नेपाल ने चीन की सेना से बातचीत को लेकर भारत को मारा ताना!

कालापानी और लिपुलेख को लेकर सीमा विवाद पर भारत के वार्ता टालने को लेकर नेपाल ने नाराजगी जाहिर की है. नेपाल के एक शीर्ष नेता ने रविवार को भारत पर दोहरे मानदंड अपनाने का आरोप लगाया. नेपाल के शीर्ष नेता ने कहा कि भारत चीन और ऑस्ट्रेलिया के साथ बातचीत कर रहा है लेकिन काठमांडू के साथ विदेश सचिव स्तर की बैठक में देरी के लिए कोरोना संकट का इस्तेमाल कर रहा है.

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नेपाल के विदेश मंत्रालय के डेप्युटी चीफ और नेपाल कम्युनिस्ट पार्टी की केंद्रीय कमिटी के सदस्य बिष्णु रिजाल ने ट्वीट किया, “भारत और चीन की सेना के सैन्य कमांडरों ने मुलाकात की और सीमा विवाद पर चर्चा की. 4 जून को भारतीय और ऑस्ट्रेलियाई प्रधानमंत्री ने वर्चुअल बैठक में हिस्सा लिया और सात समझौतों पर हस्ताक्षर किए. लेकिन भारत पड़ोसी देश नेपाल के साथ बातचीत के लिए माहौल तैयार होने और कोरोना महामारी के खत्म होने की शर्त रख रहा है!”

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नेपाल की संसद में आज नए नक्शे को मान्यता देने के लिए बिल पेश किया जाएगा. भारत की आपत्ति के बावजूद नेपाल ने अपने नए नक्शे में भारत के तीन क्षेत्रों कालापानी, लिपुलेख और लिम्पियाधुरा को शामिल किया है. नेपाल इन हिस्सों पर अपना दावा पेश करता रहा है. 8 मई को भारत ने लिपुलेख से होकर गुजरने वाले कैलाश मानसरोवर रोडलिंक का उद्घाटन किया तो नेपाल ने ऐतराज जताया था.

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नेपाल ने भारत के इस कदम की आलोचना करते हुए एक बयान जारी किया और सीमा विवाद सुलझाने के लिए नेपाल ने भारत से विदेश सचिव स्तर की बैठक की मांग की थी. भारत ने कहा था कि कोरोना महामारी की चुनौती से निपटने के बाद वह इस मुद्दे पर वार्ता करेगा. हालांकि, नेपाल ने भारत के अनुरोध को खारिज कर दिया था. नेपाल ने कहा था कि वह इस मुद्दे पर जल्द से जल्द वार्ता चाहता है और कोरोना महामारी के खत्म होने का इंतजार नहीं करेगा.

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नेपाल में इस बात को लेकर नाराजगी है कि भारत ने कोरोना संकट की वजह से दूसरे देशों के साथ कूटनीतिक वार्ता नहीं रोकी है लेकिन उसकी वार्ता की मांग को टाल रहा है. इससे पहले भी, नेपाल की संसद में भी कई नेताओं ने सवाल खड़े किए थे और कहा था कि रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह अगर महामारी के दौरान सड़क का उद्घाटन कर सकते हैं तो बातचीत करने में क्या दिक्कत है.

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नेपाल की संसद में आज नए नक्शे को संवैधानिक मान्यता देने के लिए बिल पेश किया जाएगा. सूत्रों का कहना है कि बिल पास होने में ज्यादा मुश्किल नहीं होगी क्योंकि सरकार को इस मुद्दे पर विपक्ष का भी समर्थन हासिल है. नए नक्शे को नेपाल की कैबिनेट की मंजूरी पहले ही मिल चुकी है. हालांकि, भारत ने नेपाल के नए नक्शे को अनुचित करार देते हुए उससे अपनी संप्रुभता का सम्मान करने के लिए कहा है.

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नेपाल के प्रधानमंत्री केपी ओली भी सीमा विवाद को लेकर तमाम आक्रामक बयान दे चुके हैं. नेपाली पीएम ने कहा था कि वह अपनी एक इंच जमीन भी किसी को नहीं देंगे. ओली ने कहा था, “अब यह (सीमा विवाद) मुद्दा और शांत नहीं होगा, अगर हमारे इस कदम से कोई नाराज होता है तो हो, हमें इसकी चिंता नहीं है. हम अपनी जमीन पर किसी भी कीमत पर अपना दावा पेश करेंगे.”

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ओली ने भारत की सैन्य ताकत को लेकर तंज कसते हुए कहा था कि वह भारत के साथ मधुर संबंध चाहते हैं लेकिन  सवाल ये है कि भारतीय सत्यमेव जयते को मानते हैं या सिंहमेव जयते.

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