नौसेना के लिए 111 यूटिलिटी हेलिकॉप्टर सौदे को जल्द मिल सकती है मंजूरी

रणनीतिक साझेदारी (स्ट्रेटजिक पार्टनर्शिप) मॉडल के तहत नरेंद्र मोदी सरकार के पहले रक्षा सौदे की प्रक्रिया अपने अंतिम चरण में है. इस मॉडल के तहत नौसेना के लिए 111 नेवल यूटिलिटी हेलीकॉप्टर तैयार किए जाने हैं. इन बहुउद्देश्यीय हेलीकॉप्टरों के निर्माण के लिए जल्द ही निर्माताओं का चयन कर लिया जाएगा.

सूत्रों ने बताया कि रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह की अगुआई वाली डिफेंस एक्विजीशन काउंसिल (DAC) भारतीय और विदेशी फर्मों के चयन के बाद अगले हफ्ते इस सौदे के रिक्वेस्ट ऑफ प्रपोजल (RFP) को अं​तिम मंजूरी दे सकती है कि इन हेलिकॉप्टरों का निर्माण कौन करेगा. इस सौदे के तहत पीएम नरेंद्र मोदी की महत्वाकांक्षी परियोजना ‘मेक इन इंडिया’ के तहत चयनित भारतीय कंपनियां विदेशी कंपनियों के साथ मिलकर देश में ही इन हेलीकॉप्टरों का निर्माण करेंगी.

नौसेना के सूत्रों ने इंडिया टुडे को बताया, “डिफेंस एक्विजीशन काउंसिल (DAC) की अगली बैठक में इसे मंजूरी मिलने की संभावना है और इसके बाद नेवल यूटिलिटी हेलिकॉप्टर प्रोजेक्ट के लिए रिक्वेस्ट ऑफ प्रपोजल जारी किया जाएगा.”

21000 करोड़ के इस सौदे में विदेशी उपकरण निर्माता कंपनियां रणनीतिक साझेदार के रूप में ट्रांसफर ऑफ टेक्नोलॉजी में प्रमुख भूमिका अदा करेंगी. ये बहुउद्देश्यीय हेलिकॉप्टर नौसेना में पुराने चेतक हेलिकॉप्टर की जगह लेंगे और इनका इस्तेमाल खोज और बचाव अभियानों, समुद्री अभियानों, साजो-सामान को लाने-ले जाने और टारपीडो गिराने में किया जाएगा.

रणनीतिक साझेदारी मॉडल का उद्देश्य उन भारतीय निर्माताओं और विदेशी फर्मों के बीच सहयोग करना है जो प्रौद्योगिकी साझा करने और फिर भारतीय उत्पादन इकाइयां स्थापित के लिए तैयार हैं. योजना के तहत 111 हेलिकॉप्टर में से 16 विदेश तैयार करके भारत भेजे जाएंगे, जबकि बाकी 95 हेलिकॉप्टर भारत में बनाए जाएंगे. पिछले साल 25 अगस्त को हुई डिफेंस एक्विजीशन काउंसिल की बैठक में इन हेलीकॉप्टरों की खरीद को मंजूरी दी गई थी.

विदेशी कंपनियों को इन हेलीकॉप्टर के देश में ही निर्माण के लिए डिजाइन, एकीकरण और विनिर्माण प्रक्रिया से संबंधित ढांचागत सुविधा मुहैया करानी होगी. रक्षा खरीद के लिए यह नीति मई 2017 में पेश की गई थी. पिछले साल जुलाई में रक्षा मंत्रालय ने स्वदेशी रक्षा विनिर्माण को बढ़ावा देने के मकसद से रणीनतिक साझेदारी मॉडल के लिए गाइडलाइन को मंजूरी दी थी.

मंत्रालय के बयान में कहा गया कि “यह आत्मनिर्भरता को प्रोत्साहित करने और सरकार की मेक इन इंडिया योजना के साथ रक्षा क्षेत्र को जोड़ने की दिशा में एक बड़ा कदम होगा.” रणनीतिक साझेदारी मॉडल के जरिये सरकार का लक्ष्य है कि रक्षा क्षेत्र से जुड़े मौजूदा आयात को कम करना है.

Leave a Reply