‘हम हिंदू साधु हैं तो क्या कहीं डूबकर मर जाएं, गुनाह है क्या हिंदू धर्म में पैदा होना

योग गुरु बाबा रामदेव ने कहा है कि आजादी के सत्तर वर्षो में किसी भी हिंदू संत-संन्यासी को भारत रत्न न दिया जाना उनका अनादर और अपमान है। अनेक विभूतियों खासकर राजनीतिज्ञों को भी मरणोपरांत यह सम्मान दिया गया है लेकिन, आज तक एक भी संन्यासी को भारत रत्न नहीं दिया गया। सरकार को इस ओर ध्यान देना चाहिए। यदि इस पुरस्कार की प्रतिष्ठा बरकरार रखनी है तो जिन हिंदू साधु-संतों ने देश को बनाया है, उन्हें भी भी भारत रत्न पुरस्कार से नवाजा जाना चाहिए। प्रतीकात्मक रूप से ही सही, हिंदू धर्म के एक-दो साधु-संन्यासियों को भी देना चाहिए। रविवार को कुंभ मेला क्षेत्र में दिव्य सेवा मिशन शिविर में पहुंचे योग गुरू ने संतों को भारत रत्न न दिए जाने पर तीखी प्रतिक्रिया व्यक्त की।

Image result for 'हम हिंदू साधु हैं तो क्या कहीं डूबकर मर जाएं,

बाबा रामदेव बोले, सामाजिक, राजनीतिक जीवन, कला, खेल सहित सभी क्षेत्रों में सेवा देने वाली प्रतिभाओं को सम्मान मिलना चाहिए लेकिन, क्या किसी एक भी साधु ने ऐसा कोई काम नहीं किया है जो भारतरत्न के योग्य हो। क्या महर्षि विवेकानंद, स्वामी दयानंद सरस्वती जैसे किसी संत, संन्यासी का योगदान लता मंगेशकर, सचिन तेंदुलकर, नाना साहेब, भूपेन हजारिका, प्रणब मुखर्जी से कम है। और तो और भारत रत्न पाने वाली मदर टेरेसा से कहीं ज्यादा योगदान दक्षिण के शिवकुमार स्वामी का है, जिन्होंने एक करोड़ बच्चों को शिक्षा, दीक्षा, संस्कार देने का काम किया है। दिव्य प्रेम सेवा मिशन के आशीष जी का योगदान भी महत्वपूर्ण है।

बाबा रामदेव ने  कहा, हम हिंदू साधु हैं तो क्या कहीं डूबकर मर जाएं। हमारा यह गुनाह है कि हम साधु हैं और हिंदू धर्म में पैदा हो गए। या तो आप पुरस्कार दो ही न, अगर आप देते हैं तो ईसाइयों, हिंदुओं, मुसलमानों, सिखों सभी को दें, क्या गुरुगोविंद सिंह जी भारत रत्न के योग्य नहीं हैं। यदि मदर टेरेसा को भारत रत्न दे सकते हैं तो महर्षि दयानंद सरस्वती को क्यों नहीं।

Leave a Reply