Karnataka Crisis: बागी विधायकों पर आया SC फैसला

कर्नाटक के बागी विधायकों की याचिका पर मंगलवार को सुनवाई पूरी होने के बाद सुप्रीम कोर्ट ने अपना फैसला सुना दिया है। कोर्ट ने सुबह इस मामले में फैसला सुनाते हुए विधायकों के इस्तीफे पर फैसला लेने की जिम्मेदारी स्पीकर को सौंप दी है। अब एक बार फिर से गेंद स्पीकर के पाले में आ गई है और वो तय करेंगे की बागी विधायकों का इस्तीफा मंजूर करे या नहीं। उन्हें एक तय समय में फैसला लेने के लिए मजबूर नहीं किया जा सकता।

साथ ही कोर्ट ने विधायकों को लेकर फैसला सुनाया है कि उन्हें गुरुवार को होने वाले विश्वास मत में हिस्सा लेने के लिए मजबूर भी नहीं किया जा सकता। कोर्ट के इस फैसले के बाद गुरुवार को राज्य विधान सौधा में एचडी कुमारस्वामी के नेतृत्व वाली 14 माह पुरानी कांग्रेस-जदएस गठबंधन सरकार का शक्ति परीक्षण अहम हो गया है।

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बता दें कि अपनी याचिका में बागी विधायकों ने मांग की है कि स्पीकर केआर रमेश कुमार को उनके इस्तीफे स्वीकार करने का आदेश दिया जाए। मंगलवार को प्रधान न्यायाधीश जस्टिस रंजन गोगोई, जस्टिस दीपक गुप्ता और जस्टिस अनिरुद्ध बोस की पीठ के समक्ष अपनी दलीलें पेश करते हुए बागी विधायकों के वकील मुकुल रोहतगी ने अदालत से अंतरिम आदेश बनाए रखने की मांग की, जिसमें बागी विधायकों के इस्तीफों और अयोग्यता के मुद्दे पर स्पीकर को यथास्थिति बनाए रखने के लिए कहा गया था। साथ ही उन्होंने बागी विधायकों को विधानसभा में सत्तारूढ़ गठबंधन द्वारा जारी व्हिप से छूट प्रदान करने की मांग भी की।

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वहीं, मुख्यमंत्री कुमारस्वामी की ओर से पेश अधिवक्ता राजीव धवन ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट को दो अंतरिम आदेश जारी करने का अधिकार नहीं था। पहले शीर्ष अदालत ने स्पीकर से बागी विधायकों के इस्तीफों और अयोग्यता पर फैसला करने के लिए कहा और फिर यथास्थिति बनाए रखने का आदेश दिया। उन्होंने कहा कि स्पीकर को इस मामले में समयबद्ध तरीके से फैसला करने के लिए मजबूर नहीं किया जा सकता। बागी विधायक एक समूह के रूप में सरकार को अस्थिर कर रहे हैं और अदालत को उनकी याचिकाओं पर विचार नहीं करना चाहिए था।

स्पीकर की ओर से पेश अधिवक्ता अभिषेक मनु सिंघवी ने शीर्ष अदालत को बताया कि पिछले साल जब मध्यरात्रि में सुनवाई के दौरान शक्ति परीक्षण का आदेश दिया गया था और बीएस येदियुरप्पा को सरकार बनाने के लिए आमंत्रित किया गया था, तब अदालत ने कर्नाटक विधानसभा स्पीकर के लिए कोई निर्देश जारी नहीं किया था। उन्होंने कहा कि स्पीकर बागी विधायकों की अयोग्यता और इस्तीफों पर बुधवार तक फैसला ले लेंगे, लेकिन अदालत को अपने पूर्व आदेश में संशोधन करना चाहिए, जिसमें उसने यथास्थिति कायम रखने को कहा था।

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