राज ठाकरे ने फिर से अपने भाई उद्धव ठाकरे से बनाई दूरी

महाराष्‍ट्र विधानसभा के विशेष सत्र में उद्धव ठाकरे की सरकार ने 169 विधायकों के साथ विश्‍वासमत हासिल कर लिया है. उद्धव सरकार ने विपक्षी BJP के बहिष्‍कार के बीच बहुमत प्रस्‍ताव जीत लिया है. इस बीच, विधानसभा में ट्रस्‍ट वोट को लेकर लाए गए प्रस्‍ताव पर वोटिंग के दौरान उद्धव ठाकरे के चचेरे भाई राज ठाकरे की पार्टी ने इस प्रक्रिया में हिस्‍सा ही नहीं लिया. राज ठाकरे की पार्टी महाराष्‍ट्र नवनिर्माण सेना (MNS-मनसे) के एकमात्र विधायक ने किसी भी पक्ष में वोट नहीं डाला. मनसे न्‍यूट्रल (तटस्‍थ) रही. इसके अलावा असदुद्दीन ओवैसी की पार्टी AIMIM और भाकपा भी तटस्‍थ बनी रही. इस तरह सदन की कार्यवाही में हिस्‍सा लेने वाली तीन पार्टियों के चार विधायकों ने वोट डालने के बाजय तटस्‍थ रहना बेहतर समझा.

मनसे के अलावा ये पार्टियां भी रहीं तटस्‍थ
राज ठाकरे की पार्टी मनसे अकेली पार्टी नहीं है, जिसने उद्धव सरकार की ओर से लाए गए बहुमत परीक्षण के प्रस्‍ताव पर हुई वोटिंग से अलग रही. MNS के अलावा ओवैसी की पार्टी एआईएमआईएम और भाकपा (भारतीय कम्‍यूनिस्‍ट पार्टी) भी तटस्‍थ रही. इसका मतलब यह हुआ कि इन दलों के विधायकों ने ट्रस्‍ट मोशन के न तो पक्ष में और न ही विपक्ष में वोट डाला. न्‍यूज एजेंसी ‘ANI’ के अनुसार, मनसे के एक, AIMIM के दो और भाकपा के एक विधायकों ने वोटिंग के बजाय न्‍यूट्रल रहना ही उचित समझा. इस तरह कुल चार विधायक तटस्‍थ रहे. इन्‍होंन न तो पक्ष और न ही विपक्ष में वोट डाला.

मुख्‍यमंत्री उद्धव ठाकरे ने शपथ ग्रहण में हिस्‍सा लेने के लिए चचेरे भाई राज ठाकरे को भी न्‍योता
दिया था. पारिवारिक कार्यक्रमों को छोड़ दें तो यह पहला मौका था जब दोनों भाई सार्वजनिक मंच
पर एक साथ नजर आए थे. इसके बाद सियासी गलियारों की दोनों भाइयों के बीच राजनीतिक सुलह

की अटकलबाजियां तेज हो गई थीं. हालांकि, ट्रस्‍ट वोट के दौरान मनसे के तटस्‍थ रहने से इन
कयासबाजियों को विराम लगता दिख रहा है.

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