मोदी सरकार ने कहा- संसद में चिदंबरम लाए NPR, कांग्रेस बोली- वाजपेयी ने किया पेश

देश में इन दिनों नागरिकता से जुड़े मामलों ने जोर पकड़ा हुए है. नागरिकता संशोधन कानून (CAA) और राष्ट्रीय नागरिकता रजिस्टर (NRC) को लेकर देश में घमासान मचा हुआ है. वहीं अब राष्ट्रीय जनसंख्या रजिस्टर (NPR) का मुद्दा भी तूल पकड़ता हुआ दिखाई दे रहा है. दरअसल, विपक्ष का कहना है कि एनआरसी के उद्देश्य को पूरा करने के लिए एनपीआर लाया गया है.

केंद्र सरकार ने राष्ट्रीय जनसंख्या रजिस्टर (एनपीआर) को अपडेट करने का ऐलान कर दिया है. इस फैसले को एनआरसी से जोड़कर सवाल उठाए जा रहे हैं. हालांकि केंद्र सरकार इससे साफ तौर पर इनकार कर चुकी है और कहा है कि एनआरसी और एनपीआर दोनों के बीच कोई लिंक नहीं है. वहीं अब कांग्रेस के वरिष्ठ नेता मल्लिकार्जुन खड़गे ने कहा है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने झूठे वादे किए हैं और सरकार झूठ बोल रही है.

एनपीआर के मुद्दे पर मल्लिकार्जुन खड़गे ने कहा, ‘यह सच है क्योंकि पहले हर दस साल में वे जनगणना करते थे. नागरिकता स्थापित करने के लिए जन्म प्रमाण पत्र के बारे में पूछा जा रहा है.’ वहीं खड़गे का कहना है कि साल 2003 में वाजपेयी सरकार के दौरान एनपीआर को पेश किया गया था.

‘वाजपेयी की सरकार में आया एनपीआर’

मल्लिकार्जुन खड़गे ने कहा, ‘2003 में अटल बिहारी वाजपेयी के नेतृत्व वाली बीजेपी सरकार के दौरान एनपीआर को पेश किया गया था. इसके बाद जब यूपीए सरकार में आई तो इसका उपयोग केवल आवासीय उद्देश्य के लिए किया गया था.’

मल्लिकार्जुन खड़गे का कहना है, ‘अब यहां वे पिछली सरकार की सहमति के नाम पर इसे इस्तेमाल में ला रहे हैं. यह बहुत गलत है. हम कभी सहमत नहीं हुए. इससे गरीब लोगों को परेशानी होगी. यह काफी कठोर कानून है जो कि NRC की ओर एक कदम है.’

मल्लिकार्जुन खड़गे ने कहा कि सरकार झूठ बोल रही है और वे अपने इरादे को पूरा करने के लिए एक के बाद एक अधिनियम लाना चाहते हैं. नरेंद्र मोदी ने झूठे वादे किए हैं. बीजेपी हमारे लिए नई नहीं है. हमारे लोग बीजेपी का सामना करने में सक्षम हैं.’

NPR पर बीजेपी ने क्या कहा?

वहीं एनपीआर को लेकर पीएम मोदी के नेतृत्व वाली बीजेपी सरकार का कहना है कि एनपीआर की योजना उनकी सरकार ने शुरू नहीं की. साल 2004 में यूपीए सरकार ने कानून बनाया और 2010 में जनगणना के वक्त इस प्रक्रिया की शुरुआत की गई.

मोदी सरकार ने कहा कि एनपीआर की योजना 2009 में तत्कालीन केंद्रीय गृह मंत्री पी चिदंबरम की ओर से संसद में रखी गई थी. वहीं पहली बार 2010 में 2011 की जनगणना के हाउस लिस्टिंग चरण के साथ आंकड़े जुटाए गए थे. वहीं 2015 में डोर-टू-डोर सर्वे कर इस डेटा को अपडेट किया गया था. सरकार कुछ नया कार्यक्रम नहीं लाई.

NPR और NRC को लेकर अमित शाह ने बताया, ‘NPR सिर्फ जनसंख्या का रजिस्टर है, जबकि एनआरसी में लोगों से प्रूफ मांगे जाते हैं कि आप किस आधार पर देश के नागरिक हैं. इन दोनों प्रक्रिया का कोई लेना-देना नहीं है और न ही दोनों प्रक्रिया का एक-दूसरे के सर्वे में उपयोग हो सकता है.’

अब क्या किया बदलाव?

हालांकि अब एनपीआर में कुछ बदलाव किया गया है. यूपीए सरकार के वक्त एनपीआर की प्रक्रिया में 15 सवाल पूछे गए थे. वहीं अब मोदी सरकार में इस प्रक्रिया के तहत 8 नए सवालों को जोड़ा गया है. वहीं नए सवाल जोड़े जाने को लेकर सरकार का कहना है कि एनपीआर में नई बातें इसलिए जोड़ी गई हैं ताकि इनके आधार पर योजनाओं का खाका तैयार किया जा सके.








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