BJP ने माना सरकार बनाने के लिए पड़ेगी सहयोगियों की जरूरत

BJP ने माना, पार्टी रह सकती है बहुमत के आंकड़े से दूर, सरकार बनाने के लिए पड़ेगी सहयोगियों की जरूरत

केंद्र में सत्तारूढ़ बीजेपी के वरिष्ठ नेता राम माधव (Ram Madhav) ने कहा है कि, ‘इस लोकसभा चुनाव में भाजपा बहुमत से पीछे रह सकती है’.

केंद्र में सत्तारूढ़ बीजेपी के वरिष्ठ नेता राम माधव (Ram Madhav) ने कहा है कि, ‘इस लोकसभा चुनाव में भाजपा बहुमत से पीछे रह सकती है’. उनका यह बयान ऐसे समय में सामने आया है जब खुद बीजेपी अध्यक्ष अमित शाह और केंद्रीय मंत्री अरुण जेटली जैसे तमाम नेता दावा कर रहे हैं कि पार्टी अपने दम पर बहुमत हासिल कर लेगी. बीजेपी के राष्ट्रीय महासचिव राम माधव के इस बयान के साथ ही इन चुनावों में पहली बार गठबंधन का मुद्दा उठा है. ब्लूमबर्ग को दिये एक इंटरव्यू में राम माधव ने कहा, ”अगर हम अपने दम पर 271 सीटें हासिल कर लेते हैं तो यह बहुत अच्छा होगा”.  उन्होंने कहा, ‘हालांकि एनडीए को पूर्ण बहुमत मिलेगा’.

राम माधव (Ram Madhav) ने कहा कि ‘बीजेपी को उत्तर भारत के उन राज्यों में संभावित तौर पर नुकसान हो सकता है जहां 2014 में रिकॉर्ड जीत मिली थी. हालांकि दूसरी तरफ पूर्वोत्तर के राज्यों और ओडिशा व पश्चिम बंगाल में पार्टी को फायदा होगा’. उन्होंने कहा कि अगर हम सत्ता में लौटे तो विकास परक नीतियों को आगे बढ़ाएंगे. पाकिस्तान के मुद्दे पर राम माधव (Ram Madhav) ने कहा कि, ‘उन्हें आतंकवाद से लड़ाई में ईमानदारी दिखानी चाहिए. मैं ऐसा इसलिये कह रहा हूं क्योंकि लोकसभा चुनाव नतीजों के तीन सप्ताह के अंदर ही एससीओ (संघाई कॉपरेशन ऑर्गेनाइजेशन) की समिट है. इस समिट में पीएम मोदी और पाकिस्तानी पीएम इमरान खान आमने-सामने होंगे. पाकिस्तान के पास यह एक मौका है. अगर वे अगले एक महीने के अंदर कुछ ठोस कदम उठाते हैं तो रिश्तों में सुधार की संभावना है’.

भाजपा नेता राम माधव (Ram Madhav) ने कहा कि भारत की विदेश नीति में एक और अहम पड़ाव पीएम मोदी और चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग के रिश्तों में मजबूती रहा. ‘दोनों लोगों के बीच काफी अच्छे व्यक्तिगत रिश्ते बन गए हैं’. बेल्ट एंड रोड परियोजना के मुद्दे पर राम माधव ने कहा, ‘जब तक संप्रभुता का मुद्दा हल नहीं हो जाता है, तब तक कोई समझौता नहीं किया जा सकता है’. भारत इस पर लंबे समय से आपत्ति जताता रहा है क्योंकि इसके तहत पीओके समेत पाकिस्तान में 60 बिलियन डॉलर की परियोजनाओं पर निवेश किया जा रहा है. हमारा अभी भी मानना है कि पूरे परियोजना की एकतरफा तरीके से परिकल्पना की गई.

 

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