भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) ने रविवार को अपने 46 उम्मीदवारों के नाम घोषित कर दिए. इसमें गुजरात की 26 सीटों में से 15 नाम घोषित किए गए हैं. बीजेपी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह के गांधीनगर सीट से चुनाव लड़ने की घोषणा के बाद रविवार को 15 बीजेपी उम्मीदवारों के नाम भी घोषित किए गए हैं. 15 में से 14 उम्मीदवार ऐसे हैं जिनमें मौजूदा सांसदों को ही टिकट दिया गया है. हालांकि जानकारों की मानें तो बीजेपी की रिपीट थियरी (मौजूदा सांसदों को टिकट देना) अगर कारगर साबित नहीं हुई तो गुजरात में 26 में 26 सीट हासिल करने का बीजेपी का सपना टूट सकता है.
26 सीटों में अब तक 16 सीटें घोषित हो चुकी हैं जबकि 10 सीटें ऐसी हैं जहां बीजेपी के लिए उम्मीदवार का चयन करना काफी मुश्किल काम है. इनमें एक सीट पर एक से ज्यादा बड़े नेताओं ने खुद चुनाव लड़ने की इच्छा जाहिर की है. वैसे में बीजेपी के लिए सबसे बड़ा डर ये भी है कि अगर मौजूदा सांसदों को न लेकर दूसरे नेताओं को टिकट दिया गया तो बीजेपी के अपने ही नेता बाजी बिगाड़ सकते हैं. टिकट देने या न देने की बीजेपी की इस दुविधा पर कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष भरत सिंह सोलंकी का कहना है कि बीजेपी डर गई है, इसलिए उम्मीदवार को रिपीट किया है.
बीजेपी ने जिन 15 लोकसभा उम्मीदवारों के नाम का ऐलान किया है उनमें सिर्फ एक ही मौजूदा सांसद का नाम काटा गया है. ये नेता सुरेंद्रनगर के मौजूदा सांसद देवजी फतेपुरा हैं. इनकी जगह सुरेंद्रनगर से महेंद्र मुंजपरा को टिकट दिया गया है, जबकि कच्छ से विनोद चवाड़ा, साबरकांठा से दिलीप सिंह राठौड़, अहमदाबाद पश्चिम से डॉ. किरीट सोलंकी, राजकोट से मोहनभाई कुंडारिया, जामनगर से पूनम माडम, अमरेली से नारायण भाई काछड़िया, भावनगर से डॉ. भारती बेन शियाड़, खेड़ा से देव सिंह चौहान, दाहोद से जसवंत भाभोर, वड़ोदरा से रंजना भट्ट, भरूच से मनसुख वसावा, बारडोली से प्रभु वसावा, नवसारी से सी. आर. पाटिल और वलसाड से के. सी. पटेल को टिकट दिया गया है.
अहमदाबाद के किरीट सोलंकी पिछले 4 बार से सासंद हैं. इनके खिलाफ बीजेपी के नेताओं की अंदरुनी लामबंदी काफी ज्यादा है, तो वहीं भरूच के सांसद मनसुख वसावा तो खुद ही अपनी पार्टी के खिलाफ बयान देने के लिए जाने जाते हैं. राजकोट में पाटीदारों में कडवा और लेउवा का तालमेल इस बार कुंडारिया के लिए भारी हो सकता है. इससे साफ है कि बीजेपी ने अब तक गुजरात की 16 सीट घोषित की है जिनमें से सिर्फ दो सीट पर उम्मीदवार को बदला गया है. एक लालकृष्ण आडवाणी की गांधीनगर सीट और देवजी फतेपुरा की सुरेंद्रनगर सीट. देखना बेहद दिलचस्प होगा कि अब कांग्रेस बीजेपी के इन रिपीट उम्मीदवारों के खिलाफ क्या रनणीति अपनाती है.
कई बार देखा जाता है कि रिपीट उम्मीदवारों के जीतने की संभावना तभी होती है जब सत्ता विरोधी लहर न हो. अगर मौजूदा सरकार या पार्टी के खिलाफ लोगों में रोष हो तो पार्टियां मौजूदा नेताओं को बदलकर नए उम्मीदवार उतारती हैं ताकि लोगों को कुछ नयापन लगे. हालांकि गुजरात में बीजेपी ने ऐसा कुछ नहीं किया है. इससे स्पष्ट है कि उसे सत्ता की लहर पर पूरा भरोसा है न कि सत्ता विरोधी लहर का कोई डर है.