सूरज में 11 साल बाद बड़ी हलचल, धब्बे से धरती को खतरा!

11 सालों से हमारा सूरज लॉकडाउन में था. अब वह जागा है. उसमें एक बड़ा सनस्पॉट देखा गया है. यानी सौर धब्बा. यह धब्बा इतना बड़ा है कि इससे निकलने वाली सौर ज्वालाएं यानी सोलर फ्लेयर्स धरती को नुकसान पहुंचा सकती हैं. इन सोलर फ्लेयर्स की वजह से धरती की संचार व्यवस्था बाधित हो सकती है. सैटेलाइट कम्युनिकेशन पर असर पड़ सकता है. नेविगेशन आदि में दिक्कत हो सकती है यानी हवाई और समुद्री यातायात में समस्य़ाएं खड़ी हो सकती हैं.

वैज्ञानिकों ने इस बात को माना है कि हर 11 साल में सूरज की सतह पर काफी बदलाव होते हैं. यह पिछले 11 सालों से शांत थी. लेकिन अब इसमें हलचल हो रही है. हाल ही में सूरज में एक बड़ा धब्बा देखा गया है.

इन विशाल धब्बों को सनस्पॉट कहते हैं. दिक्कत ये है कि यह बड़ा सनस्पॉट (Sunspot) हमारी धरती की ओर घूमता दिखाई दे रहा है. इस सनस्पॉट से निकलने वाली सोलर फ्लेयर्स से धरती के लिए दिक्कत हो सकती है.

इस सनस्पॉट को AR2770 का नाम दिया गया है. आने वाले दिनों में इसका आकार और बड़ा हो सकता है. स्पेसवेदर डॉटकॉम की रिपोर्ट के अनुसार इस सनस्पॉट में से बहुत सारी छोटी ज्वालाएं पहले ही निकल चुकी हैं.

धरती की तरफ घूमते ही इस सनस्पॉट ने पृथ्वी के वायुमंडल में आयनीकरण की लहर तो पैदा की है. लेकिन अभी तक कोई बड़ी घटना नहीं घटी है.

सूरज पर बनने वाले सनस्पॉट वे काले धब्बे होते हैं जो अंतरिक्ष में बनने वाले तारों की तुलना में काफी ठंडे होते हैं. लेकिन इनकी मैग्नेटिक फील्ड इतनी ज्यादा होती है कि ये विशाल मात्रा में ऊर्जा निकालते हैं. ये ऊर्जा सौर ज्वाला या सोलर फ्लेयर की तरह दिखाई देती है.

सोलर फ्लेयर्स को सौर तूफान (Solar Storm) या कोरोना मास इजेक्शन (Coronal Mass Ejection) भी कहा जाता है. कई बार सनस्पॉट का आकार 50 हजार किलोमीटर व्यास का भी होता है. इसके अंदर से सूर्य के गर्म प्लाज्मा का बुलबुला तक निकलता है. जिसके विस्फोट से सोलर फ्लेयर्स निकलते हैं.

सूरज में मिले इस धब्बे AR2770 की पहली तस्वीर अमेरिका के फ्लोरिडा में रहने वाले शौकिया एस्ट्रोनॉमर मार्टिन वाइज ने खींची है. यह धब्बा मंगल ग्रह के बराबर है. इसके अंदर भी कई धब्बे हैं. जो चांद की सतह पर मौजूद गड्ढों की तरह दिखता है.

नेशनल ओसिएनिक एंड एटमॉस्फियरिक एडमिनिस्ट्रेशन (NOAA) का कहना है कि यह सौरतूफान अंतरिक्ष में बहने वाली इलेक्ट्रोमैग्नेटिक धारा में बदलाव पैदा कर सकते हैं. साथ ही धरती के चारों तरफ की इलेक्ट्रोमैग्नेटिक फील्ड में इलेक्ट्रॉन्स या प्रोटॉन्स को बढ़ा या घटा सकते हैं. इससे धरती के संचार सिस्टम पर असर पड़ सकता है.

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