‘तो अमीर लोग कश्मीर की सारी जमीन खरीद लेंगे’- 35-A हटाने पर नेहरू को था ये डर

कश्मीर से जुड़े संविधान के अनुच्छेद 370 के दो खंडों को खत्म कर देने के साथ ही उस बहुचर्चित अनुच्छेद 35 ए को भी राष्ट्रपति के आदेश से खत्म कर दिया गया है, जिसके मुताबिक देश के बाकी राज्यों के लोगों को वहां जमीन खरीदने का अधिकार नहीं था. इस अनुच्छेद को भेदभावपरक माना जाता रहा है, लेकिन देश के पहले प्रधानमंत्री जवाहर लाल नेहरू ने इसे हटाने को लेकर कई तरह की आशंकाएं जाहिर की थी. नेहरू का मानना था कि ऐसा हुआ तो कश्मीर पर देश के अन्य हिस्सों के अमीरों का कब्जा हो जाएगा.

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नेहरू ने लोकसभा में बताया था इसे अच्छा नियम  

असल में यह नियम कश्मीर में डोगरा शासकों के जमाने से था. इसके अलावा तथ्य यह भी है कि बाकी राज्यों के नागरिकों को जमीन खरीदने से रोकने का नियम हिमाचल प्रदेश, अरुणाचल प्रदेश, अंडमान-निकोबार में भी लागू है. इसी तरह उत्तराखंड में भी बाहरी लोगों के जमीन खरीदने पर रोक है.

वैसे कश्मीर के इस नियम का विरोध भी आजादी के बाद शुरूआत से ही होने लगा था. अशोक पांडेय की पुस्तक ‘कश्मीरनामा’ के अनुसार, नेहरू ने लोकसभा में कहा था, ‘यह कोई नई चीज नहीं है, बल्कि एक पुराना नियम है जो चला आ रहा है और मुझे लगता है कि यह बहुत अच्छी चीज है और इसे जारी रखना चाहिए, क्योंकि कश्मीर एक बेहद लुभावनी जगह है और (अगर यह नियम रद्द किया गया तो) यहां के निवासियों के लिए यह दुर्भाग्यपूर्ण होगा कि अमीर लोग यहां की सारी जमीन खरीद लेंगे. यह वास्तविक कारण है और यह कारण अंग्रेजों के जमाने से, सौ साल से अधिक वर्षों से लागू है.’

सरदार पटेल ने बताया था 370 को कश्मीर के लिये जरूरी, दिया था ये तर्क

गौरतलब है कि कश्मीर को मिल रहे स्पेशल स्टेटस को खत्म किए जाने के बाद अब स्थानीय लोगों को यह डर सता रहा है कि बाहरी लोग वहां आकर ताबड़तोड़ जमीन खरीदने लगेंगे और बड़ी संख्या में बस जाएंगे. इसकी वजह से भारतीय जनता पार्टी के स्थानीय नेता केंद्र सरकार से डोमिसाइल जैसी कड़ी व्यवस्था लाने का सुझाव दे रहे हैं.

बीजेपी नेताओं का कहना है कि इस नियम के बदलने से राज्य में निजी सेक्टर आसानी से जमीनें खरीद सकेगा और उद्योगों को बढ़ावा मिलेगा. उनको उम्मीद है कि इस नियम के हटने का किसी भी तरह का दुरुपयोग नहीं होगा और जमीन के मालिकों का हित बरकरार रहेगा.

370 पर मोदी सरकार के फैसले को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती, याचिका दायर

कश्मीर को लेकर मोदी सरकार ने ऐतिहासिक फैसला किया है. सोमवार को गृहमंत्री अमित शाह ने सदन में अनुच्छेद 370 हटाने का संकल्प सदन में पेश किया. उन्होंने कहा कि कश्मीर में लागू धारा 370 में सिर्फ खंड-1 रहेगा, बाकी प्रावधानों को हटा दिया जाएगा. इसके अलावा नए प्रावधान में जम्मू-कश्मीर पुनर्गठन का प्रस्ताव भी शामिल है. उसके तहत जम्मू कश्मीर अब केंद्र शासित प्रदेश होगा और लद्दाख को जम्मू-कश्मीर से अलग कर दिया गया है.

आर्टिकल 35A क्या था?

आर्टिकल 35A संविधान में शामिल एक प्रावधान था जिसके द्वारा जम्मू-कश्मीर विधानमंडल को यह अधिकार प्रदान किया गया था कि वह यह तय करे कि जम्मू और कश्मीर का स्थायी निवासी कौन है और किसे सार्वजनिक क्षेत्र की नौकरियों में विशेष आरक्षण दिया जायेगा, किसे संपत्ति खरीदने का अधिकार होगा, किसे जम्मू-कश्मीर विधानसभा चुनाव में वोट डालने का अधिकार होगा, छात्रवृत्ति तथा अन्य सार्वजनिक सहायता और किसे सामाजिक कल्याण कार्यक्रमों का लाभ मिलेगा.

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