नोएडा के ट्विन टावर गिरने के बाद उन्हें बनाने वाली सुपरटेक ने क्या कहा ?

सुपरटेक ने कहा कि ट्विन टावर का निर्माण नोएडा डेवलपमेंट अथॉरिटी की मंजूरी मिलने के बाद ही किया गया था और इसमें कोई छेड़छाड़ नहीं की गई थी.

रियल एस्टेट फर्म ने कहा कि ट्विन टावर के ध्वस्त होने से उनकी दूसरी रियल एस्टेट परियोजनाओं पर कोई असर नहीं पड़ेगा. समय से खरीदारों को घर दिए जाएंगे.

सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद रविवार दोपहर 2.30 बजे करीब 100 मीटर ऊंचे एपेक्स और सेयेन टावरों को गिरा दिया गया. सुप्रीम कोर्ट ने एमराल्ड कोर्ट परिसर के अंदर इन दो टावरों के निर्माण में मानदंडों का उल्लंघन पाया था. टावरों को ध्वस्त करने में 3700 किलोग्राम से अधिक विस्फोटक का इस्तेमाल किया गया.

मामले की शुरुआत

2011 में रेजिडेंट्स वेलफेयर एसोसिएशन की ओर से इलाहाबाद हाईकोर्ट में एक याचिका दायर की गई. याचिका में आरोप लगाया गया है कि इन टावरों के निर्माण के दौरान उत्तर प्रदेश अपार्टमेंट मालिक अधिनियम, 2010 का उल्लंघन किया गया है.

इसके मुताबिक केवल 16 मीटर की दूरी पर स्थित दो टावरों ने कानून का उल्लंघन किया था.

याचिका में यह भी आरोप लगाया गया है कि इन दोनों टावरों को बगीचे के लिए आवंटित भूमि पर अवैध रूप से खड़ा किया गया था.

2012 में इलाहाबाद उच्च न्यायालय में सुनवाई के लिए मामला आने से पहले, नोएडा प्रशासन ने 2009 में दायर योजना (40 मंजिलों वाले दो अपार्टमेंट टावर) को मंजूरी दे दी थी.

टावर गिराने का आदेश

इस मामले में अप्रैल 2014 में फ़ैसला रेजिडेंट्स वेलफेयर एसोसिएशन के पक्ष में आया था. इसी के तहत इन टावरों को गिराने का आदेश भी जारी किया गया था. यह भी आदेश दिया गया कि सुपरटेक को टावर गिराने का ख़र्च वहन करना चाहिए और उन लोगों को 14 फ़ीसदी ब्याज़ के साथ पैसा वापस करना चाहिए जिन्होंने यहां पहले से ही घर खरीदा है.

उसी वर्ष मई में, सुपरटेक ने फ़ैसले को चुनौती देते हुए सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया और दावा किया कि निर्माण कार्य उचित मानदंडों के मुताबिक ही किया गया है.

अगस्त 2021 में इलाहाबाद उच्च न्यायालय के फ़ैसले को बरकरार रखने वाले सुप्रीम कोर्ट ने भी माना कि नियमों का उल्लंघन किया गया था.

नतीजतन, आज, 28 अगस्त, 2022, ट्विन टावरों को पूरी तरह से ध्वस्त कर दिया गया है.

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