बीजेपी की प्रचंड जीत के बाद मध्य प्रदेश और कर्नाटक की कांग्रेसी सरकारें खतरे में हैं?

23 मई को आए लोकसभा के नतीजे में बीजेपी खुद के दम पर केंद्र में सरकार बना रही है. एनडीए को 2014 से भी बड़ा बहुमत मिल रहा है. इसके साथ ही ये चर्चा भी शुरू हो गई है कि उन राज्यों का क्या होगा जहां बहुत कम मार्जिन से कांग्रेस की सरकार चल रही है. ऐसे दो राज्य हैं जहां लोकसभा चुनाव के नतीजे का असर राज्य सरकार पर पड़ सकता है. जानते हैं क्या हैं इन राज्यों का गणित. और क्यों ये चर्चा है कि यहां की राज्य सरकारें गिर जाएंगी.

kamalnath with modi

#मध्य प्रदेश

11 दिसंबर 2018 को मध्य प्रदेश विधानसभा के नतीजे आए थे. राज्य की 230 सदस्यों वाली विधानसभा में कांग्रेस को 114 सीटें मिलीं. वह बहुमत के आंकड़े से दो सीट कम थी. दूसरी ओर भाजपा को 109 सीटें मिली थीं. बीएसपी के दो, सपा के एक और चार निर्दलीय विधायकों ने सरकार बनाने के लिए कांग्रेस को समर्थन दिया था. कांग्रेस ने 121 विधायकों के समर्थन से सरकार बनाई थी. हालांकि बीजेपी ने उसी समय सरकार बनाने की कोशिश की थी. लेकिन वह कामयाब नहीं रही थी.

हाल ही में बीजेपी के राष्ट्रीय महासचिव कैलाश विजयवर्गीय ने कहा था, ”कमलनाथ सरकार की उम्र अब ज़्यादा लंबी नहीं बची है. यह सरकार 22 दिन भी नहीं रह पाएगी. केंद्रीय मंत्री और प्रदेश बीजेपी के पूर्व अध्यक्ष नरेंद्र सिंह तोमर कह चुके हैं कि कई कांग्रेसी विधायक उनके संपर्क में हैं और वो जब चाहें तब सरकार गिरा देंगे. नेता प्रतिपक्ष  गोपाल भार्गव विधानसभा का सत्र बुलाने की मांग कर चुके हैं. उनका कहना है कि सरकार अल्पमत में है.

मुख्यमंत्री कमलनाथ कह चुके हैं कि बीजेपी उनके विधायकों को खरीदने की कोशिश कर रही है. विधायकों को 25 करोड़ का ऑफर दिया जा रहा है. कांग्रेस के 10 विधायकों ने सीएम को बताया कि उनके पास बीजेपी की ओर से इस तरह के कॉल आ रहे हैं. कमलनाथ का कहना है कि विधायकों को मंत्री पद का लालच देकर भी तोड़ने की कोशिश की जा रही है. कांग्रेस मध्य प्रदेश में 15 साल बाद सत्ता में लौटी है. अब लोकसभा चुनाव में बीजेपी की शानदार जीत के बाद खतरा मंडराने लगा है कि बीजेपी मध्य प्रदेश की सरकार गिरा देगी. मध्य प्रदेश में बीजेपी 29 में से 28 सीटों पर जीत की ओर बढ़ रही है.

modi with hd kumarswami

#कर्नाटक

कर्नाटक में जब से कांग्रेस-जेडीएस गठबंधन की सरकार बनी है, तब से ही उसे गिराने को लेकर तरह-तरह की बातें होती रही हैं. अब लोकसभा चुनाव में बीजेपी राज्य की 28 में से 25 सीटें जीत रही है. तो एक बार फिर कर्नाटक सरकार की अस्थिरता को लेकर सवाल उठने लगे हैं. 225 सदस्यों वाली विधानसभा में बीजेपी उप चुनाव जीत कर 105 तक पहुंच गई है. 2 निर्दलीय विधायक उसके साथ हैं. यानी बीजेपी के पास 107 सीटें हैं. सरकार बनाने के लिए 113 सीटों की जरूरत है.

कांग्रेस के पास 79 सीटें हैं. गठंबधन सरकार में सहयोगी जेडीएस के पास 38 सीटें है यानी कुल 117 का आंकड़ा. चर्चा है कि कांग्रेस के  आधे दर्जन विधायक कभी भी पूर्व सीएम और बीजेपी के नेता येदयुरप्पा के पाले में जा सकते हैं. हालांकि ऐसा होने पर भी बीजेपी के लिए सरकार बनाना मुश्किल होगा. विधानसभा में सदस्य कम होंगे तो बहुमत का आंकड़ा भी नीचे आएगा. ऐसे में दो विकल्प हैं. राजनीतिक अस्थिरता की वजह से यहां राष्ट्रपति शासन लगे. या बीजेपी कांग्रेस या जेडीएस के 14 कांग्रेस विधायकों का इस्तीफा दिलवा दे. ऑपरेशन लोटस के तहत बीजेपी यहां सरकार बना सकती है.

बीजेपी के नेता और केंद्रीय मंत्री डीवी सदानंद गौड़ा कह चुके हैं कि लोकसभा रिजल्ट के बाद कांग्रेस-जेडीएस की सरकार गिर जाएगी. एचडी कुमारस्वामी 24 मई की सुबह तक ही मुख्यमंत्री रहेंगे. ऐसे में संभावना जताई जा रही है कि बीजेपी कांग्रेस-जेडीएस गठबंधन को अस्थिर कर सकती है.

#तमिलनाडु का क्या मामला है?

तमिलनाडु में 22 विधानसभा सीटों के लिए हुए उपचुनाव हुए थे. द्रविड़ मुनेत्र कड़गम (द्रमुक) को 13 सीटों पर जीत रही है. वहीं सत्तारूढ़ ऑल इंडिया द्रविड़ मुनेत्र कड़गम (अन्नाद्रमुक) 9 सीटों पर. यहां लोकसभा चुनावों से ज्यादा, विधानसभा उपचुनावों को महत्वपूर्ण माना जा रहा था. क्योंकि इसका परिणाम निर्धारित करता कि मुख्यमंत्री के. पलनीस्वामी के नेतृत्व वाली अन्नाद्रमुक सरकार सत्ता में बनी रहेगी या नहीं.

234 सदस्यीय तमिलनाडु विधानसभा में सत्तारूढ़ अन्नाद्रमुक के 114 सदस्य हैं. द्रमुक के 88, कांग्रेस के 8 जबकि इंडियन यूनियन मुस्लिम लीग (आईयूएमएल) और निर्दलीय के एक-एक सदस्य हैं. साधारण बहुमत हासिल करने के लिए अन्नाद्रमुक को उपचुनावों में सिर्फ चार सीटें जीतनी थीं. दूसरी ओर, द्रमुक (88 विधायकों) को 118 के आंकड़े पर पहुंचने के लिए अपने सहयोगी दलों के साथ मिलकर सभी 22 सीटों पर जीत हासिल करनी थी. लेकिन ऐसा नहीं हो पाया. फिलहाल राज्य की अन्नाद्रमुक सरकार पर कोई खतरा नहीं है.

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