भारतीय जनता पार्टी ने लंबे समय तक जिन सीटों पर अपने उम्मीदवार की घोषणा नहीं की थी, उनमें से एक थी उत्तर प्रदेश की कैसरगंज सीट.
इस सीट पर मौजूदा सांसद हैं बृजभूषण शरण सिंह. कुछ महिला पहलवानों ने बृजभूषण शरण सिंह पर यौन उत्पीड़न का आरोप लगाया था.
भारत के शीर्ष पहलवानों ने दिल्ली के जंतर-मंतर पर लंबे समय तक धरना भी दिया.
ये मामला अब अदालत में है और इस पर सुनवाई चल रही है.
माना जा रहा था कि बीजेपी इस सीट पर बृजभूषण शरण सिंह को टिकट देने को लेकर दुविधा में है.
पार्टी ने इस दुविधा का अंत बृजभूषण शरण सिंह के बेटे करण भूषण सिंह को टिकट देकर किया.
बीजेपी के इस फ़ैसले के बाद कई पहलवानों ने इस पर अपनी नाराज़गी जताई है.
आंदोलन का नेतृत्व करने वाली साक्षी मलिक ने तो यहाँ तक कहा कि देश की बेटियाँ हार गईं और बृजभूषण जीत गए.
जानकार ये भी बता रहे हैं कि पूरे इलाक़े में बृजभूषण शरण सिंह का इतना प्रभाव है कि बीजेपी उन्हें पूरी तरह दरकिनार नहीं कर सकती, इसलिए बीजेपी ने उनकी जगह उनके बेटे को टिकट दिया है.
शिक्षा के क्षेत्र में प्रभाव
बृजभूषण शरण सिंह उत्तर प्रदेश के देवीपाटन मंडल के चार ज़िलों- गोंडा, बहराइच, बलरामपुर और श्रावस्ती में पाँच दर्जन से अधिक डिग्री कॉलेजों और इंटर कॉलेजों के मालिक हैं.
उनके क़रीबी माने जाने वाले बलरामपुर से बीजेपी के विधायक पल्टूराम की मानें तो लगभग 60 शैक्षणिक संस्थान बृजभूषण ने ख़ुद खड़े किए हैं.
पल्टूराम ने बीबीसी से कहा था, “शिक्षा का केंद्र होने के कारण, बिहार और पूरे पूर्वांचल से यहाँ बच्चे पढ़ने आते हैं. इस प्रकार से उनका पूर्वांचल से हमेशा लगाव रहा है.”
उनके बनाए सबसे पहले कॉलेज नंदिनी नगर महाविद्यालय की वेबसाइट पर आपको दो दर्जन से भी अधिक कॉलेजों की सूची देखने को मिलेगी.
गोंडा के वरिष्ठ पत्रकार जानकी शरण द्विवेदी ने बताया था कि केवल नंदिनी महाविद्यालय में लगभग 20 हज़ार बच्चे पढ़ते हैं और वहाँ कई सौ लोग काम करते हैं.
द्विवेदी ने बताया था, “इसी तरह इनके सभी कॉलेजों को गिना जाए तो वहाँ पर इनके ढेर सारे स्टाफ़ और टीचर हैं, जब भी कोई चुनाव होता है तो सभी लोगों को चुनाव में लगा दिया जाता है. इसकी वजह से उनका बूथ प्रबंधन बहुत मज़बूत हो जाता है. यही वजह है कि ये चुनाव जहाँ से भी लड़ते हैं, कामयाबी उनके हाथ ही आती है.”
उन्होंने कहा था, “इन कॉलेजों का स्वामित्व अलग-अलग लोगों के नाम पर है. कहीं बेटों के नाम हैं, तो कहीं भतीजे हैं, पत्नी हैं, बहुएँ हैं, लेकिन जैसे एक छतरी में कई सारी तीलियाँ होती हैं, तो इसी प्रकार से वो बृजभूषण शरण सिंह की छत्रछाया में हैं. इन कॉलेजों के संस्थापक बृजभूषण ही हैं.”
बीजेपी विधायक पल्टूराम ने बताया था, “गोंडा के नंदिनी नगर महाविद्यालय की स्थापना के बाद, सिर्फ़ देवीपाटन मंडल ही नहीं, अयोध्या मंडल और बस्ती मंडल में भी शिक्षा के क्षेत्र में उन्होंने काफ़ी काम किया है.”
बलरामपुर के छात्र सोनू तिवारी ने कहा था, “वो हमारे गार्जियन हैं. वो एक तरह से ग़रीबों के मसीहा भी हैं. हम लोग उनसे ज़िंदगी भर जुड़े रहेंगे.”
प्रवेश यादव बिहार से हैं और वो बोले थे कि बृजभूषण के संस्थानों में पढ़ने वाले छात्र, “उनसे व्यक्तिगत जुड़ाव महसूस करते हैं.”
बलरामपुर से सोनू तिवारी चुनावों में छात्रों के इस्तेमाल की बात को गलत बताते हुए बोले थे, “उन्होंने लड़कों को कभी प्रचार के लिए नहीं बुलाया, लेकिन अगर आपका कोई व्यक्तिगत जुड़ाव है तो आप प्रचार करेंगे ही.”
बिहार के आरा ज़िले से ओंकार सिंह ने बीबीसी से कहा था, “नेताजी हमारे दिल में बसते हैं. अगर यह आरोप झूठे लगे हैं तो फिर इन पहलवानों के खेल पर जीवन भर के लिए पाबंदी लगाई जाए और उनके मेडल वापस लिए जाएँ. नेताजी सिर्फ यहाँ के ही नेता नहीं हैं. पूरे बिहार के नेता भी हैं.”
आरा से आकर बृजभूषण शरण सिंह के कॉलेज में पढ़ रहे विश्वजीत कुमार सिंह बोले थे, “नेताजी हमारे भगवान हैं. मेरे दिल में बसते हैं. अगर बिहार से भी चुनाव लड़ेंगे तो वहाँ से भी जीतेंगे.”
‘नक़ल माफिया’ होने का आरोप
उत्तर प्रदेश के 2017 विधानसभा चुनावों में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने गोंडा में एक रैली के मंच से नक़ल का मुद्दा उठाया था.
प्रधानमंत्री मोदी ने अखिलेश यादव सरकार पर निशाना साधते हुए कहा था, “गोंडा में तो जत्थाबंद नकल का बिज़नेस चलता है, व्यापार चलता है. यहाँ चोरी करने की नीलामी होती है. जो सेंटर मिलता है, वो हर विद्यार्थी के माँ-बाप को कहता है कि देखिए, तीन हज़ार डेली का, दो हज़ार डेली का, पांच हज़ार डेली का. अगर गणित का पेपर है तो इतना, अगर विज्ञान का पेपर है तो इतना. होता है कि नहीं होता है, भाइयों?”
रैली में आई जनता ने जवाब दिया, “होता है!”
मोदी ने पूछा, “यह ठेकेदारी बंद होनी चाहिए कि नहीं होनी चाहिए?” जनता कहती है, “होनी चाहिए!” मोदी पूछते हैं, “यह बेईमानी बंद होनी चाहिए कि नहीं होनी चाहिए?” जनता कहती है, “होनी चाहिए!”
मोदी मंच से बोले थे, “यह मेरे देश की भावी पीढ़ी को यह तबाह करने वाला कारोबार है. यह कारोबार बंद होना चाहिए. शिक्षा के साथ यह जो अपराध जुड़ गया है, वो समाज को, आने वाली पीढ़ियों तक तबाह करके रख देता है.”
मोदी तब नक़ल के मुद्दे पर लगातार पाँच मिनट तक बोले थे.
गोंडा के वकील और बृजभूषण के खिलाफ दिल्ली में प्रदर्शन करने वाले रवि प्रकाश पांडेय पुराने भाजपाई थे. मई 2023 में रवि प्रकाश का निधन हो गया था.
लेकिन उससे पहले उन्होंने बीबीसी को बताया था कि वे 2017 की मोदी की इस रैली में वो भी मौजूद थे. उन्हें गोंडा में नक़ल पर नरेंद्र मोदी का वह चुनावी भाषण अच्छी तरह याद है.
उन्होंने कहा था, “भरी चुनावी सभा में इनको (बृजभूषण) शिक्षा माफिया इंगित किया था.”
शिक्षा माफिया कोई और भी तो हो सकता है, इस सवाल के जवाब में रवि प्रकाश पांडेय ने कहा था, “58 कॉलेज इन्हीं के पास तो हैं, तो इनका अपना उद्योग है. इनके (बृजभूषण के) तमाम स्कूलों में एडमिशन करा लीजिए और सर्टिफिकेट ले लीजिए.”
लेकिन इन आरोपों पर बृजभूषण शरण सिंह ने कहा था, “नकल माफ़िया हम नहीं हैं. नकल माफ़िया थे मुलायम सिंह. आज मैं पूछना चाहता हूँ कि अगर नकल के कारण मेरे विद्यालय चलते हैं, तो आज भी सबसे अधिक संख्या में मेरे विद्यालय क्यों हैं? क्योंकि प्राइवेट सेक्टर में हम ही एक ऐसे आदमी हैं कि जिसके पास पूरे के पूरे टीचर हैं और क्वालिफाइड टीचर हैं. मेरे पचासों स्कूल-कॉलेज हैं.”
नक़ल माफिया के आरोप के बारे में हमने नंदिनी कॉलेज के छात्र प्रवेश यादव से पूछी तो उन्होंने कहा, “नहीं, ऐसा नहीं है. वो गोंडा में सुविधा दे रहे हैं. ज़ाहिर बात है कि उनके इतने कॉलेज हैं, लेकिन पता नहीं लोगों को क्यों लग रहा है कि वो नक़ल माफिया हैं.”
गोंडा में बीजेपी बनाम बृजभूषण?
गोंडा के गलियारों में एक बात यह भी सुनने को मिलती है कि गोंडा और आसपास के ज़िलों में बृजभूषण शरण सिंह का राजनीतिक क़द बीजेपी पर निर्भर नहीं है, उनका अपना दमखम है.
उनके प्रभाव को बेहतर समझने के लिए बीबीसी की टीम गोंडा में यूपी के निकाय चुनाव वाले मतदान के दिन मौजूद थी. उनके पैतृक इलाके नवाबगंज में हमने नगर पालिका अध्यक्ष के ‘निर्दलीय’ प्रत्याशी सत्येंद्र कुमार सिंह की प्रचार सामग्री में बृजभूषण की बड़ी-बड़ी तस्वीरें देखीं.
ऐसा लग रहा था कि बृजभूषण खुलेआम बीजेपी के प्रत्याशी के ख़िलाफ़ निर्दलीय सत्येंद्र कुमार सिंह का समर्थन कर रहे थे.
लेकिन सत्येंद्र कुमार सिंह का कहना था, “इस चुनाव से बृजभूषण शरण सिंह जी ने अपनी दूरी बना रखी है. हम लोग उनके बच्चे हैं. यह उनका क्षेत्र है. पोस्टर में लगे फोटो बीजेपी सांसद के नाते नहीं हैं, वो इस क्षेत्र के अभिभावक हैं. मेरे लिए भगवान स्वरुप हैं. अगर मैं पॉलिटिक्स में आया हूँ तो 110 प्रतिशत बृजभूषण शरण सिंह जी की वजह से आया हूँ.”
वहीं बीजेपी के प्रत्याशी जनार्दन सिंह को यूपी जैसे बीजेपी शासित राज्य में भय और ख़ौफ़ महसूस हो रहा था. उन्होंने कहा था, “गोंडा की राजनीति थोड़ी अलग है. बहुत ज़्यादा नहीं कह सकते हैं, लेकिन यहाँ पर थोड़ा डर का माहौल है.”
निकाय चुनाव के नतीजों में निर्दलीय सत्येंद्र सिंह ने 5100 वोटों के साथ जीत दर्ज की और बीजेपी के प्रत्याशी जनार्दन सिंह को सिर्फ 150 वोट मिले.
सत्येंद्र कुमार सिंह की निर्दलीय उम्मीदवारी के बारे में गोंडा से वरिष्ठ पत्रकार जानकी शरण द्विवेदी बोले थे, “यह माना जा सकता है कि वो बृजभूषण के इशारे पर चुनाव में थे, लेकिन इस बार पहलवानों के प्रदर्शन का एक मनोवैज्ञानिक प्रेशर था तो शायद उन्हें लगा कि एक और मोर्चा खोलना मुनासिब नहीं होगा. लेकिन चाहे वो निकाय चुनाव हों या पंचायत चुनाव हों, समय-समय पर बृजभूषण पार्टी के घोषित कैंडिडेट के ख़िलाफ़ निर्दलीय को चुनाव लड़वाते हैं और यह संदेश देते हैं कि अगर हमारे हिसाब से होगा तो होगा, वरना हम अपना रास्ता बनाना भी जानते हैं.”
रिश्तेदारों पर ज़मीन कब्ज़े के आरोप
बृजभूषण शरण सिंह के विरोधी और बीजेपी से जुड़े स्थानीय वकील रवि प्रकाश पांडेय का दावा था कि उन्होंने दो महीने पहले बृजभूषण शरण सिंह के भतीजे और अन्य लोगों के ख़िलाफ़ नज़ूल की सरकारी ज़मीन पर कब्ज़ा करने की शिकायत की थी.
उनका कहना था कि उनकी शिकायत के बाद आख़िरकार सरकार ने बुलडोज़र चलवाया.
फरवरी में गोंडा प्रशासन ने बृजभूषण के भतीजे सुमित सिंह और आठ अन्य लोगों पर गोंडा के सिविल लाइंस में तीन एकड़ सरकारी ज़मीन पर कब्ज़ा करने और धोखाधड़ी का मुक़दमा दर्ज किया और बुलडोज़र से कब्ज़े को गिराया गया.
वकील रवि प्रकाश ने कहा था कि यह कार्रवाई इसलिए हुई क्योंकि उन्होंने गोंडा में भू-माफ़िया के खिलाफ मुहिम चलाई. उनका दावा था कि जब बात मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ तक पहुँची तब प्रशासन का बुलडोज़र चला, मुक़दमा दर्ज हुआ और 50 करोड़ की ज़मीन छुड़वाई गई.
हत्या के प्रयास का आरोप, हुए बरी
जनवरी 2023 में जब बृजभूषण शरण सिंह पर पहली बार यौन शोषण का आरोप लगा तो उनका एक वीडियो वायरल हुआ था.
वीडियो में वो कहते दिखे, “मेरे जीवन में मेरे हाथ से एक हत्या हुई है. लोग कुछ भी कहें, मैंने एक हत्या की है. रविंदर को जिस आदमी ने मारा है, मैंने हाथ छुड़ा करके उसको तुरंत राइफल से उसकी पीठ पर रख करके मार दिया और वो मर गया.”
सूरज सिंह समाजवादी पार्टी नेता हैं.
उनके चाचा पंडित सिंह अखिलेश यादव सरकार में कैबिनेट मंत्री रह चुके हैं. जिस रविंदर को गोली मारने वाले की हत्या की बात बृजभूषण शरण सिंह कैमरे पर कर रहे थे, वो रविंदर सूरज सिंह के पिता हैं.
बृजभूषण रविंदर सिंह को अपना दोस्त बताते थे.
उस घटना के तीन दशक बाद रविंदर सिंह के बेटे और गोंडा में समाजवादी पार्टी के नेता सूरज सिंह कहते हैं कि बृजभूषण “हमारे पक्के राजनीतिक दुश्मन हैं.”
आतंकवाद निरोधक क़ानून टाडा का मामला
उनके पिता की हत्या के 10 साल बाद 1993 में बृजभूषण शरण सिंह पर उनके चाचा और सपा से पूर्व कैबिनेट मंत्री पंडित सिंह की हत्या के प्रयास का आरोप लगा.
सूरज सिंह बोले थे, “21 गोलियां लगीं थीं. उस वक्त मुलायम सिंह जी मुख्यमंत्री थे और गोली लगने के मात्र 20 मिनट के भीतर ही उन्होंने अपना सरकारी हेलीकॉप्टर भेजकर मेरे पिता को एयरलिफ्ट कराया.”
पंडित सिंह तब बच गए थे, अब उनका निधन हो चुका है.
दिसंबर 2022 में पंडित सिंह की हत्या के प्रयास के मुकदमे में अदालत ने बृजभूषण को बरी कर दिया. सूरज सिंह ने इस फैसले को हाईकोर्ट में चुनौती दी थी.
दिल्ली के वरिष्ठ पत्रकार विवेक वार्ष्णेय ने बृजभूषण शरण सिंह के ख़िलाफ़ चले टाडा के मामले की रिपोर्टिंग की थी.
उन्होंने इस बारे में बीबीसी को बताया था- बृजभूषण पर 1997 में दाऊद इब्राहिम के चार साथियों को शरण देने का आरोप लगा था.
विवेक वार्ष्णेय बोले थे कि 1997 में बृजभूषण शरण सिंह ने छह महीने दिल्ली के तिहाड़ जेल में बिताए. उन पर आतंकवाद विरोधी कानून टाडा के तहत मुक़दमा दर्ज था.
उन पर दाऊद इब्राहिम के चार सहयोगियों सुभाष सिंह ठाकुर, जयेन्द्र (भाई) ठाकुर, परेश मोहन देसाई और श्याम किशोर गरिकापट्टी को दिल्ली में अपने सरकारी निवास में पनाह देने का आरोप था. ये चारों लोग मुंबई के जेजे अस्पताल शूटआउट कांड के अभियुक्त थे.
उस वक़्त केंद्र में बीजेपी की वाजपेयी सरकार थी और वो ख़ुद बीजेपी के लोकसभा सांसद थे.
वार्ष्णेय बोले थे, “एडिशनल सेशंस जज शिव नारायण ढींगरा ने सबूतों के अभाव में बृजभूषण शरण सिंह को आरोपों से बरी कर दिया था.”
उन्होंने बताया था, “जज ने सीबीआई को ढंग से जाँच न करने और ठीक से सबूत न जुटाने के लिए फटकार लगाई थी, जिसकी वजह से बृजभूषण शरण सिंह को मामले में बरी कर दिया गया था.”
बृजभूषण के 2019 लोकसभा के चुनावी हलफ़नामे के मुताबिक़ उनके ख़िलाफ़ चार मामले विचाराधीन हैं जिसमें हत्या का प्रयास, डकैती, सरकारी अधिकारी के साथ मारपीट और चुनाव आचार संहिता उल्लंघन के मामले हैं.
गोंडा के पत्रकार जानकी शरण द्विवेदी ने कहा था, “1998 में जब लोकसभा का चुनाव हुआ तो बृजभूषण जेल में बंद थे. उनकी पत्नी केतकी सिंह को बीजेपी ने टिकट दिया और वो लोकसभा सदस्य चुनी गईं.”
बृजभूषण का इतिहास तलाशते हम गोंडा के नवाबगंज थाने में पहुंचे जो उनके गाँव के क़रीब है. थाने के अंदर टंगी हिस्ट्रीशीटर्स की सूची में बृजभूषण शरण सिंह का नाम लिखा हुआ था.
पुलिस के मुताबिक़, बृजभूषण शरण सिंह की हिस्ट्रीशीट 1987 में खुली थी उसमें 38 मुक़दमों का ज़िक्र है.
अगर उनके 2019 के चुनावी हलफ़नामे की बात करें, तो उसमें चार मुक़दमों का ज़िक्र है, इनमें से बाबरी मस्जिद विध्वंस वाले में मामले में वे बरी हो चुके है.
साथ ही, सपा नेता पंडित सिंह की हत्या के प्रयास के मामले में भी बरी हो चुके हैं लेकिन फ़ैसले को कानूनी चुनौती दी गई है.
योगी और पार्टी से रिश्ते?
जब बृजभूषण शरण सिंह के क़रीबी माने जाने बलरामपुर से विधायक पल्टूराम 2021 में विधानसभा चुनावों से ठीक पहले, पहली बार मंत्री बने तो इसका श्रेय उन्होंने योगी आदित्यनाथ और बृजभूषण शरण सिंह दोनों को दिया.
पल्टूराम का मानना है कि लंबे संसदीय कार्यकाल के दौरान योगी और बृजभूषण शरण सिंह के अच्छे रिश्ते रहे हैं.
वो बोले थे, “योगी जी और सांसद जी का संबंध बहुत पहले से चला आ रहा है. वो दोनों साथ-साथ सांसद होते थे. मैं कई बार उनके साथ मिलकर उनका आशीर्वाद लेता रहता था. दोनों के सम्बन्ध बहुत अच्छे हैं.”
लेकिन पत्रकार जानकी शरण द्विवेदी ने इससे अलग राय रखते हुए कहा था, “यह आम चर्चा है, ऐसा लगता है कि मुख्यमंत्री जी से इनके रिश्ते बहुत अच्छे नहीं हैं.”
कुछ लोग कहते हैं कि पार्टी फ़िलहाल बृजभूषण पर ज़्यादा मेहरबान नज़र नहीं आ रही है लेकिन कुछ लोग ये भी कहते हैं कि इतने हंगामे के बावजूद उन पर कार्रवाई न होना ये दिखाता है कि पार्टी उनके साथ है.
जानकी शरण द्विवेदी ने कहा था, “बताया जाता है कि हाल ही के निकाय चुनाव में जब बीजेपी के प्रदेश अध्यक्ष की अवध क्षेत्र के सांसदों की बैठक में बृजभूषण शरण सिंह भी शामिल हुए थे. जब इनसे राय देने को कहा गया तो इन्होंने कहा कि हम पार्टी अध्यक्ष से बाद में मिलकर अपनी राय देंगे लेकिन बताते हैं कि इन्हें अलग से मिलने के लिए समय नहीं दिया गया.”
लेकिन बात वहीं पर ख़त्म नहीं हुई. बृजभूषण ने मुख्यमंत्री से पहले भाषण दिया तो उसमें उन्होंने एक शेर सुनाया, “मैं महफ़िल का फ़र्द हूँ, बिछावन नहीं हूँ.”
द्विवेदी ने कहा था, “यह संकेत उन्होंने मुख्यमंत्री और पार्टी प्रदेश अध्यक्ष की जनसभा में सार्वजनिक रूप से दिया था कि उन्हें बिना इज़्ज़त दिए इस्तेमाल नहीं किया जा सकता.”
गोंडा-बलरामपुर में वफादारों की फ़ौज
बृजभूषण शरण सिंह पर लगे यौन शोषण के आरोपों पर बीजेपी के केंद्र और राज्य के बड़े-बड़े प्रवक्ता फ़िलहाल खुलकर उनके बचाव में मैदान में नहीं उतरे हैं लेकिन जो उनके एहसानमंद हैं वो खुलकर बोले थे.
पल्टूराम बलरामपुर की आरक्षित सीट से दूसरी बार बीजेपी के विधायक चुने गए थे. अजय सिंह गोंडा के कर्नलगंज से बीजेपी विधायक हैं. बीजेपी भले ही चुप है, लेकिन पल्टूराम और अजय सिंह जैसे पार्टी के विधायक, दोनों बृजभूषण शरण सिंह के बचाव में मैदान में उतर चुके हैं.
पल्टूराम पहलवानों के प्रदर्शन को कांग्रेस की साज़िश बताकर बोले थे, “यह माननीय सांसद जी के राजनीतिक चरित्र को खराब करना चाहते हैं. माननीय सांसद जी आम जनता के दिलों में बसते हैं.”
विधायक अजय सिंह ने उस समय कहा था, “आदरणीय बृजभूषण हमारे पितातुल्य हैं और हम उन्हें शुरुआती दौर से जानते हैं. लगाया गया आरोप निराधार है. यह षड्यंत्र है और वजह उनकी लोकप्रियता और जनप्रियता है. आपको मालूम होगा की पूर्वांचल में आदरणीय नेताजी के कद का कोई नेता नहीं है.”
पल्टूराम ने कहा था कि वो बृजभूषण शरण सिंह का नाम अपने स्टूडेंट पॉलिटिक्स के ज़माने से सुनते आ रहे हैं और उन्हीं के समर्थन से पल्टूराम और उनके परिवार ने राजनीतिक ऊंचाइयाँ छुईं और 2021 में योगी सरकार में मंत्री बने.
पल्टूराम ने कहा था, “हम जैसे कई लोग हैं जो राजनीति में उपेक्षित थे, उन्हें पार्टी के साथ-साथ मुख्यधारा में जोड़ने का काम किया है.”
किसी क्षेत्र से गहरा रिश्ता बनाए रखने के बारे में वो बोले थे, “बलरामपुर लोक सभा क्षेत्र से वो सांसद पहले रह चुके हैं, लेकिन आज भी विभिन्न कार्यक्रमों में उनका आना-जाना लगा रहता है. संबंध वो हमेशा के लिए बनाते हैं.”
बृजभूषण शरण सिंह के ख़िलाफ़ मामला क्या है
महिला पहलवानों की ओर से बृजभूषण शरण सिंह के ख़िलाफ़ जो एफ़आईआर दर्ज है, उससे इस केस के बारे में पता चलता है.
एफ़आईआर में यौन उत्पीड़न से जुड़ी धाराओं 354, 354A, 354D के अलावा पॉक्सो क़ानून की धारा (10) ‘ऐग्रवेटेड सेक्सुअल असॉल्ट’ यानी ‘गंभीर यौन हिंसा’ है.
इन धाराओं में औरत की सहमति के बिना सेक्सुअल मंशा से उसकी सहमति के बिना उसे छूने की कोशिश करना, उससे यौन संबंध बनाने की मांग करना, अश्लील बातें करना, बार-बार पीछा करना इत्यादि शामिल हैं.
एफ़आईआर में साल 2012 से 2022 के बीच घटी जिन अलग-अलग यौन उत्पीड़न की वारदातों का ब्यौरा है उनमें कई एक जैसी बातें दिखाई देती हैं. हिंसा का तरीका हो, उसके लिए ताक़त का इस्तेमाल और मना करने पर परेशान करने या दंड देने के तरीके हों.
पहलवानों के मुताबिक़, यौन संबंध बनाने के प्रस्ताव को ठुकराने भर से उन्हें और प्रशासन के क़ायदों का ग़लत इस्तेमाल कर कई तरीक़े से परेशान किया गया.
एक पहलवान के मुताबिक़, एफ़आईआर दर्ज होने के बाद उन्हें धमकियां मिलने लगी थीं.