लेने के तीन दिन बाद ही इस्तीफा देना पड़ा था क्योंकि उनके पास पर्याप्त संख्याबल नहीं था, हालांकि महाराष्ट्र में जो कुछ भी हुआ उस पचड़े में राष्ट्रपति और प्रधानमंत्री का भी दफ्तर लपेटे में आ गया. बता दें कि प्रधानमंत्री को मिले विशेष अधिकार का ही इस्तेमाल करके महाराष्ट्र में तड़के राष्ट्रपति शासन हटाया गया और सुबह-सुबह फडणवीस और अजीत पवार के शपथ ग्रहण का रास्ता साफ हो सका.

शिवसेना सार्वजनिक तौर पर बीजेपी पर निशान साध रही थी, लेकिन बीजेपी नेताओं को लग रहा था कि यह ‘मातोश्री के बेअसर हो रहे दबदबे को दोबारा कायम करने की कोशिश है और ठाकरे निवास पर बीजेपी के शीर्ष नेतृत्व का एक दौरा इस गतिरोध को खत्म कर देगा.

दोनों ही पार्टियों के नेताओं को लगता था कि शिवसेना का बीजेपी से नाता तोड़ना और दूसरी पार्टी के साथ जाना मुमकिन नहीं है. कम से कम तीन सीनियर पार्टी नेताओं ने माना कि महाराष्ट्र के राजनीतिक घटनाक्रम से न केवल पार्टी की छवि को नुकसान हुआ है, बल्कि इसकी वजह से पार्टी की विश्वसनीयता और पीएम की छवि को भी धक्का लगा है.

साथ ही इससे यह इशारा गया कि बीजेपी सत्ता लोलुप पार्टी है.तीन दिन पहले जिस कदम को बीजेपी के रणनीतिकार मास्टरस्ट्रोक बता रहे थे, अब वो पार्टी के लिए घाव साबित हुआ है. बीजेपी के एक सांसद ने माना कि महाराष्ट्र में शिवसेना के रिश्ते तोड़ने और विरोधी पार्टियों के साथ जाने के बाद लोगों के मन में बीजेपी के प्रति इस बात को लेकर हमदर्दी थी, हालांकि शनिवार के बाद से जो कुछ हुआ, उसने इस हमदर्दी को पूरी तरह खत्म कर दिया. सांसद के मुताबिक, पार्टी सबसे बड़ी लूज़र बनकर उभरी है.

शिवसेना ने भी आज सामना के जरिए भाजपा पर हमला बोला है,शिवसेना ने कहा है कि अजित पवार तो बच गए, लेकिन पूरी तरह निर्वस्त्र हो गई भाजपा. शिवसेना ने अपने मुखपत्र में बीजेपी को उसकी नीतियों के लिए जमकर लताड़ा. इस दौरान कहा गया अजित पवार ने आखिरी क्षणों में अपना वस्त्रहरण रोक लिया, लेकिन बीजेपी पूरी तरह निर्वस्त्र हो गई.

शिवसेना की तरफ से लिखा गया है कि, बहुमत का आंकड़ा न होने के बावजूद फडणवीस ने सीएम पद की शपथ ली. यह बीजेपी का पहला अपराध है वहीं, अजित पवार से समर्थन लेते ही उन पर लगे भ्रष्टाचार के सारे आरोप सिर्फ 4 घंटे में ही हटा दिए गए.यह बीजेपी का दूसरा अपराध है. इस अपराध के लिए मुंबई के उस राजभवन को चुना गया, जहां संविधान की रक्षा होनी चाहिए, लेकिन संविधान के संरक्षकों ने इस अपराध को कवच पहना दिया.