झारखंड विधानसभा चुनाव में भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) सत्ता से बाहर हो गई है. राज्य के बीजेपी नेता और सीएम रघुवर प्रसाद की अलोकप्रियता, आदिवासी विरोधी छवि और कई अन्य फैक्टर की वजह से बीजेपी को हार मिली है. आलम यह रहा कि सात महीने पहले राज्य में 51 फीसदी की जबरदस्त वोट हासिल करने वाली पार्टी इस बार विधानसभा चुनाव में 33 फीसदी वोटों तक सिमट गई है.
गौरतलब है कि झारखंड विधानसभा चुनाव में झारखंड मुक्ति मोर्चा के नेता शिबू सोरेन के बेटे हेमंत सोरेन ने विधानसभा चुनाव में सत्तारुढ़ भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) को पटखनी देते हुए दूसरी बार मुख्यमंत्री बनने का रास्ता साफ कर लिया है. राज्य की 81 सदस्यीय विधानसभा में हेमंत सोरेन की अगुवाई वाले गठबंधन ने पूर्ण बहुमत हासिल कर लिया है. चुनाव में झारखंड मुक्ति मोर्चा को 30, कांग्रेस को 16, बीजेपी को 25, जेवीएम को 3, आजसू को 2 और आरजेडी को 1 सीट हासिल हुई है.
लोकसभा चुनाव में मिली थी जबरदस्त सफलता
मई महीने में हुए लोकसभा चुनाव के दौरान राज्य में बीजेपी को जबरदस्त सफलता मिली थी. मोदी लहर में राज्य की 14 लोकसभा सीटों में से 11 पर बीजेपी को जीत हासिल हुई थी और उसे राज्य के कुल 51 फीसदी वोट हासिल हुए थे. 51 फीसदी का मतलब यह है कि राज्य की आधी से ज्यादा जनता ने मोदी और बीजेपी के लिए वोट किया था. लेकिन इस बार विधानसभा चुनाव में बीजेपी को महज 33.4 फीसदी वोट मिले हैं. यानी सिर्फ 7 महीने में पार्टी ने राज्य में करीब 18 फीसदी जनाधार गंवा दिया है
2014 के विधानसभा चुनाव के मुकाबले बीजेपी के वोट फीसदी में करीब 2.1 फीसदी की बढ़त हुई है, लेकिन उसकी 12 सीटें कम हो गईं. झारखंड मुक्ति मोर्चा का वोट 1.7 फीसदी घटकर 18.7 फीसदी रह गया, लेकिन उसकी सीटें 2014 के मुकाबले 11 बढ़ गईं. इसी प्रकार कांग्रेस का वोट 3.4 फीसदी बढ़कर 13.9 फीसदी पहुंच गई है और उसकी सीटों में 10 का इजाफा हुआ है.
इस बार क्यों मिली हार
राज्य के मुख्यमंत्री रघुवर दास की अहंकारी छवि, जमीन संबंधी कानूनों में संशोधन की कोशिश, बेरोजगारी और पत्थलगढ़ी का मसला, मॉब लिंचिंग से बिगड़ती छवि, एनआरसी-सीएए से बना गुस्सा आदि को बीजेपी के जनाधार खिसकने और सत्ता से बाहर जाने की वजह माना जा रहा है.
आम चुनाव 2019 नतीजों के बाद झारखंड तीसरा राज्य है जहां विधानसभा चुनाव हुए. हरियाणा में बीजेपी की किसी तरह वापसी हो गई, लेकिन महाराष्ट्र हाथ से निकल गया. अब झारखंड में पार्टी को हार का मुंह देखना पड़ा है.
