BSP की एंट्री से पलटी राजस्थान की सियासी बाजी, गहलोत खेमा बेचैन?

राजस्थान में अशोक गहलोत और सचिन पायलट में जारी सियासी उठापटक के बीच बसपा ने एंट्री की है. बसपा ने पिछले साल कांग्रेस में शामिल होने के लिए पार्टी छोड़ने वाले छह विधायकों को विधानसभा में कांग्रेस के खिलाफ मतदान करने के लिए व्हिप जारी किया, जिससे राजस्थान की सियासी बाजी पलटती हुई नजर आ रही है. बसपा प्रमुख मायावती के नए दांव से सीएम अशोक गहलोत खेमा बेचैन हो गया है?

बता दें कि 2018 के चुनाव में संदीप यादव, वाजिब अली, दीपचंद खेरिया, लखन मीणा, जोगेंद्र अवाना और राजेंद्र गुधा बसपा के टिकट पर जीत कर विधानसभा पहुंचे थे. उन्होंने पिछले साल 16 सितंबर को कांग्रेस में एक समूह के रूप में विलय के लिए अर्जी दी थी. विधानसभा स्पीकर ने अर्जी पर दो दिन बाद ही आदेश जारी करके कहा था कि इन छह विधायकों से कांग्रेस के सदस्य की तरह व्यवहार किया जाए. बसपा विधायकों के विलय से मुख्यमंत्री अशोक गहलोत की सरकार को मजबूती मिली और 200 सदस्यीय विधानसभा में कांग्रेस सदस्यों की संख्या बढ़कर 107 हो गई थी.

राजस्थान के सियासत में गहलोत और पायलट के बीच चल रहे शह-मात के खेल के बीच बीजेपी विधायक ने शुक्रवार को राजस्थान हाई कोर्ट में याचिका दायर करके बसपा के छह विधायकों के कांग्रेस में विलय को रद्द करने का अनुरोध किया. इसके बाद बसपा प्रमुख मायावती ने व्हिप जारी कर खुलकर कांग्रेस के खिलाफ उतर आई हैं, जिससे कांग्रेस खेमे में बेचैन बढ़ी जबकि बीजेपी को इसमें अपना सियासी फायदा दिख रहा है.

बसपा महासचिव सतीश चंद्र मिश्र ने कहा, ‘सभी छह विधायकों को अलग-अलग नोटिस जारी करके सूचित किया गया कि चूंकि बसपा एक मान्यता प्राप्त राष्ट्रीय पार्टी है और संविधान की दसवीं अनुसूची के पारा चार के तहत पूरे देश में हर जगह समूची पार्टी (बसपा) का विलय हुए बगैर राज्य स्तर पर विलय नहीं हो सकता है.’ इतना ही नहीं बसपा राजस्थान हाई कोर्ट में अयोग्यता की लंबित याचिका में हस्तक्षेप करेगी या अलग से रिट याचिका दायर करेगी.

बसपा छोड़ने वाले सभी 6 विधानसभा सदस्यों के स्पीकर ने भले ही कांग्रेस सदस्य के तौर पर मान्यता दे दी है, लेकिन अब मामला कोर्ट में पहुंचा है. ऐसे में हाईकोर्ट अगर स्पीकर के फैसले को पलट देता है और बसपा विलय की बात नहीं मानता है तो ऐसी स्थिति बनती है तो गहलोत सरकार के लिए बड़ा सियासी संकट खड़ा हो सकता है. सचिन पायलट सहित 19 विधायकों के बगावत करने से कांग्रेस का समीकरण पहले से बिगड़ा हुआ नजर आ रहा है और अब बसपा की एंट्री ने नई टेंशन पैदा कर दी है.

दरअसल, राजस्थान विधानसभा के कुल 200 सदस्यों में से कांग्रेस 107 सदस्य हैं. इसके अलावा 13 निर्दलीय और 3 अन्य का समर्थन मिलाकर 123 विधायक आंकड़ा था. ऐसे में सचिन पायलट ने 18 कांग्रेस विधायकों और तीन 3 निर्दलीय विधायक के साथ मिलकर गहलोत सरकार के खिलाफ बगावत का बिगुल फूंक दिया है. इस तरह से गहलोत का बहुमत का आंकड़ा बिगड़ गया है. कांग्रेस के पास फिलहाल 101 विधायकों का ही समर्थन हासिल है.

गहलोत के पास एक तरह से बहुमत से महज एक विधायक ही ज्यादा है. ऐसे बसपा ने अपना फरमान जारी कर कांग्रेस की टेंशन बढ़ा दी है. इसी का नतीजा है कि कांग्रेस के छात्र संगठन एनएसयूआई ने रविवार को बागी विधायकों की मान मनौव्वल के लिए एक नई मुहिम चलाई. इस मुहिम के तहत एनएसयूआई के कार्यकर्ताओं ने बागी विधायकों के निवास पर जाकर उनके परिजनों को गुलदस्ते भेंट किए. इसके माध्‍यम से विधायकों तक संदेश पहुंचाने की कोशिश की गई ताकि वे पार्टी में दोबारा लौट आएं.

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