शिकायतकर्ता ने बताया कि उस व्यक्ति का असली नाम नरेंद्र विक्रमादित्य यादव है। वह लंदन में प्रशिक्षण प्राप्त करने का झूठा दावा कर रहा था।

मध्य प्रदेश के दमोह जिले के एक अस्पताल में कथित तौर पर एक फर्जी हृदय रोग विशेषज्ञ द्वारा इलाज किए जाने के बाद सात लोगों की मौत हो गई है। इस घटना के बाद राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग ने जांच शुरू कर दी है।
एनएचआरसी सदस्य प्रियांक कानूनगो के अनुसार, मामले की जांच के लिए एक टीम 7 से 9 अप्रैल तक दमोह में डेरा डालेगी।
प्रियांक कानूनगो ने समाचार एजेंसी एएनआई को बताया, “शिकायत मिली थी कि एक फर्जी डॉक्टर ने हृदय संबंधी सर्जरी की और कई लोगों की मौत का कारण बना। यह भी बताया गया कि मिशनरी अस्पताल आयुष्मान भारत योजना के तहत सरकार से पैसे लेता था।”
उन्होंने कहा, “यह एक गंभीर आरोप है। आयोग इसका संज्ञान ले रहा है और आगे की जांच की जा रही है।”
हालांकि जिला मुख्य चिकित्सा स्वास्थ्य अधिकारी डॉ. मुकेश जैन ने पीड़ितों की कुल संख्या नहीं बताई, लेकिन उन्होंने कहा कि मामले की जांच रिपोर्ट जिला कलेक्टर सुधीर कोचर को भेज दी गई है।
यहाँ हम ‘फर्जी’ हृदय रोग विशेषज्ञ के बारे में जानते हैं
एनएचआरसी में एक स्थानीय निवासी द्वारा दर्ज कराई गई शिकायत के अनुसार, “डॉ एन जॉन कैम” नामक व्यक्ति दमोह के मिशन अस्पताल में मरीजों का इलाज कर रहा था।
शिकायतकर्ता ने कहा कि व्यक्ति का असली नाम नरेंद्र विक्रमादित्य यादव है। वह लंदन में प्रशिक्षित होने का झूठा दावा कर रहा था।
नरेंद्र विक्रमादित्य यादव ने यूनाइटेड किंगडम के एक प्रसिद्ध हृदय रोग विशेषज्ञ प्रोफेसर जॉन कैम के नाम का इस्तेमाल करके मरीजों को गुमराह किया।
‘हृदय रोग विशेषज्ञ’ जनवरी 2025 में अस्पताल में शामिल हुए और कथित तौर पर फरवरी में गायब होने से पहले कम से कम एक दर्जन सर्जरी की।
असली डॉ जॉन कैम ने सोशल मीडिया पर नकली डॉक्टर के बारे में चेतावनी भी दी थी।
नरेंद्र विक्रमादित्य यादव के खिलाफ तेलंगाना में भी एफआईआर दर्ज है, जिसकी वर्तमान में जांच चल रही है।
जिस अस्पताल में यादव ने ऑपरेशन किया था, वह आयुष्मान भारत योजना के तहत आता है, जिससे सार्वजनिक धन के दुरुपयोग की चिंता बढ़ गई है।