टाटा मैनेजमेंट को NCALT का झटका, साइरस मिस्त्री को फिर चेयरमैन बनाने का आदेश

टाटा के मौजूदा प्रबंधन को नेशनल कंपनी लॉ अपीलेट ट्राइब्यूनल (NCALT) से बड़ा झटका मिला है. NCALT  ने टाटा सन्स के चेयरमैन पद से साइ‍रस मिस्त्री के हटाने को अवैध ठहरा दिया है और उन्हें इस पद पर फिर से बहाल करने का आदेश दिया है. हालांकि टाटा समूह के पास इस फैसले के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट जाने का अभी मौका है.

एनसीएलएटी ने एन चंद्रशेखरन को कार्यकारी चेयरमैन बनाने के प्रबंधन के निर्णय को भी अवैध ठहराया है.  NCALT ने टाटा सन्स के चेयरमैन पद से साइ‍रस मिस्त्री के हटाने को अवैध ठहरा दिया है और उन्हें इस पद पर फिर से बहाल करने का आदेश दिया है.

साइरस मिस्त्री की बड़ी जीत

यह साइरस मिस्त्री के लिए यह एक बड़ी जीत है. वह तीन साल के बाद फिर से टाटा सन्स के चेयरमैन बनेंगे. नेशनल कंपनी लॉ अपीलेट ट्राइब्यूनल (NCALT) ने बुधवार को अपने आदेश में उन्हें फिर से टाटा सन्स का एग्जीक्यूटिव चेयरमैन बनाया जाए.

इसके पहले नेशनल कंपनी लॉ ट्राइब्यूनल (NCLT) की मुंबई बेंच ने साइरस मिस्त्री को हटाने के खिलाफ दायर याचिकाओं को खारिज कर दिया था. यह याचिकाएं दो निवेश फर्मों साइरस इनवेस्टमेंट प्राइवेट लिमिटेड और स्टर्लिंग इनवेस्टमेंट कॉर्प के द्वारा दाखिल की गई थीं.

इसके बाद मिस्त्री ने खुद NCLAT में संपर्क किया था. मिस्त्री को अक्टूबर 2016 में टाटा सन्स के चेयरमैन पद से हटा दिया गया था. वह टाटा सन्स के छठे चेयरमैन थे. रतन टाटा की रिटायरमेंट की घोषणा के बाद वह साल 2012 में टाटा सन्स के चेयरमैन बने थे.

क्या था विवाद

रतन टाटा कैम्प और कंपनी बोर्ड ने दुर्व्यवहार का आरोप लगाकर साइरस मिस्त्री को बाहर कर दिया था. टाटा सन्स के बोर्ड ने 24 अक्टूबर, 2016 को साइरस मिस्त्री को चेयरमैन पद से हटा दिया था. इसके साथ ही उन्होंने साइरस को ग्रुप की अन्य कंपनियों से भी बाहर निकलने के लिए कहा था. इसके बाद साइरस ने ग्रुप की 6 कंपनियों के बोर्ड से अपना इस्तीफा दिया. हालांकि इसके साथ ही उन्होंने टाटा सन्स और रतन टाटा को एनसीएलटी में घसीटा.

शापूरजी पलोनजी ग्रुप की दो कंपनी साइरस इन्वेस्टमेंट और स्टर्लिंग इन्वेस्टमेंट कॉरपोरेशन ने टाटा ट्रस्ट और टाटा सन्स के निदेशकों के ख‍िलाफ याचिका दाखिल की थी. इनमें टाटा सन्स पर अनियम‍ितता बरतने का आरोप लगाया गया है. इसमें आरोप लगाया था कि टाटा संस के निदेशकों ने आर्ट‍िकल ऑफ एसोसिएशन और प्रबंधन व नैतिक मूल्यों का उल्लंघन किया.

याच‍िका में आरोप लगाया गया था कि मिस्त्री को चेयरमैन पद से हटाने का काम ग्रुप के कुछ प्रमोटर्स ने किया. उनका इस्तीफा इनके उत्पीड़न की वजह से था. याचिका के दूसरे हिस्से में आरोप लगाया गया है कि ग्रुप और रतन टाटा के अव्यवस्थ‍ित प्रबंधन की वजह से ग्रुप को आय का काफी ज्यादा नुकसान हुआ. हालां‍क‍ि टाटा ग्रुप ने इन सभी आरोपों को खारिज किया.

क्या था टाटा ग्रुप का पक्ष

टाटा ग्रुप ने कहा कि साइरस मिस्त्री को इसलिए निकाला गया क्योंकि बोर्ड उनके प्रति विश्वास खो चुका था. ग्रुप ने आरोप लगाया था कि मिस्त्री ने जानबूझकर और कंपनी को नुकसान पहुंचाने की नीयत से संवेदनशील जानकारी लीक की. इसकी वजह से ग्रुप की मार्केट वैल्यू में बड़ा नुकसान हुआ.







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