‘सवर्ण गरीबों’ के आरक्षण पर 7 सवाल, जिनके जवाब सब जानना चाहते हैं

सचमुच 2019 आ गया है. सेमिफाइनल खूब हो गया. अब फाइनल खेलने का वक्त है. भाजपा की ओर से चुनावी ऐलान शुरू हो गए हैं. 7 जनवरी, 2018 की दोपहर को मीडिया में खबर फ्लैश होने लगी –

”केंद्रीय कैबिनेट का गरीब सवर्णों को 10 फीसदी आरक्षण देने का ऐलान”

खबर है कि केंद्र सरकार 8 जनवरी को संसद में आरक्षण के लिए संविधान संशोधन ला सकती है. संविधान संशोधन बिल जब सदन के पटल पर रख दिया जाएगा तो ये बात कुछ साफ होगी कि आरक्षण दिया जाएगा तो कैसे और किसे. सरकार के कैबिनेट नोट के बारे में जानकारी रखने वाले इंडिया टुडे के पत्रकार राहुल श्रीवास्तव का कहना है कि 10 फीसदी आरक्षण की मोटा-माटी रूपरेखा ये हो सकती है –

संविधान में संशोधन लाकर अनुच्छेद 15 और 16 में बदलाव किया जाएगा. अनुच्छेद 15 समानता के अधिकार की बात करता है और अनुच्छेद 16 बराबरी के मौकों (रोज़गार के मामलों में) की बात करता है

ये आरक्षण पढ़ाई और नौकरी दोनों में मिलेगा.

अल्पसंख्यक दर्जा प्राप्त संस्थान (माइनॉरिटी इंस्टीट्यूशन्स) में ये आरक्षण लागू नहीं होगा.

10 फीसदी आरक्षण सुप्रीम कोर्ट की आरक्षण पर लगाई 50 % की सीमा से बाहर दिया जाएगा. माने OBC और SC/ST आरक्षण बना रहेगा. उनका कोटा कम नहीं किया जाएगा.

सवाल 1. ‘गरीब सवर्ण’ कौन होगा?

* जिनके पास 5 एकड़ से कम खेती हो.
* जिसका घर 1000 स्क्वेयर फीट से छोटा हो.
* जिनके पास घर बनाने के लिए 100 वर्ग यार्ड से कम ज़मीन हो. (अधिसूचित निकायों में)
* जिनके पास घर बनाने के लिए 200 वर्ग यार्ड से कम ज़मीन हो. ( गैर-अधिसूचित निकायों में)

सवाल 2. अब विपक्ष क्या करेगा?

ये लाख का सवाल है. गरीब सवर्णों को आरक्षण दिया जाए या नहीं, इसपर लोगों की राय जो हो सो हो, राजनैतिक दल सीधे इसके खिलाफ बोलने से बचेंगे. क्योंकि आरक्षण देकर वोट पाना चुनावी राजनीति का स्थापित सिद्धांत है. लेकिन राजनीति में सरकार के कदम से सहमति जताना विपक्ष के लिए लगभग असंभव होता है. इसलिए पेच ये फंसेगा कि विरोध करना तो है, लेकिन किया कैसे जाए.

सवाल 3. अच्छा ये बताओ, सवर्ण कौन हैं?

एससी, एसटी या ओबीसी वर्ग के लिए सरकार प्रमाणपत्र जारी करती है. लेकिन सवर्णों के लिए ऐसी कोई व्यवस्था नहीं है. तो बहस ये भी होगी कि सवर्ण कौन है, और कौन नहीं है. क्योंकि जिन्हें आरक्षण मिलता है, वो इसे बांटना नहीं चाहते.

सवाल 4. गूजर, पाटीदार और मराठों का क्या होगा?

देश के अलग-अलग राज्यों में आरक्षण के लिए चलाए आंदोलनों में मांग रही है कि अमुक जाति या समाज को सामाजिक या आर्थिक-सामाजिक रूप से पिछड़ा मानकर आरक्षण दिया जाए. सरकार अब विशुद्ध आर्थिक पिछड़ेपन की बात कर रही है. माने जाति व्यवस्था में कथित तौर पर अगड़े होकर भी आर्थिक रूप से पिछड़े हो जाइए. चूंकि गूजर, पाटीदार और मराठों को आरक्षण किसी न किसी वजह से अटके हैं, तो ये देखना होगा कि क्या सरकार इस 10 फीसदी आरक्षण में इन्हें एडजस्ट करेगी. और अगर करेगी तो क्या ये जातिया/समाज इसके लिए राज़ी होंगे?

सवाल 5. मुसलमान भी होंगे सवर्ण?

सवर्ण जातियां मुसलमानों में भी होती हैं. मुसलमानों को आरक्षण देना या उन्हें इससे बाहर रखना, दोनों की राजनीतिक कीमत है.

सवाल 6. जातिगत जनगणना के आंकड़े आएंगे?

10 फीसदी आरक्षण की बात आते ही ये मांग भी उठ गई. कि देना है तो आरक्षण दे दीजिए, लेकिन जातिगत आंकड़ें तो जारी कीजिए. ताकि सब जान सकें कि किस जाति में कितने लोग हैं, कितने पिछड़े हैं और कितने आरक्षण की ज़रूरत है.

सवाल 7. 2019 में क्या होगा?

भाजपा और संघ की ओर से ये बात रह-रहकर सामने आती रहती है कि आरक्षण देने का आधार महज़ सामाजिक न होकर आर्थिक भी हो. चूंकि एससी-एसटी-ओबीसी आरक्षण हटाना किसी भी सरकार की सेहत के लिए खराब हो सकता है, इसलिए भाजपा और आरएसएस के नेता नियमित तौर पर ये कहते रहते थे कि सरकार आरक्षण हटाने के बारे में नहीं सोच रही.

इसलिए सरकार ने आरक्षण वाले खेल के नियम बदलने की ही तैयारी कर ली है. मोदी सरकार कह रही है कि आरक्षण मिलेगा, सवर्णों को भी मिलेगा और बिना पिछड़ा घोषित हुए मिलेगा. लेकिन पहले ‘सवर्ण गरीब’ को आरक्षण का लाभ मिलने में अभी कुछ वक्त लग सकता है. क्योंकि पहले लोकसभा है, फिर राज्यसभा और राज्यों की विधानसभाएं हैं और फिर हैं अदालतें. और इनके बीच आते जाते रहेंगे चुनाव.

 

Credit : निखिल The Lallantop

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