महाराष्ट्र और हरियाणा में आज चुनावी बिगुल बज गया है. शनिवार दोपहर दिल्ली में चुनाव आयोग की प्रेस कॉन्फ्रेंस हुई, 21 अक्टूबर को महाराष्ट्र-हरियाणा में डाले जाएंगे वोट, 24 अक्टूबर को आएंगे नतीजे.
चुनाव आयोग की तरफ से महाराष्ट्र और हरियाणा में विधानसभा चुनाव की तारीखों का ऐलान कर दिया गया है. मुख्य चुनाव आयुक्त सुनील अरोड़ा ने शनिवार को प्रेस कॉन्फ्रेंस में ऐलान किया कि महाराष्ट्र और हरियाणा में 21 अक्टूबर को मतदान होगा. दोनों ही राज्यों में 24 अक्टूबर को नतीजे आएंगे.
मुख्य चुनाव आयुक्त सुनील अरोड़ा ने शनिवार को तारीखों का ऐलान करते हुए कहा कि दीवाली के त्योहार से पहले चुनाव की पूरी प्रक्रिया खत्म हो जाएगी.
महाराष्ट्र और हरियाणा के चुनावों से जुड़ी पूरा शेड्यूल इस प्रकार है:
नॉटिफिकेशन की तारीख – 27 सितंबर
नामांकन की आखिरी तारीख – 4 अक्टूबर
स्कूटनी की तारीख – 5 अक्टूबर
नामांकन वापसी की तारीख – 7 अक्टूबर
चुनाव प्रचार का आखिरी दिन – 19 अक्टूबर
21 अक्टूबर को दोनों राज्यों में होगा मतदान
24 अक्टूबर को आएंगे नतीजे
शनिवार को दोपहर 12 बजे चुनाव आयोग की प्रेस कॉन्फ्रेंस हुई. और इसी के साथ अब आचार संहिता लागू हो गई है.
महाराष्ट्र और हरियाणा के साथ ही कुछ अन्य राज्यों की 64 सीटों पर उपचुनाव भी होना है. चुनाव आयोग की ओर से इनकी तारीखों का ऐलान भी किया गया है.
Bye-polls on 64 seats (including one parliamentary constituency of Samastipur in #Bihar) on 21st October too. #Elections pic.twitter.com/h7WUfrZNCF
— Poulomi Saha (@PoulomiMSaha) September 21, 2019
कहां क्या दांव पर है?
आपको बता दें कि महाराष्ट्र में पिछली बार भाजपा-शिवसेना ने अलग-अलग चुनाव लड़ा था, लेकिन लोकसभा चुनाव में दोनों पार्टियां एक साथ रहीं. 288 विधानसभा सीटों वाले इस राज्य में कांग्रेस-एनसीपी इस बार 125-125 सीटों पर चुनाव लड़ेंगी.
2014 के विधानसभा चुनाव के नतीजे पर नजर डाले तों बीजेपी ने 27.8 फीसदी वोट के साथ 122 सीटें जीती थीं और शिवसेना ने 19.3 फीसदी वोट के साथ 63 सीटों पर जीत हासिल की थी. जबकि कांग्रेस ने 18 फीसदी वोट के साथ 42 सीट, एनसीपी ने 17.2 फीसदी वोट के साथ 41 सीट पर जीत दर्ज की थी.
हरियाणा में भी होगा चुनावी दंगल
राज्य में कुल 90 सीटें हैं, यहां बीजेपी ने मिशन 75 का टारगेट रखा है. 2014 के विधानसभा चुनाव में बीजेपी 33.20 फीसदी वोट के साथ 47 सीटें जीतने में कामयाब रही थी और सत्ता की कमान पार्टी ने मनोहर लाल खट्टर को सौंपी थी. तब कांग्रेस को सिर्फ 17 सीटें मिली थीं.