झारखंड चुनाव के नतीजे कुछ ही देर में आने वाले हैं. पूरे देश को इन नतीजों का इंतजार है. पीएम मोदी के नेतृत्व में बीजेपी को मई 2019 के लोकसभा चुनावों में बंपर जीत मिली. उसके बाद ये तीसरा राज्य है जहां चुनाव हुए. हरियाणा में बीजेपी की वापसी हुई लेकिन महाराष्ट्र हाथ से निकल गया. अब झारखंड की बारी है जहां 81 सीटों पर हुए चुनाव के नतीजे आज आ रहे हैं.
शुरुआती रुझान में त्रिशंकु विधानसभा के आसार
एग्जिट पोल के मुताबिक झारखंड में बीजेपी की दोबारा वापसी के आसार नजर नहीं आ रहे थे. वहीं कांग्रेस-जेएमएम गठबंधन की सरकार बनती दिख रही थी. अब चुनाव परिणामों के शुरुआती रुझान इसके इतर त्रिशंकु विधानसभा की ओर जाते नजर आ रहे हैं. हालांकि अभी स्थिति बदल सकती है. लेकिन इस बीच हम यहां एनडीए के उन दो सहयोंगियों की चर्चा करने जा रहे हैं जिन्होंने चुनाव से ठीक पहले यह फैसला किया कि वे राज्य में अकेले दम पर चुनाव लड़ेंगी.
जेडीयू बोली थी- केवल बिहार में बीजेपी के साथ गठबंधन
नीतीश कुमार की जनता दल (यूनाइटेड) ने झारखंड की 81 सीटों में से 31 सीटों पर चुनाव लड़ा. चुनाव से पहले ही पार्टी ने स्पष्ट कर दिया था कि बीजेपी से केवल बिहार में गठबंधन है. पहले चरण में जेडीयू के 12 उम्मीदवार मैदान में थे. दूसरे चरण में 11, तीसरे चरण में 8, चौथे चरण में 5 उम्मीदवार चुनावी मैदान में उतरे थे. एक रणनीति के तहत आदिवासी चेहरे सालखन मुर्मू को प्रदेश की बागडोर सौंपी गई थी. मुर्मू खुद मझगांव और शिकारीपाड़ा से प्रत्याशी हैं.
चिराग पासवान ने भी पकड़ी थी अलग राह
पहले चरण में एलजेपी के 4 उम्मीदवार चुनावी मैदान में थे. दूसरे चरण में एलजेपी से केवल एक उम्मीदवार था जोकी तोरपा (सुरक्षित) सीट से चुनाव लड़ रहा था. एलजेपी ने अभिनाशी मुंडू को चुनावी मैदान में उतारा था. तीसरे चरण में एलजीपी ने कुल 9 सीटों पर अपने उम्मीदवार उतारे थे. चौथे चरण में एलजेपी के 7 उम्मीदवार चुनावी मैदान में अपनी किस्मत आजमा रहे थे. यहां आपको यह भी बता दें कि चिराग पासवान ने चुनाव प्रचार के वक्त कहा था कि झारखंड में नई सरकार किसी की भी बने, लोजपा किंगमेकर की भूमिका में होगी.
बीजेपी के मुकाबले खड़े थे जेडीयू व एलजेपी के उम्मीदवार
कांग्रेस और जेएमएम के साथ चुनाव लड़ी आरजेडी के उम्मीदवार जहां सिर्फ उन्हीं सीटों पर चुनाव लड़े जहां बाकी दोनों दलों के उम्मीदवार नहीं उतारे गए थे. जबकि एलजेपी और जेडीयू उन सीटों पर चुनाव लड़ रही थी जहां अन्य उम्मीदवारों के साथ-साथ बीजेपी भी चुनाव लड़ रही थी.
चुनाव के बाद सरकार बनाने को आ सकते हैं साथ
बीजेपी और एलजेपी से उम्मीद की जा रही है कि चुनाव परिणामों के बाद राज्य में अगर इनकी मदद से बीजेपी की सरकार बन सकती है तो दोनों दल उसी का साथ देंगे. स्पष्ट है कि इसके बदले में इन दलों के विधायक सरकार में भी उचित स्थान पाएंगे. बीजेपी इस बार अकेले चुनाव लड़ रही थी. लेकिन चुनाव परिणामों के बाद अगर सरकार गठन की उम्मीद जगी तो वह समान विचारधारा के दलों से तालमेल कर सकती है.