मनोज झा बनाम हरिवंश सिंह हैं राज्यसभा उपसभापति पद के लिए उम्मीदवार, जानें- किसके पक्ष में हैं समीकरण

राज्यसभा में उपसभापति पद के चुनाव के लिए एनडीए की ओर जेडीयू के हरिवंश नारायण सिंह एक बार फिर मैदान में है. वहीं, विपक्ष की ओर से आरजेडी सांसद मनोज झा के चुनावी मैदान में उतरने से मुकाबला काफी दिलचस्प हो गया है. उपसभापति पद के दोनों उम्मीदवार बिहार की राजनीति से आते हैं और समाजवादी विचारधारा से निकले हैं. इतनी ही नहीं दोनों नेताओं की अपनी-अपनी राजनीतिक पहचान है. ऐसे में देखना है कि किसके समर्थन में कौन सी राजनीतिक पार्टी आती है.

राज्यसभा उपसभापति पद का चुनाव संसद के मॉनसून सत्र के पहले दिन 14 सितंबर को होगा. ऐसे में नामांकन दाखिल करने की आखिरी तारीख 11 सितंबर है. एनडीए की ओर से जेडीयू सांसद हरविंश सिंह ने बुधवार को अपना नामांकन दाखिल कर दिया, जबकि मनोज झा ने शुक्रवार को नामांकन दाखिल किया है. हरिवंश सिंह पत्रकार रहे हैं और बिहार की सियासत को समझते हैं. वहीं, मनोज झा दिल्ली विश्वविद्यालय के सामाजिक कार्य विभाग में प्रोफेसर भी रहे हैं. वो आरजेडी के राज्यसभा सासंद होने के साथ-साथ पार्टी के प्रवक्ता होने नाते मुखर आवाज भी हैं.

हरिवंश के नाम पर आम राय बनाने की अपील की गयी है, लेकिन विपक्ष सांकेतिक तौर पर ही सही लेकिन टक्कर देने के मूड में नजर आ रहा है. इसीलिए मनोज झा को मैदान में उतारकर विपक्ष ने अपनी मंशा जाहिर कर दी है. संसद सत्र के पहले दिन ही विपक्ष एकजुटता के साथ-साथ बिहार की राजनीतिक में भी मनोज झा के जरिए राजनीतिक संदेश देना चाहता है. मनोज झा बिहार के मिथिलांचल इलाके के ब्राह्मण समुदाय से आते है, जहां मैथिल ब्राह्मण वोटर काफी निर्णयक भूमिका में है. 

हरिवंश के समर्थन वाले दल


245 सदस्यों के सदन में बीजेपी के 87 सदस्य हैं, जबकि एनडीए के सदस्यों की संख्या 116 है. इनमें बीजपी 87, एआईडीएमके 9, जेडीयू 5, अकाली दल 3, एजेपी 1, बीपीएफ 1, आरपीआई 1, एनपीएफ 1, एमएनएफ 1, एनपीपी के 1 और नामित सदस्य 7 को मिलाकर कुल 116 सदस्यों का समर्थन हासिल है. हालांकि, राज्यसभा के 245 सदस्यों के सदन में जीत के लिए हरिवंश सिंह को 123 वोट चाहिए. ऐसे में एनडीए को उम्मीद है कि टीआरएस 7, वाईएसआर 6 और बीजेडी के 9 सदस्यों का समर्थन जुटा लेंगे. जेडीयू प्रमुख नीतीश कुमार ने बीजेपी के अध्यक्ष नवीन पटनायक को फोन कर समर्थन भी मांगा है. 

मनोज झा के पक्ष वाले दल


राज्यसभा उपसभापति के चुनाव के लिए आरजेडी के मनोज झा के समर्थन में एक दर्जन से ज्यादा दल आए हैं. कांग्रेस 40, वामपंथी दल 6, डीएमके 7, आरजेडी, 5, शिवसेना 3, एनसीपी 4, मुस्लिम लीग 1, जेडीएस 1, जेएमएम 1, केरला कांग्रेस 1 और टीडीपी के 1 राज्यसभा सदस्य का समर्थन हासिल है. इसके अलावा सपा 8, टीएमसी 13, पीडीपी 2 और नेशनल कॉफ्रेंस 1 भी पक्ष में है. विपक्ष डॉ. मनोज झा को आगे करके कुछ ऐसी पार्टियों को साथ लेने की कोशिश कर रहा है जो औपचारिक रूप से एनडीए के सदस्य नहीं है लेकिन कई मौके पर एनडीए के पक्ष में खड़े रहते हैं. इसमें बीजेडी, टीआरएस और वाईएसआर कांग्रेस है. इसके अलावा मनोज झा की नजर बसपा 4 और आम आदमी पार्टी के 3 सांसदों को भी साधने की है. 

मनोज झा का संसद से सड़क तक संघर्ष 


दरअसल, मनोज झा का अपना सियासी कद है और एक समाजशास्त्री के तौर पर उन्होंने देश भर में अपनी अलग पहचान बनाई है. आज के राजनेताओं के लिहाज से मनोज झा का स्तर काफी ऊंचा है. वे एक गंभीर रिसर्चर और सामाजिक न्याय के विषय की महारथी के तौर पर भी जाने जाते  हैं. संसद में मनोज झा जब भी अपनी बात रखने के लिए खड़े होते हैं तो पूरा सदन उन्हें संजदीगी के साथ सुनता है. इतना ही नहीं वो तथ्यों के जरिए अपनी बात रखकर सत्तापक्ष पर सवाल खड़े करते हैं.

मनोज झा राजनीतिक अर्थशास्त्र, सामाजिक आंदोलन, सांप्रदायिक संबंध और तनाव के विषय पर अपनी राय रखने के लिए देश भर में जाने जाते हैं. इतना ही नहीं देश में सामाजिक आंदोलनों में भी वो शामिल रहते हैं और अपनी बात को बेबाकी से रखते हैं. संसद से सड़क तक वो हर मामले पर संघर्ष करने वाले नेताओं के तौर पर गिने जाते हैं. दिल्ली में मनोज झा आरजेडी प्रमुख लालू यादव के दूत के तौर पर जाने जाते हैं और केंद्रीय राजनीति में पार्टी का चेहरा हैं. ऐसे में विपक्ष समेत तमाम दलों का वो समर्थन हासिल करने में कामयाब हो सकते हैं.

हरिवंश का एक पत्रकार से नेता तक का सफर


राज्यसभा सांसद से पहले हरिवंश नारायण सिंह की पहचान एक पत्रकार के तौर पर रही है. उनका जन्म जयप्रकाश नारायण के गांव सिताब दियारा में हुआ है. वो शुरू से समाजवादी विचारधारा के रूप में जाने जाते थे. वारणसी से शिक्षा हासिल करने के दौरान ही हरिवंश सिंह जेपी आंदोलन से जुड़ गए थे. इसी के बाद उन्होंने पत्रकारिता में कदम रखा और करीब चार दशक तक सक्रिय रहे. उन्होंने देश के कई प्रमुख अखबारों के लिए काम किया और 1989 में प्रभात खबर शुरू किया. 2014 में जेडीयू ने उन्हें राज्यसभा भेजा और 2018 में राज्यसभा के उपसभापति चुने गए, लेकिन इस साल उनका कार्यकाल पूरा हो जाने के चलते अब दोबारा से उसी पद के लिए मैदान में है.

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