तेजस्वी यादव के हिमंत बिस्वा सरमा पर दिए बयान से छिड़ा विवाद, मणिपुर सीएम भी बोले

असम विधानसभा में शुक्रवार को जुमे की नमाज़ के लिए मिली छूट को ख़त्म करने के बाद आरजेडी नेता तेजस्वी यादव के दिए गए बयान पर विवाद खड़ा हो गया है.

आरजेडी नेता और बिहार के पूर्व उप मुख्यमंत्री तेजस्वी यादव ने शुक्रवार को कहा था कि ‘असम के मुख्यमंत्री सस्ती लोकप्रियता हासिल करने के लिए ऐसा करते हैं.’

उन्होंने एक्स पर अपने वीडियो के साथ कुछ ऐसे शब्द लिखे जिसको लेकर बीजेपी का आरोप है कि ये नस्लीय टिप्पणी है. उन्होंने अपनी पोस्ट में उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की तुलना असम के मुख्यमंत्री हिमंत बिस्वा सरमा से करते हुए चीन का ज़िक्र किया है.

इस बयान पर अब तक बीजेपी और मणिपुर की बीजेपी सरकार में मुख्यमंत्री एन. बीरेन सिंह आपत्ति जता चुके हैं. लेकिन अब ख़ुद हिमंत का बयान आ चुका है.

हिमंत और बीरेन सिंह ने क्या कहा

असम के मुख्यमंत्री हिमंत बिस्वा सरमा ने कहा है कि कोई क्या बयान दे उससे उनका काम नहीं रुकेगा.

उन्होंने पत्रकारों से शनिवार को कहा, “कौन क्या बयान देता है उससे हमारा काम थोड़े ही रुकेगा. हमारा काम तो आगे ही जाना है.”

वहीं मणिपुर के मुख्यमंत्री एन बीरेन सिंह ने तेजस्वी यादव की निंदा की है.

सोशल मीडिया एक्स पर पोस्ट में एन बीरेन सिंह ने लिखा, “ऐसा लगता है कि इंडी अलायंस अज्ञानी नस्लवादियों का समूह है जिसे कि हमारे देश के इतिहास और भूगोल के बारे में कोई भी जानकारी नहीं है.”

मणिपुर के सीएम ने लिखा कि ‘पहले सैम पित्रोदा और अब तेजस्वी यादव जो पूर्वोत्तर के लोगों को लेकर नस्लीय सोच का शिकार हुए हैं. यह दुर्भाग्पूर्ण है कि तेजस्वी यादव जैसे राजनीतिक नेता ने असम के सीएम को केवल इसलिए चीनी बोल दिया क्योंकि वे असम से हैं.’

एन. बीरेन सिंह ने लिखा, “हम उतने ही भारतीय हैं जितना कि देश के दूसरे हिस्से के लोग और हमें इसका प्रमाण देने की ज़रूरत नहीं है. पूर्वोत्तर राज्यों के लिए इंडी अलायंस का यह नस्लभेद हमेशा के लिए बंद होना चाहिए.”

बीजेपी कर चुकी है बयान की निंदा

आरजेडी नेता तेजस्वी यादव की टिप्पणी पर बीजेपी ने उनके इस बयान पर माफ़ी की मांग की है.

तेजस्वी यादव के बयान पर पलटवार करते हुए बीजेपी प्रवक्ता शहज़ाद पूनावाला ने कहा, “आप अगर निर्णय से सहमत नहीं हैं तो असम के मुख्यमंत्री पर अपमानजनक टिप्पणी करने की हद तक चले जाते हैं, क्योंकि वो नॉर्थ-ईस्ट से हैं.”

“आप पूरे नॉर्थ-ईस्ट और असम के लोगों पर सिर्फ़ इसलिए टिप्पणी कर रहे हैं क्योंकि आप निर्णय से सहमत नहीं हैं.”

उन्होंने कहा, “मैं राहुल गांधी से पूछना चाहता हूं कि क्या ये मोहब्बत की दुकान है या नफ़रत के भाईजान हैं?”

पूनावाला ने कहा, “यह उनकी नॉर्थ-ईस्ट विरोधी सोच को दिखाता है. तेजस्वी यादव ने असम और नॉर्थ-ईस्ट के लोगों का अपमान किया है, उन्हें न सिर्फ़ माफ़ी मांगनी चाहिए, बल्कि इंडिया गठबंधन को ये बताना चाहिए कि क्या वे उनके विरोध में खड़े होंगे?”

तेजस्वी यादव ने क्या कहा था

आरजेडी नेता और बिहार के पूर्व उप मुख्यमंत्री तेजस्वी यादव ने शुक्रवार को कहा था कि असम के मुख्यमंत्री सस्ती लोकप्रियता हासिल करने के लिए ऐसा करते हैं.

उन्होंने कहा, “भाजपा के लोगों ने नफ़रत फैलाने, मोदी-शाह का ध्यान आकृष्ट करने एवं समाज में ध्रुवीकरण करने के लिए मुसलमान भाइयों को सॉफ्ट टारगेट बना लिया है. कभी वक्फ़ बोर्ड का बिल आ जाता है तो कभी सीएए एनआरसी का बिल… ये लोग समाज में नफ़रत पैदा करना चाहते हैं.”

उन्होंने कहा कि ‘जब तक हम लोग हैं, उनका कोई बाल बांका नहीं कर सकता.’

तेजस्वी यादव ने अपने बयान का वीडिया अपने एक्स सोशल मीडिया हैंडल से ट्वीट किया था.

हालांकि उनके वीडियो वाले बयान में वो बात नहीं है जिस पर बीजेपी आपत्ति जता रही है. उन्होंने वीडियो के साथ किए गए पोस्ट में वो बात लिखी है जिस पर विवाद हो रहा है. समाचार एजेंसी एएनआई से बातचीत में उन्होंने वो बात ख़ुद कही है जिस पर बीजेपी आपत्ति जता रही है.

नमाज़ को लेकर क्या हुआ है फ़ैसला

असम विधानसभा में शुक्रवार के रोज़ जुमे की नमाज़ के लिए तीन घंटे का ब्रेक दिया जाता था, जिसे अब ख़त्म कर दिया गया है.

पहले जुमे की नमाज़ के लिए सुबह 11 बजे से 2 बजे तक सदन को स्थगित किया जाता था.

बीजेपी असम प्रदेश ने सोशल मीडिया प्लेटफ़ॉर्म एक्स पर लिखा, “सैदय सादुल्लाह द्वारा असम विधानसभा में जुमे की नमाज़ के लिए तीन घंटे के स्थगन के नियम को ख़ारिज कर दिया गया है. अब से सदन में जुमे की नमाज़ के लिए कोई ब्रेक नहीं हुआ करेगा.”

इस पर एनडीए के घटक दल जेडीयू ने कड़ी प्रतिक्रिया जताई है और इसे संविधान की भावना का उल्लंघन बताया है.

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