पायलट गहलोत की दूरी में आखिर क्यों है वसुंधरा राजे सिंधिया मौन, जयपुर में भाजपा की बैठक में भी नही शामिल हुईं

जयपुर : #धौलपुर : राजस्थान में सियासी भूचाल के बीच #वसुंधराराजेसिंधिया की चुप्पी सुर्खियों में है। कल 6 ट्वीट किए, लेकिन राजनीति की बात नहीं

प्रदेश में भाजपा के 72 विधायकों में से 45 से अधिक वसुंधरा राजे के कट्‌टर समर्थक माने जाते हैं।
वसुंधरा अपने गृह नगर धौलपुर में हैं, उन्हें मंगलवार को जयपुर में भाजपा की बैठक में शामिल होना था, लेकिन नहीं पहुंची


वसुंधरा के नजदीकी नेता का कहना है कि इस पूरे मामले में उन्हें कोई फायदा नहीं, इसलिए इससे दूरी बनाए हैं

राजस्थान में चल रहे सियासी भूचाल को लेकर नेताओं के दांव-पेच के बीच पूर्व मुख्यमंत्री #वसुंधरा_राजे की चुप्पी सबसे अधिक सुर्खियों में है। जयपुर में जारी राजनीतिक घमासान का नजारा वे अपने धौलपुर के महल में बैठकर देख रही हैं। लेकिन, अभी तक उन्होंने इस मसले पर कोई टिप्पणी नहीं की है।

भाजपा की बैठक में नहीं पहुंचीं वसुंधरा

पिछले कुछ दिन से वसुंधरा अपने गृह नगर धौलपुर में हैं। उनको मंगलवार को जयपुर में भाजपा की बैठक में शामिल होना था, लेकिन वे नहीं पहुंचीं। इसके बाद पार्टी नेताओं ने कहा कि वे बुधवार को होने वाली बैठक में शामिल होंगी, लेकिन वे फिर जयपुर नहीं आईं।

ऐसा भी नहीं है कि वसुंधरा किसी मसले पर नहीं बोल रही हैं। उन्होंने बुधवार को भी छह ट्वीट किए और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी व उप राष्ट्रपति वैंकेया नायडू के ट्वीट को रिट्वीट किया। लेकिन, प्रदेश की राजनीतिक गहमागहमी पर कुछ भी नहीं बोंली। गुरुवार को भी उन्होंने दो ट्वीट किए।

वसुंधरा ने मोदी-शाह के सामने हथियार नहीं डाले


वसुंधरा को उनके कड़े तेवर के लिए पहचाना जाता रहा है। भाजपा के उन चुनिंदा नेताओं में से हैं, जिन्होंने मोदी-शाह की जोड़ी के सामने हथियार नहीं डाले। वे अभी तक इस जोड़ी से अपनी बात मनवाने में सफल होती रही हैं। दो साल पहले भी मोदी-शाह ने प्रदेश में पार्टी की बागडोर युवा गजेन्द्र सिंह शेखावत को सौंपना तय कर लिया था, लेकिन वसुंधरा अड़ गईं और मामला लंबे समय तक अटका रहा।

आखिरकार वसुंधरा की ही चली और शेखावत की जगह सतीश पूनिया को प्रदेश अध्यक्ष बनाया गया। इसी तरह विधानसभा चुनाव के दौरान टिकट बंटवारे को लेकर शाह और वसुंधरा के बीच काफी खींचतान हुई। अंत में जीत वसुंधरा की ही हुई और उन्होंने अपने चहेतों को जमकर टिकट दिलवाए।

इसलिए चुप हैं #वसुंधरा


वसुंधरा के नजदीकी एक नेता का कहना है कि इस पूरे मामले में उन्हें कोई फायदा होता नजर नहीं आ रहा। ऐसे में उनके लिए चुप्पी साधना ही बेहतर है। वैसे तो पार्टी में आते ही भाजपा पायलट को मुख्यमंत्री बना दे इसकी संभावना बहुत कम है। यदि पायलट ने अधिक विधायक जुटा लिए तो समीकरण बदल जाएंगे। उनकी मदद के लिए भाजपा भी कुछ निर्दलीय को साध सकती है। ऐसी स्थिति में वसुंधरा के लिए करने को कुछ ज्यादा बचेगा नहीं।

वसुंधरा यह भी नहीं चाहतीं कि पार्टी में उनका कोई नया विरोधी तैयार हो। वसुंधरा चुप हैं। वहीं, भाजपा की तरफ से मुख्यमंत्री पद के प्रबल दावेदार केंद्रीय जल शक्ति मंत्री और जोधपुर के सांसद गजेन्द्र सिंह शेखावत इस मामले में बहुत मुखर हैं। गजेन्द्र वसुंधरा के विरोधी गुट के हैं। इसलिए भी वे इस मामले में दिलचस्पी नहीं ले रही हैं।

72 में 45 विधायक वसुंधरा के साथ
प्रदेश में भाजपा के 72 विधायकों में से 45 से अधिक वसुंधरा के कट्‌टर समर्थक माने जाते हैं। इसके बाद मोदी-शाह ने वसुंधरा को केंद्र में ले जाने का प्रस्ताव दिया, लेकिन उन्होंने मना कर दिया। वे राजस्थान में ही रहना चाहती हैं। हां, अगर उन्हें फिर सीएम बनाने की बात कही जाए तो मौजूदा सियासी संकट में वे सक्रिय हो सकती हैं।

Rajasthan #AshokGehlot #SachinPilot #VasundharaRajeScindia

ModiSarkar #RahulGandhi #DigvijaySingh #Kamalnath #Scindia #JyotiradityaScindia

Bjp #Congress

Leave a Reply